25 दिसम्बर 2016 को गांव गांव जलाई जायेगी मनुस्मृति और 3 जनवरी 2017 को जयपुर में होगा मनु मूर्ति हटाने का आन्दोलन… जिसने असमानता की क्रूर व्यवस्था को संहिताबद्ध किया, जिसने शूद्रों और महिलाओं को सारे मानवीय अधिकारों से वंचित करने का दुष्कर्म करते हुये एक स्मृति रची, जिसके प्रभाव से करोडों लोगों की जिन्दगी नरक में तब्दील हो गई. जिसने वर्ण और जाति नामक सर्वथा अवैज्ञानिक, अतार्किक और वाहियात व्यवस्था को अमलीजामा पहनाया. जिसकी दी हुई सामाजिक व्यवस्था ने किसी को कलम पकड़ाई तो किसी को झाड़ू थामने को मजबूर कर दिया. ऐसे कलम कसाई द्वारा लिखी गई मनुस्मृति को आग के हवाले करने में कैसी झिझक? कैसा डर?
हां, मैं संविधान का समर्थक हूं, इसलिये मनुस्मृति का विरोधी हूं. इस काली किताब को मैं राख में बदल देना चाहता हूं. मैं इस शैतानी किताब को सरेआम जलाना चाहता हूं, ठीक उसी तरह, जैसे बाबा भीम ने उसे अग्नि के हवाले किया था. मेरा तमाम मानवता पसंद नागरिकों से भी अनुरोध है कि वे मनु, मनुवृति और मनुस्मृति सबके खिलाफ अपनी पूरी ताकत से उठ खड़े हों.
राजस्थान के जयपुर उच्च न्यायालय में मनु की मूर्ति शान से खड़ी है, जबकि संविधाननिर्माता को हाई कोर्ट के बाहर एक कोने में धकेल दिया गया है. पूरे देश में ऐसा एकमात्र उदाहरण है, जहां न्याय के मंदिर में ही अन्याय के देवता की प्रतिमा प्रस्थापित है. यह मूर्ति सिर्फ मूर्ति नहीं है, यह अन्याय, अत्याचार और भेदभाव के प्रतीक को स्वीकारने जैसा है. यह राष्ट्रीय शर्म की बात है.
26 अक्टूबर 2016 को गुजरात उना दलित अत्याचार लड़त समिति के संयोजक जिग्नेश मेवानी की मौजूदगी में जयपुर में जुटे मानवतावादी लोगों ने एक आर पार की लड़ाई का ऐलान किया है कि या तो मनुवाद रहेगा या मानवतावाद. हम मनु की मूर्ति को हटाने का प्रचण्ड आन्दोलन करेंगे. यह आन्दोलन जयपुर में केन्द्रित होगा, लेकिन यह एक राष्ट्रव्यापी आन्दोलन का आगाज है. आगामी 25 दिसम्बर 2016 मनुस्मृति दहन दिवस से राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से मनुवाद विरोधी यात्राएं प्रारम्भ होकर 3 जनवरी 2017 सावित्री बाई फुले जयंती के मौके पर जयपुर पहुंचेगी, जहां पर मनु मूर्ति के विरोध में महासम्मेलन और आक्रोश रैली आयोजित होगी.
उम्मीद की जा रही है कि देश के हर राज्य से भी साथी एक रैली के रूप में निकलेंगे और अपने अपने राज्य में घूमते हुये तीन जनवरी सावित्रीबाई फुले की जयंति पर जयपुर पहंचेंगे, जहां पर सब रैलियों का महासंगम हो कर एक रैला बन जाये.
लेखक भंवर मेघवंशी मनु प्रतिमा विरोधी जन आन्दोलन के साथ सक्रिय हैं. उनसे [email protected] पर सम्पर्क किया जा सकता है.