मुगलसराय में कोतवाल के खिलाफ धरनारत पत्रकारों पर लाठीचार्ज, कई घायल

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यूपी की समाजवादी सरकार में पुलिस की पत्रकारों से गुंडागर्दी और हमले लगातार जारी हैं. पत्रकारों की आपसी गुटबाजी ऐसे तत्‍वों को पूरा प्रश्रय भी दे रही है. खबर चंदौली जिले की मुगलसराय कोतवाली की है. अतिक्रमण हटाने की आड़ में नए आए कोतवाल अनिरुद्ध सिंह ने एक पत्रकार को बुरी तरह पीटा. अन्‍य पत्रकार जब कोतवाल के इस कुकृत्‍य का विरोध करने सड़क पर बैठे तो पुलिस ने उनपर लाठियां बरसाईं. कई पत्रकार इस लाठीचार्ज में बुरी तरह घायल हुए हैं. दो पत्रकारों समेत कई लोगों को पुलिस पकड़कर कोतवाली ले गई.

पत्रकारों को धमकाते सीओ और कोतवाल

जानकारी के अनुसार मुगलसराय में दो-तीन दिन पहले ही कोतवाली का इंचार्ज अनिरुद्ध सिंह को बनाया गया है. बार्डर के इस जिले से उनका प्रेम लंबे अर्से से है. जब भी उनका तबादला चंदौली जिले से बाहर हुआ, जुगाड़ लगाकर इसी जिले की राह पकड़ ली. बड़े नेताओं और अधिकारियों का हाथ होने की वजह से हर समय सिंघम अंजाम में काम करते हैं कोतवाल साहब. गुरुवार की शाम को अतिक्रमण हटाने के नाम पर वे नगर के पुराने पत्रकार कृष्‍णकांत गुप्‍ता की दुकान पर पहुंचे. अपने अंदाज में पत्रकार की ऐसी तैसी करने लगे.

बताया जाता है कि पत्रकार ने जब उन्‍हें शालीन तरीके से बात करने की नसीहत देने हुए खुद को पत्रकार होने की जानकारी दी तो कोतवाल साहब भड़क गए. गाजी ग्‍लौज करते हुए उन्‍होंने कहा कि यहां वे केवल तीन पत्रकारों को जानते हैं. चौथा कोई पत्रकार नहीं है यहां. उन्‍होंने वहां खड़े कुछ अन्‍य पत्रकारों से भी बदतमीजी की. कृष्‍णाकांत ने जब उनके इस अंदाज का विरोध किया तो कोतवाल भड़क गए. उन्‍हें मारते-पीटते कोतवाली ले जाने लगे. इस बात की जानकारी जब नगर के अन्‍य पत्रकारों को हुई तो वे मौके पर पहुंच गए और कृष्‍णकांत को कोतवाली ले जाने का विरोध किया. 

दबाव पड़ने के बाद कोतवाल ने अकारण पकड़े गए कृष्‍णकांत को छोड़ दिया. दूसरी तरफ पत्रकार कोतवाल के इस रवैये से नाराज हो गए. इन लोगों ने अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ कार्रवाई को लेकर रेलवे स्‍टेशन के पुराने गेट के पास धरना दे दिया. सूचना मिलने पर कोतवाल फिर मौके पर पहुंच गए. उन्‍होंने पत्रकारों को समझाने-बुझाने की बजाय मां-बहन की गाली देते हुए औकात दिखाने की बात कहकर मामले को बिगाड़ दिया. वे धरने पर बैठे लोगों से बुरी तरह उलझ गए. धमकी देने लगे. धरने पर बैठे लोग भी कोतवाल से तेज आवाज में कहासुनी करने लगे. विवाद दोनों तरफ से बढ़ गया. 

चंदौली के सीओ राजेश तिवारी की शह पाकर ऊंची पहुंच रखने वाले कोतवाल ने आव देखा ना ताव पत्रकारों पर लाठीचार्ज करवा दिया. पूरे बाजार में भगदड़ मच गई. लोग जान बचाकर इधर उधर भागने लगे. पुलिस की लाठीचार्ज में पत्रकार कृष्‍णकांत गुप्‍ता, संदीप कुमार, कमलेश तिवारी, राजीव गुप्‍ता, विनोद पाल, राजेश कुमार, बृजेश कुमार, कमलजीत सिंह समेत कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. पुलिस गुंडागर्दी दिखाते हुए कृष्‍णकांत, राजीव गुप्‍ता, शैलेंद्र गुप्‍ता, आनंद कुमार समेत कई लोगों को पकड़कर थाने ले गई. सूचना दिए जाने तक सभी लोग पुलिस की हिरासत में रखे गए थे.

दूसरी तरफ इस पूरे में मामले में मुगलसराय के इलेक्‍ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों की भूमिका संदिग्‍ध रही. धरना दे रहे मीडियाकर्मियों का आरोप है कि चैनल के पत्रकारों ने प्रायोजित तरीके से इन पर पुलिस से हमला करवाया. यहां लंबे समय से मीडिया में गुटबाजी है. इस ख‍बर का न्‍यूज चैनलों पर ना चलना भी इस बात की पुष्टि करता है. बताया जा रहा है कि लाठीचार्ज के दौरान चैनलों के स्ट्रिंगरों का कैमरा बंद रहा. इस मामले की शिकायत पत्रकारों ने मोबाइल पर प्रमुख सचिव गृह नीरज गुप्‍ता से किया. जिस पर उन्‍होंने ऊचित कार्रवाई किए जाने का आश्‍वासन दिया.

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Comments on “मुगलसराय में कोतवाल के खिलाफ धरनारत पत्रकारों पर लाठीचार्ज, कई घायल

  • JIS PATRKAAR NE BHID KA FAYADA UDHA KAR PATRKARO KI LADAI KA BIDA UTHAYA HAI AAP KO JAAN KAR HAIRANI HOGI USHI PATRKAAR NE KRISHANA GUPTA KE KHILAF GT ROAD PAR ATIKRAMAN KI SHIKAYAT NAGARPALIKA MUGALSARAI ME KI HAI MAMLA KAREEB EK MAHINE KA HAI ……SAVAL YE HAI KI KOTWALI ME DALALI CHANE KE LIYE POLICE PAR DABAV BANANA AUR SIDHI SADI JANTA KO MILAKAR APNI DUKAAN CHALANA KAHA TAK THIK HAI????

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  • जिस पत्रकार ने मुगलसराय में कोतवाल के आतंक का विरोध वह सिफ अतिक्रमण का ही विरोधी नहीं हैं उसके कृष्णा गुप्ता के खिलाफ मांगे गये आरटीआई से ही साबित होता है कि वह अतिक्रमण का भी विरोधी। उसने कोतवाल के दबंगई व मानवाधिकयार के उल्लंघन के साथ ही सुप्रिम कोर्ट के निर्देशों के उल्लंघन करने पर कोतवाल के खिलाफ तो क्या किसी के खिलाफ लड़ाई लड़ने का कार्य किया है। जो चाटुकार पत्रकार हैं दल्ला हैा जिनका दिनभर थाना कोतवाली या अस्पताल या जीआरपी में ही घरद्वार हो या उन्ही लोगों से घर का खर्च चल रहा हो चाहे बच्चे के दवा के नाम पर या चाय पान के नाम पर कोतवाल से या सिपाही से या कियी अधिकारी से या कैमरा बनाने के नाम पर धन उगाही में लगा हो वही कोतवाल या किसी वैसे अधिकारी के गलत कृत्यों का समर्थन कर सकता है।राजीव गुप्ता का दूसरा अभियान उन पत्तलचटुओं पत्रकार के खिलाफ ही है जो पत्रकारिता जगत में गंदगी फैला रहे हैं या कहां जाना कहीं से गलत नहीं होगा कि वे लोग पत्रकारिता जगत के कोढ़ हैं। उनका सफाया ही अगला लक्ष्‍य है। पहले तो उनलोगों को जिनलोगो ने ऐन केन प्रकारेण कई आईडी प्राप्त कर ली है और भैाकाल बना रहे हैं उसके बाद उनलोगो का जिनलोगों ने गलत तरीके से मान्यता भी हासिल कर रखी है। उनकी भी मान्यता रद्द करवानी है। मुहिम छेड़ा जायेगा।

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