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मेरठ में इंसानों के बीच बार-बार क्यों घुस आ रहा तेंदुआ (देखें वीडियो)

मेरठ में करीब 25 महीने पहले 10 दिन तक तेंदुए का खौफ रहा था. बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया था और दुकानदारों ने दुकान समेट ली थी. मेरठ के छावनी क्षेत्र में 25 महीने पहले आए तेंदुए के कारण जो दहशत का माहौल बना था, वह कल से फिर शुरू हो गया. असल में कल मिलिट्री हास्पिटल में तेंदुआ देखा गया. हास्पिटल के सी ब्लाक के सघन पेड़ों के बीच तेंदुआ बैठा रहा. वन विभाग के स्टाफ और एक्सपर्ट के सामने समस्या यह थी कि पेड़ पर बैठे तेंदुए की सिर्फ बैक बोन दिख रही थी. ट्रंकुलाइज केवल शोल्डर और हिप पर किया जाता है. बैक बोन पर शूट किया गया तो पैरालाइसिस हो सकता है. पेड़ पर बैठने के बाद तेंदुए ने अपना पोश्चर नहीं बदला.

<p>मेरठ में करीब 25 महीने पहले 10 दिन तक तेंदुए का खौफ रहा था. बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया था और दुकानदारों ने दुकान समेट ली थी. मेरठ के छावनी क्षेत्र में 25 महीने पहले आए तेंदुए के कारण जो दहशत का माहौल बना था, वह कल से फिर शुरू हो गया. असल में कल मिलिट्री हास्पिटल में तेंदुआ देखा गया. हास्पिटल के सी ब्लाक के सघन पेड़ों के बीच तेंदुआ बैठा रहा. वन विभाग के स्टाफ और एक्सपर्ट के सामने समस्या यह थी कि पेड़ पर बैठे तेंदुए की सिर्फ बैक बोन दिख रही थी. ट्रंकुलाइज केवल शोल्डर और हिप पर किया जाता है. बैक बोन पर शूट किया गया तो पैरालाइसिस हो सकता है. पेड़ पर बैठने के बाद तेंदुए ने अपना पोश्चर नहीं बदला.</p>

मेरठ में करीब 25 महीने पहले 10 दिन तक तेंदुए का खौफ रहा था. बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया था और दुकानदारों ने दुकान समेट ली थी. मेरठ के छावनी क्षेत्र में 25 महीने पहले आए तेंदुए के कारण जो दहशत का माहौल बना था, वह कल से फिर शुरू हो गया. असल में कल मिलिट्री हास्पिटल में तेंदुआ देखा गया. हास्पिटल के सी ब्लाक के सघन पेड़ों के बीच तेंदुआ बैठा रहा. वन विभाग के स्टाफ और एक्सपर्ट के सामने समस्या यह थी कि पेड़ पर बैठे तेंदुए की सिर्फ बैक बोन दिख रही थी. ट्रंकुलाइज केवल शोल्डर और हिप पर किया जाता है. बैक बोन पर शूट किया गया तो पैरालाइसिस हो सकता है. पेड़ पर बैठने के बाद तेंदुए ने अपना पोश्चर नहीं बदला.

मंगलवार देर रात मेरठ के सैन्य अस्पताल से भागे तेंदुए ने बुधवार को सेना क्षेत्र में जमकर कोहराम मचाया. सवेरे से अब तक तेंदुए के हमले में कम से कम आधा दर्जन लोगों के घायल होने की सूचना है. मंगलवार को सेना अस्पताल में सवेरे करीब पौने आठ बजे पहली बार उस समय तेंदुआ देखा गया था जब अस्पताल के हेल्थ इंस्पेक्टर विष्णु तिवारी अपने ऑफिस का ताला खोल रहे थे. वह तेंदुए के हमले में बाल बाल बच गए थे. भागने के दौरान तेंदुए के पंजे में चोट आ गयी थी. कुछ देर गायब रहने के बाद करीब 12 बजे तेंदुए को अस्पताल में ही एक पीपल के पेड़ पर देखा गया था.

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तेंदुए को पकड़ने के लिए दिल्ली और बरेली से आयी टीमों ने रात करीब एक बजे डीएम और एसएसपी की मौजूदगी में उस पर ट्रेंकुलाइजर का शॉट मारा. इसके बाद भी वह दीवार फांद कर भाग गया था. अफसरों ने 3 बजे के बाद सर्च अभियान बंद कर दिया था. बुधवार सवेरे तेंदुए के मिलिट्री क्वार्टर की 4 नंबर नयी बिल्डिंग में छिपे होने की जानकारी मिलते ही सेना और प्रशासन की टीम वन विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंच गयी। परिसर सील कर दिया गया है. एक कमरे में छिपे तेंदुए ने बाहर निकल कर कई लोगोँ पर हमला भी किया. अब तक छह लोगोँ के घायल होने की जानकारी मिली है. सेना के जवान और वन विभाग की टीम तेंदुए को घेरने की कोशिश कर रहे हैँ. 4 घायलों को सुभारती अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

मेरठ हो या मुंबई, उत्तराखंड हो या उत्तर प्रदेश, हर जगह जंगली जीव इंसानों की बस्ती में घुस जा रहे हैं और एक बार नहीं, बार बार घुस रहे हैं. इसको लेकर सबकी चिंताएं बढ़ गई हैं. जंगल और वनों की कटान से ये जंगली जीव अब कहीं ठौर न मिलता देख इंसानी बस्ती में खाने के लालच में चले आ रहे हैं. कुत्ते, बकरी, मुर्गे आदि के लालच में ये जीव इंसानों के नजदीक पहुंच जा रहे हैं. इन्हें अब कहीं जंगल और जंगली जीव खाने को नहीं मिलता तो इंसानी बस्ती में इन्हें तलाशने चले आते हैं. अगर जल्द ही इन जंगली जीवों के लिए समुचित इंतजाम नहीं किया गया तो ये आदमखोर बनकर मनुष्यों को सजा चखाते रहेंगे.

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तेंदुए के इंसानी बस्ती में घुसने संबंधी वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें…

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https://www.youtube.com/watch?v=LR0yKYwfK-0

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