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साहित्य

नए दौर का फ़लसफा है विजय विनीत की किताब ‘मैं इश्क लिखूं, तुम बनारस समझना’

विजय विनीत-

प्रिय साथी, सादर नमस्कार..आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। मेरी नई कृति “मैं इश्क लिखूं, तुम बनारस समझना” को जिस प्रकार से आपने हाथों हाथ लिया, उसके लिए मैं आप सभी का शुक्रगुजार हूँ। चंद दिनों में ही हमारी पुस्तक की बंपर बिक्री इस बात का प्रमाण है कि आप सभी ने इसे अपने दिलों में एक खास जगह दी है।

आपके इस असीम स्नेह और समर्थन ने मुझे अत्यधिक प्रेरणा और ऊर्जा दी है। आपके उत्साहवर्धक शब्द और सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ मुझे हमेशा बेहतर लिखने के लिए प्रेरित करती रहेंगी। मेरे लेखन का सफर आपके बिना अधूरा है। आपकी सराहना और समर्थन ही मेरी सच्ची उपलब्धि है। मुझे आशा है कि भविष्य में भी आप ऐसे ही मेरी कृतियों को अपना प्रेम और समर्थन देते रहेंगे। पुनः एक बार आप सभी का दिल से धन्यवाद।

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देश के जाने-माने साहित्यकार ओम निश्चल जी ने हमारी पुस्तक को सराहा है। ओम जी के हाथ में “मैं इश्क लिखूं तुम बनारस समझना।”


आप क्यों पढ़ें “मैं इश्क लिखूं, तुम बनारस समझना”?

ये एक ऐसा कहानी संग्रह है जो न केवल शब्दों की गहराई को छूता है, बल्कि बनारसी इश्क के मधुर और भावपूर्ण संसार का अर्थ भी प्रस्तुत करता है। यह संग्रह एक अद्वितीय साहित्यिक अनुभव प्रदान करता है, जो पाठकों को भारतीय संस्कृति और विशेष रूप से बनारस की धरोहर के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराता है।

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“मैं इश्क लिखूं, तुम बनारस समझना” की हर कहानी के पात्रों को इंसान अपने जीवन का हिस्सा मानने लगता है। कहानियाँ न केवल प्रेम के विभिन्न रंगों को दर्शाती हैं, बल्कि बनारस की गलियों, घाटों और संस्कृति की जीवंत छवियाँ भी प्रस्तुत करती हैं। यह संग्रह हमें दिखाता है कि कैसे एक स्थान और उसकी सांस्कृतिक विरासत किसी व्यक्ति के प्रेम को आकार दे सकती है।

“मैं इश्क लिखूं, तुम बनारस समझना” कहता है कि प्रेम को समझने के लिए आपको बनारस को समझना होगा। यह एक अद्वितीय दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है जहाँ प्रेम और बनारस दोनों ही एक-दूसरे के पर्याय बन जाते हैं। कहानियों की शैली इतनी प्रभावी है कि पाठक हर दृश्य को अपनी आँखों के सामने देख सकते हैं। शब्दों के जरिये ही सही आप बनारस की तंग गलियों, पवित्र घाटों और वहाँ की विशिष्ट संस्कृति की सैर कर सकते हैं।

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“मैं इश्क लिखूं, तुम बनारस समझना” एक ऐसा कहानी संग्रह है जो साहित्य प्रेमियों को अवश्य पढ़ना चाहिए। यह न केवल प्रेम की कहानियाँ सुनाता है, बल्कि बनारस की आत्मा को भी उजागर करता है। यदि आपने इस संग्रह को नहीं पढ़ा है, तो यह समझ लीजिए कि आपने हिंदी साहित्य में बहुत कुछ खो दिया है। यह संग्रह वास्तव में शब्दों की गहराई और बनारसी इश्क का सही मायनों में प्रतिनिधित्व करता है।

और अंत में….
उनकी मुहब्बत के कर्जदार रहेंगे हम…।
जिसने यह जानते हुए इश्क किया कि
उसके हिस्से में कभी नहीं लिखे जाएंगे हम…।

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पाठकों ने खूब सराहा “मैं इश्क लिखूं, तुम बनारस समझना” अप्रत्याशित सफलताः हमारे कहानी संग्रह “मैं इश्क लिखूं तुम बनारस समझना” ने अप्रत्याशित सफलता प्राप्त की है, जिसने हमें अत्यंत उत्साहित किया है। यह पुस्तक पाठकों के बीच चर्चा का विषय बन गई है, और इसकी सफलता ने साहित्यिक जगत में एक नई छाप छोड़ी है।

मैं इश्क लिखूं, तुम बनारस समझना” अलग क्यों?
नए दौर की कहानियों में न कल्पना, न चिंतन, न शैली शैष्ठव, न भाव, न भाषा है। बस शारीरिक भोग-विलास और व्यर्थ की बातें हैं। आजकल के ज्यादातर लेखक जो कुछ लिख रहे हैं वो दूसरों को धोखा देने के लिए लिख रहे हैं। जो लोग तलवार की नोक पर चलने का हौसला रखते हैं, वही लिख पाते हैं सच्ची प्रेम कहानियां। ये कहानियां तभी लिखी जा सकती हैं जब लेखक चिंतन करता है और वो कल्पनाशील हो। दिल में गरिमा और संयत भावनाएं उपजती हों।

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पुस्तक की थीम
यह कहानी संग्रह बनारस की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में विभिन्न प्रेम कहानियों को प्रस्तुत करता है। बनारस के घाट, गलियों, और धार्मिक स्थलों की पृष्ठभूमि में प्रेम कहानियों का अनूठा संगम इस पुस्तक को विशेष बनाता है।

सफलता के प्रमुख कारण

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  1. संवेदनशील लेखन : पुस्तक की संवेदनशील और दिल को छू लेने वाली कहानियों ने पाठकों को गहरे तक प्रभावित किया है।
  2. जीवंत चित्रण : बनारस की गलियों, घाटों, और वहां के जीवन का सजीव चित्रण पाठकों को ऐसा महसूस कराता है मानो वे स्वयं वहां मौजूद हों।
  3. प्रामाणिकता और भावनात्मक जुड़ाव : पुस्तक में भावनाओं का प्रामाणिकता के साथ चित्रण किया गया है, जिसने पाठकों को अपनी ही कहानियों की झलक दिखा दी है।
  4. विविधता : संग्रह में विविध प्रकार की प्रेम कहानियों को शामिल किया गया है, जिससे यह हर आयु और वर्ग के पाठकों के लिए रुचिकर बन गई है।

पाठकों की प्रतिक्रिया
पाठकों ने इस संग्रह को अत्यंत प्रेरणादायक और मनोरंजक पाया है। सोशल मीडिया पर सकारात्मक समीक्षाओं और प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है, जिससे इसकी लोकप्रियता और भी बढ़ गई है। पाठकों ने इसे अपने जीवन के अनुभवों से जोड़कर देखा है, जिससे इसका प्रभाव और भी बढ़ गया है। “मैं इश्क लिखूं तुम बनारस समझना” की अप्रत्याशित सफलता ने यह सिद्ध कर दिया है कि सही भावनाओं और संस्कृति के मेल से प्रस्तुत की गई कहानियाँ पाठकों के दिलों को गहराई से छू सकती हैं। इस संग्रह की सफलता ने हमें और भी उत्साहित किया है और यह हमारे लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गई है।

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