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नौ दिन से जंतर-मंतर पर जमे कैजुअलल एनाउंसर मामले में मोदी के मंत्री मौनी हुए

“तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख मिलती रही है लेकिन इंसाफ़ नहीं मिला,….मिली है तो सिर्फ ये तारीख … ” आकाशवाणी के कैज़ुअल एनाउंसर, ये सिर्फ नाम के कैज़ुअल हैं , क्योंकि इनकी ड्यूटी कैज़ुअल नहीं होती, एक एक सेकंड बहुत कीमती होता है, कोई पॉज़ न चला जाए, कोई उच्चारण दोष न हो, यानी हर पल चौकन्ना और सारा ध्यान स्मूथ ट्रांस्मीशन की तरफ।

<p>"तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख मिलती रही है लेकिन इंसाफ़ नहीं मिला,....मिली है तो सिर्फ ये तारीख ... " आकाशवाणी के कैज़ुअल एनाउंसर, ये सिर्फ नाम के कैज़ुअल हैं , क्योंकि इनकी ड्यूटी कैज़ुअल नहीं होती, एक एक सेकंड बहुत कीमती होता है, कोई पॉज़ न चला जाए, कोई उच्चारण दोष न हो, यानी हर पल चौकन्ना और सारा ध्यान स्मूथ ट्रांस्मीशन की तरफ।</p>

“तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख मिलती रही है लेकिन इंसाफ़ नहीं मिला,….मिली है तो सिर्फ ये तारीख … ” आकाशवाणी के कैज़ुअल एनाउंसर, ये सिर्फ नाम के कैज़ुअल हैं , क्योंकि इनकी ड्यूटी कैज़ुअल नहीं होती, एक एक सेकंड बहुत कीमती होता है, कोई पॉज़ न चला जाए, कोई उच्चारण दोष न हो, यानी हर पल चौकन्ना और सारा ध्यान स्मूथ ट्रांस्मीशन की तरफ।

एक सवाल आज उमड़ते घुमड़ते बादलों की तरह कौंध रहा है,कि एक अदना सा डायरेक्टर जनरल एक दिन एक ग़लत नीति को जो उसके द्वारा थोपी गयी, उस नीति को भारत भर के आकाशवाणी केंद्रों पर लागू करने के लिए जारी कर देता है। अब ग़लत क्योंकि ग़लत है तो कुछ आवाज़ें ये पूछती हैं कि सर ये तो ग़लत है, और बस काण्ड हो गया, आप एक कैज़ुअल एनाउंसर एक डायरेक्टर जनरल से पूछ बैठते हैं कि सर आप ग़लत कर रहे हैं और बस आपके नाम तुग़लकी फ़रमान निकाल दिया जाता है कि अशोक अनुराग की बुकिंग बंद।

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अशोक अनुराग अपना उमड़ता घुमड़ता गिरता पड़ता दर्द लेकर, मंत्री , सांसद, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, डायरेक्टर जनरल, डिप्टी डायरेक्टर जनरल और हर आला अधिकारी के पास जाता है लेकिन दामिनी फ़िल्म की तारीख मिली और मिला लॉलीपॉप वादा। हो जायेगा, हो रहा है, होने तो दो यार, अभी रुक जाओ, क्यों हड़बड़ी में हो,……. और एक दिन कैज़ुअल हो कैज़ुअल की तरह रहो, चुप चाप ड्यूटी करो घर जाओ, रेगुलर होने का सपना भूल जाओ, क्या करें एनाउंसर हैं ऐसे में मुकेश का दर्द भरा गीत बजा देंगे या स्टूडियो से बाहर हैं तो गुरु दत्त, जगजीत सिंह को याद कर लेंगें।

1 अगस्त 2016 से उम्मीद की शम्मा जलाये हम देश भर के कैज़ुअल एनाउंसर जंतर मंतर पर बैठे हैं, प्रेस रिलीज़ लिखते समय मैं जानता हूँ मेरे सभी कैज़ुअल एनाउंसर भाई बहन की यही कहानी है, मैंने दिल्ली में झेला आनंद मिश्रा ने कानपुर में, अनिल ने गोरखपुर में तो मनोज ने पटना में, महेश कुरुक्षेत्र में महाभारत लड़ रहे हैं तो हरी जी शिमला में पसीने पसीने हैं, स्मृति बहन डाल्टन गंज में तो वहीँ अंजू जी और सुरेखा जी वाराणसी में आवाज़ बुलंद कर रही हैं सिर्फ इसलिए कि डायरेक्टर जनरल के आदेश के ख़िलाफ़ और हम सभी के नियमितीकरण हेतु हम सब निर्णायक हल के लिए कूद पड़े हैं।

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सांसदों के समर्थन में एक नाम और जुड़ गया है, कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद राजकुमार सैनी ने भी भारत वर्ष के सभी आकाशवाणी कैज़ुअल एनाउंसर के अधिकार का समर्थन किया है। आज 9 अगस्त 2016 को भी हमारे साथी भूख हड़ताल पर हैं, आशा करते हैं आकाशवाणी महानिदेशालय और प्रसार भारती के साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और हमारी वर्तमान सरकार हमें नियमितीकरण का सन्देश ज़रूर देगी, शायद इस साल आज़ादी की खुशियों में कैज़ुअल से आज़ाद कर के हम सभी को नियमित करने का उपहार मिले।

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