Connect with us

Hi, what are you looking for?

आवाजाही

सहारा प्रबंधन ने अपने स्थानीय संपादक मनोज तोमर को डिमोट किया

नोयडा : राष्ट्रीय सहारा प्रबंधन ने अपने लखनऊ एडीशन के स्थानीय संपादक मनोज तोमर को डिमोट कर दिया है. सहारा मीडिया के पूर्व सीईओ उपेन्द्र राय ने पांच माह पूर्व लखनऊ एडीशन के स्थानीय संपादक मनोज तोमर को दो रैंक पदोन्नति देकर सीनियर एक्जक्यूटिव से मैनेजर रैंक प्रदान करते हुए नोयडा स्थानांतरित कर दिया था. इस स्थानांतरण से दुखी श्री तोमर ने सहारा नोयडा में ज्वाइन तो किया, लेकिन कुछ ही दिन बाद सहारा से त्यागपत्र देकर वापस लखनऊ लौट आये. बाद में उन्होंनेललखनऊ में दूसरा मीडिया ग्रुप ज्वाइन कर लिया.

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p>नोयडा : राष्ट्रीय सहारा प्रबंधन ने अपने लखनऊ एडीशन के स्थानीय संपादक मनोज तोमर को डिमोट कर दिया है. सहारा मीडिया के पूर्व सीईओ उपेन्द्र राय ने पांच माह पूर्व लखनऊ एडीशन के स्थानीय संपादक मनोज तोमर को दो रैंक पदोन्नति देकर सीनियर एक्जक्यूटिव से मैनेजर रैंक प्रदान करते हुए नोयडा स्थानांतरित कर दिया था. इस स्थानांतरण से दुखी श्री तोमर ने सहारा नोयडा में ज्वाइन तो किया, लेकिन कुछ ही दिन बाद सहारा से त्यागपत्र देकर वापस लखनऊ लौट आये. बाद में उन्होंनेललखनऊ में दूसरा मीडिया ग्रुप ज्वाइन कर लिया.</p>

नोयडा : राष्ट्रीय सहारा प्रबंधन ने अपने लखनऊ एडीशन के स्थानीय संपादक मनोज तोमर को डिमोट कर दिया है. सहारा मीडिया के पूर्व सीईओ उपेन्द्र राय ने पांच माह पूर्व लखनऊ एडीशन के स्थानीय संपादक मनोज तोमर को दो रैंक पदोन्नति देकर सीनियर एक्जक्यूटिव से मैनेजर रैंक प्रदान करते हुए नोयडा स्थानांतरित कर दिया था. इस स्थानांतरण से दुखी श्री तोमर ने सहारा नोयडा में ज्वाइन तो किया, लेकिन कुछ ही दिन बाद सहारा से त्यागपत्र देकर वापस लखनऊ लौट आये. बाद में उन्होंनेललखनऊ में दूसरा मीडिया ग्रुप ज्वाइन कर लिया.

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस बीच श्री तोमर ने सहारा पर तरह-तरह से दबाव बनाकर अपना सारा बकाया और पीएफ आदि का भुगतान ले लिया, जबकि दूसरे सहारा छोड़ने वाले कर्मचारियों का अभी तक भुगतान लम्बित पड़ा है. इस बीच सुब्रत राय के जेल से छूटने के बाद श्री तोमर ने उनसे मिलकर सहारा छोड़ने के लिये माफी मांगी और दोबारा सहारा ज्वाइन करने का अनुरोध किया. इस पर श्री राय ने अनुमति दे दी. इस पर श्री तोमर ने आनन-फानन में सहारा नोयडा में ज्वाइन कर लिया और फिर लखनऊ के स्थानीय संपादक पद पर अपना स्थानान्तरण करा लिया.

इस बीच लखनऊ में तैनात स्थानीय संपादक दयाशंकर राय ने इसका जबरदस्त विरोध किया, लेकिन उनकी किसी ने एक न सुनी. इधर जब सहारा प्रबंधन ने पूर्व सीईओ उपेन्द्र राय के तमाम कामों पर दोबारा विचार किया और उनके कई निर्णयों पर रोक लगा दी. इसी बीच श्री तोमर के खिलाफ किसी सहारा मीडिया के कर्मचारी ने उच्च प्रबंधन ने शिकायत कर दी. जिस पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए सहार प्रबंधन ने उपेन्द्र राय द्वारा पूर्व में दिये गये दो रैंक पदोन्नति को निरस्त कर दिया. प्रबंधन के इस निर्णय के बाद श्री तोमर अब फिर से सीनियर एक्जक्यूटिव हो गये है.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. नारद

    July 29, 2016 at 6:52 pm

    यह तो होना ही था। वैसे सहारा में कुछ भी संभव है। सहारा के बारे में पत्रकारिता क्षेत्र में एक चर्चा आम है वह यह कि यहां पर फ्यूज बल्ब भी जल जाते हैं।

  2. kumar kalpit

    July 30, 2016 at 6:48 pm

    सहारा श्री के नाम खुला पत्र… हे परम आदरणीय प्रातः स्मरणीय (अगर प्रातः स्मरणीय न होते तो मुझे पागल कुकुर ने नहीं काट रखा है कि मैं सुबह 4 बजकर 51 मिनट पर यह कमेंट लिखता ।) बहरहाल, पटवारी से पत्रकार बने मनोज तोमर को आपने यूं ही नहीं हटाया आदतन आपने ” एक तीर से कई निशाने साधे हैं । लगे हाथ आपको याद दिला दें कि मनोज तोमर अगर इस पद के योग्य नहीं थे वैसे यह तोमर जी भी स्वीकार करते होंगे कि वे तत्कालीन दर्जनों वरिष्ठ अनिल पांडेय, दयाशंकर राय, अशोक शुक्ला, प्रेमेन्द्र श्रीवास्तव, प्रभाकर शुक्ला, अभयानंद शुक्ला को रौंदते हुए यहां तक पहुंचे नहीं पहुंचाये गए। वैसे आपके याददाश्त को घुन नहीं लगा होगा फिर भी आपको याद दिला देंं। आपने डस्टविन से झाड-पोंछकर रणविजय सिंह , स्वतंत्र मिश्र और गोविंद दीक्षित को जहाँ से जहां पहुंचा दिया क्या वो इस पद के काबिल थे।

    याद करिये अपने उस आदेश को (जिसे नोटिस बोर्ड पर मैंने भी पढा था) जब आपने अपने इन दोनों “जमूरों ” को अदना (अपमान के लिए नहीं) से रिपोर्टर होते हुए प्रबंधक और सम्पादक बना दिया और ये आदेश चस्पा करा दिया कि अनिल पांडेय रणविजय सिंह को और रामाज्ञा तिवारी स्वतंत्र मिश्र का सहयोग करेंगे। इस तरह का शायद ही किसी ने दिया हो “शेखचिल्ली” को छोड़ कर।
    अब यदि उपेन्द्र राय ने गलत किया तो क्या बुरा किया। जब आप संवादसूत्र रहे उपेन्द्रर को सर्वेसर्वा बना सकते हैं तो उपेन्द्र फोटोग्राफर रहे जितेन्द्र नेगी को राष्ट्रीय सहारा देहरादून का स्थानीय संपादक क्यों नहीं बना सकते। आखिर आपने ही तो परिपाटी डाली है। क्या श्री राय (आप नहीं) उस पद के योग्य थे) प्रसंगवश विजय राय विजय ही क्यों नशीद जोशी, राजीव सक्सेना, श्याम सारस्वत, मनीषा, कलाम खान, रमेश अवस्थी, अजीम (आपके दोनों पुत्रों में से किसी एक के दोस्त और…..) क्या जो भी बनाये गए उसके योग्य थे। आपने क्रमशः राजीव सक्सेना और विजय राय को तमाम आरोप लगाते/लगवाते हुए निकाल बाहर किया फिर बाद में रख लिया क्यों ? निकाला फिर रखा तो फिर उन आरोपों का क्या हुआ? यदि आप गलत थे तो आरोप लगाने वालों को दंडित क्यों नहीं किया? यदि आप गलत थे आपका फैसला गलत था तो प्रायश्चित क्यो नहीं किया?

    हे सहारा श्री ऐसे कितनों को हटायेगे पूरा संस्थान खाली हो जाएगा। चलिये एक शेर के साथ अपनी बात को समाप्त करते हैं
    “बरबाद गुलिश्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी है।
    अंजाम गुलिश्तां क्या होगा हर शाख पर उल्लू बैठा है ।।

    अपना नाम इसलिए नहीं दे रहा हूं कि जब दिल्ली के सीएम केजरीवाल को डर सता सकता है कि पीएम उसकी जान ले सकते हैं तो मेरी क्या औकात। कहा-सुना माफ करियेगा। वैसे भी कबीरदास जी ने कहा है “क्षमा बड़न को चाहिए छोटन को “खुराफात”
    आपका
    कुमार कल्पित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement