Connect with us

Hi, what are you looking for?

उत्तर प्रदेश

ठंडी पड़ी माया-मुलायम को एक करने की कोशिशे

महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी और बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन टूटने की चर्चा आजकल खूब हो रही है। इसी तरह से हरियाणा में भी बीजेपी और हरियाणा जनहित कांग्रेस के बीच समझौता टूट गया है। दोनों ही राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं इसलिये वहां की सियासत पर सबकी नजर लगी हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश की ओर किसी का ध्यान नहीं गया जहां हाल में हुए उप-चुनाव के नतीजों ने एक गठबंधन की संभावना ने ‘गर्भ’ में ही दम तोड़ दिया, जिसको लेकर लोकसभा चुनाव के बाद काफी कयास लगाये जा रहे थे।

<p>महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी और बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन टूटने की चर्चा आजकल खूब हो रही है। इसी तरह से हरियाणा में भी बीजेपी और हरियाणा जनहित कांग्रेस के बीच समझौता टूट गया है। दोनों ही राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं इसलिये वहां की सियासत पर सबकी नजर लगी हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश की ओर किसी का ध्यान नहीं गया जहां हाल में हुए उप-चुनाव के नतीजों ने एक गठबंधन की संभावना ने ‘गर्भ’ में ही दम तोड़ दिया, जिसको लेकर लोकसभा चुनाव के बाद काफी कयास लगाये जा रहे थे।</p>

महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी और बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन टूटने की चर्चा आजकल खूब हो रही है। इसी तरह से हरियाणा में भी बीजेपी और हरियाणा जनहित कांग्रेस के बीच समझौता टूट गया है। दोनों ही राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं इसलिये वहां की सियासत पर सबकी नजर लगी हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश की ओर किसी का ध्यान नहीं गया जहां हाल में हुए उप-चुनाव के नतीजों ने एक गठबंधन की संभावना ने ‘गर्भ’ में ही दम तोड़ दिया, जिसको लेकर लोकसभा चुनाव के बाद काफी कयास लगाये जा रहे थे।

बिहार के कई भाजपा विरोधी नेताओं ने इस गठबंधन को लेकर खूब बयानबाजी भी की थी। असल में लोकसभा चुनाव में भाजपा के हाथों मिली करारी हार के बाद लालू-नितीश ने हाथ मिला लिया था। जनता दल युनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल ने मिलकर उप-चुनाव लड़ा। दोनों के साथ आने का परिणाम यह हुआ कि भारतीय जनता पार्टी उप-विधान सभा चुनाव में लोकसभा वाला अजूबा दोहरा नहीं पाई थी। इसी के बाद लालू यादव और जनता दल युनाइटेट के नेताओं ने बयान देना शुरू कर दिया था कि बिहार की तरह यूपी में भी भाजपा को रोकने के लिये माया-मुलायम एक हो जायें।

Advertisement. Scroll to continue reading.

हालांकि कांगे्रस के लिये भी इस तरह के किसी भी समझौते में थोड़ी जगह छोड़ी गई थी, लेकिन उसका रोल छोटे भाई जैसा ही था। गैर भाजपाई नेताओं की बेचैनी का आलम यह था कि लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार से हताश सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने तो बिना समय खराब किये लालू के बयान पर यहां तक कह दिया कि लालू बसपा सुप्रीमों मायावती को हमारे पास ले आयें, हम गठबंधन के लिये तैयार हैं। मुलायम के बयान के बाद बसपा-सपा के करीब आने की अटकलें लगाना शुरू हो गईं थीं लेकिन मायावती ने तीखे तेवर अपनाते हुए ऐसे किसी समझौते की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया।

माया ने यहां तक कहा कि जो हमारे साथ हुआ, वैसा ही लालू यादव के घर कि किसी महिला के साथ होता तो भी वह ऐसी ही बातें करते। यह और बात थी कि इसके बाद भी लालू के हौसले पस्त नहीं पड़े और वह जोरदार तरीके से कहते रहे कि बसपा-सपा को करीब लाने की उनकी मुहिम जारी रहेगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

लालू की बातों को राजनैतिक पंडित गंभीरता से ले रहे थे। सभी यह मान कर चल रहे थे कि उप-चुनाव के नतीजे आने के बाद जरूर दोनों दल गठबंधन को मजबूर हो जायेंगे। परंतु उप-चुनाव के नतीजों ने समाजवादी पार्टी और उसके शीर्ष नेतृत्व को नई उर्जा प्रदान कर दी। उप-चुनाव में 11 में से 08 विधान सभा सीटें जीत कर समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को लेकर फैला भ्रम दूर कर दिया। सपा को शानदार जीत मिली तो उसके नेताओं की भाषा बदल गई।

कल तक सपाई, बसपा के साथ समझौते की बात कर रहे थे और बसपाई ऐसी किसी संभावना से इंकार कर रहे थे, लेकिन अब समाजवादी नेता बसपा के साथ किसी तरह के समझौते को कोरी अफवाह बताते हुए कहे फिर रहे हैं कि भाजपा की साम्प्रदायिक राजनीति का मुकाबला सिर्फ समाजवादी पार्टी ही कर सकती है। सपा नेता कहते हैं कि भाजपा की साम्प्रदायिकता के खिलाफ हमेशा ही धर्मनिरपेक्ष वोटरो ने समाजवादी पार्टी का साथ दिया था, लेकिन लोकसभा चुनाव के समय यह वोटर मायावती की बातों में फंस कर भटक गये, जिसके चलते भाजपा की पांचों उंगलिया घी में हो गईं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

केन्द्र में भाजपा की सरकार बनते ही भाजपाई नेता दंगा-फसाद में लग गये। पूरे प्रदेश का साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ दिया,इसका परणिाम यह हुआ कि लोकसभा चुनाव के समय भाजपा के साथ खड़े वोटर पाला बदल कर समाजवादी पार्टी के साथ आ गये और सपा ने उप-चुनाव में भाजपा को चारो खानें चित कर दिया। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी कहते हैं कि जो लोग 2017 में जीत का सपना देख रहे थे उनकी हकीकत सौ दिनों मे ही सामने आ गई। भाजपा के साथ बसपा पर भी हमलावार होते हुए श्री चैधरी ने कहा कि जनाधार खोने से बौखलाए बसपाई नेता धार्मिक द्वेष फैलाने लगे हैं। हार ने बसपा सुप्रीमों मायावती और स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे कथित बड़े नेताओं की मती फेर दी है।

खैर, उप-चुनाव के नतीजे भारतीय जनता पार्टी के लिये इस लिहाज से जरूर सुकून देने वाले रहे कि बीजेपी की हार के बाद यूपी में गैर भाजपाई दल गठजोड़ का मामला खटाई में पड़ गया है। इसका फायदा भाजपा को 2017 के विधान सभा चुनाव में मिल सकता है। भाजपा को पता है कि वह सपा-बसपा या कांग्रेस से तब ही तक मुकाबला कर सकती है, जब तक कि तीनों एक नहीं हैं। क्योंकि ‘बंद मुटृठी लाख की और खुली खाक की’ होती है। यूपी के उप-चुनाव के नतीजों के बाद लालू और जदयू नेताओं ने भी यह मान लिया है कि अब यूपी में माया-मुलायम को एक छतरी के नीचे नहीं लाया जा सकता है।

 

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेखक अजय कुमार लखनऊ में पदस्थ हैं और यूपी के वरिष्ठ पत्रकार हैं। कई अखबारों और पत्रिकाओं में वरिष्ठ पदों पर रह चुके हैं। अजय कुमार वर्तमान में ‘चौथी दुनिया’ और ‘प्रभा साक्षी’ से संबद्ध हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement