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मजीठिया मामले में मुंबई के चार बड़े अखबार समूहों के खिलाफ हो सकती है कानूनी कार्रवाई

श्रम आयुक्त कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट को दी सूचना, आरटीआई से हुआ खुलासा : मजीठिया वेज बोर्ड मामले में श्रम अधिकारियों द्वारा किये गए सर्वे के दौरान सर्वे टीम को जरूरी दस्तावेज ना देने, मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश ठीक से लागू ना करने और जानकारी छिपाने के मामले में मुम्बई के चार बड़े समाचार पत्र समूहों बेनमेट कोलमन, इंडियन एक्सप्रेस, मेसर्स राणे प्रकाशन और प्रबोधन प्रकाशन के खिलाफ श्रम आयुक्त कार्यालय ने कानूनी कार्रवाई करने का मूड बनाया है।

<p><span style="font-size: 14pt;">श्रम आयुक्त कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट को दी सूचना, आरटीआई से हुआ खुलासा</span> : मजीठिया वेज बोर्ड मामले में श्रम अधिकारियों द्वारा किये गए सर्वे के दौरान सर्वे टीम को जरूरी दस्तावेज ना देने, मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश ठीक से लागू ना करने और जानकारी छिपाने के मामले में मुम्बई के चार बड़े समाचार पत्र समूहों बेनमेट कोलमन, इंडियन एक्सप्रेस, मेसर्स राणे प्रकाशन और प्रबोधन प्रकाशन के खिलाफ श्रम आयुक्त कार्यालय ने कानूनी कार्रवाई करने का मूड बनाया है।</p>

श्रम आयुक्त कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट को दी सूचना, आरटीआई से हुआ खुलासा : मजीठिया वेज बोर्ड मामले में श्रम अधिकारियों द्वारा किये गए सर्वे के दौरान सर्वे टीम को जरूरी दस्तावेज ना देने, मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश ठीक से लागू ना करने और जानकारी छिपाने के मामले में मुम्बई के चार बड़े समाचार पत्र समूहों बेनमेट कोलमन, इंडियन एक्सप्रेस, मेसर्स राणे प्रकाशन और प्रबोधन प्रकाशन के खिलाफ श्रम आयुक्त कार्यालय ने कानूनी कार्रवाई करने का मूड बनाया है।

माननीय सुप्रीमकोर्ट को भेजी गयी स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन चारों समाचार पत्र समूहों के खिलाफ जरूरी कानूनी कार्रवाई हो सकती है। बेनमेट कोलमन द्वारा टाइम्स आफ इंडिया, नवभारत टाइम्स और महाराष्ट्र टाइम्स सहित मुम्बई मिरर का प्रकाशन किया जाता है। प्रबोधन प्रकाशन हिंदी और मराठी सामना का प्रकाशन करता है। मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्त्ता शशिकांत सिंह ने मुम्बई के श्रम आयुक्त कार्यालय से ये जानकारी निकाली है।

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इस जानकारी में राणे प्रकाशन के खिलाफ भी जरूरी कानूनी कार्रवाई की बात की गयी है। इस रिपोर्ट में लिखा है कि प्रबोधन प्रकाशन में कुल 234 कर्मचारी हैं। आर्थिक कारण से इस कंपनी ने मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार कर्मचारियों को भुगतान नहीं किया है। यहाँ 9 जून 2016 को सर्वे टीम पहुंची तो जाँच के दौरान पता चला कि कंपनी ने दावा किया कि वह 14 अप्रैल 2016 से मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन दे रही है लेकिन एरियर का भुगतान पूरी तरह नहीं कर पाई है।

इसी तरह मेसर्स राने प्रकाशन में कुल 234 कर्मचारी हैं। इस समाचार पत्र प्रतिष्ठान में भी मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू नहीं की गयी। बेनमेट कोलमन में मजीठिया वेज बोर्ड के लिए सर्वे टीम 28 जून 2016 को पहुंची तो उसे प्रबंधन ने कोई जरूरी कागजात और कर्मचारियों की सूची नहीं सौपी। इन्डियन एक्सप्रेस में श्रम आयुक्त कार्यालय की सर्वे टीम 23 जून 2016 को पहुंची तो जाँच में पता चला कि कंपनी ने सिर्फ कुछ लोगों को वेज बोर्ड दिया है और एरियर का सिर्फ 2 इंस्टालमेंट दिया है। इन चारों समाचार पत्र प्रतिष्ठान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई संभव है, ऐसा रिपोर्ट में बताया गया है। अगर वाकई इन चारों बड़े समाचार पत्र प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्रवाई हो जाए तो दूसरे अखबार मालिक अपने आप सुधर जाएंगे।

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शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
9322411335

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0 Comments

  1. ssingh

    August 7, 2016 at 8:54 pm

    Jai Ho… Hamari jeet Sunishchit hai…. aap jaisey Kattar aur Khatarnaak (Management ki Nazar me) logon ke rahney se hi Majithia ki Ladai sambhav ho saki hai… Warna jyadatar Akhbaar ke workers to Ladney walon ki ore Muh Baye khadey hain, ki Unhein kuchh mila, to apney aap mujhey bhi mil jayega… Aise Nikammo, khudgarz Kachhua-chhap workers Lagbhag 80% hain, jinhein ye aas hai ki bina highlight hue aur bina daud-bhag, bina paisa kharch kiye unhein kuchh haasil ho jayega….! Aise Kachhuon se winamra nivedan hai ki ab bhi waqt hai, Apni Ladai khud Lado, warna kahin ke nahin rahogey….

  2. sanjib

    August 7, 2016 at 8:55 pm

    bhai Shashikant ji ko Sadhuvad….

  3. Kashianth Matale

    August 8, 2016 at 9:53 am

    News paper establishment par karvai ke sath sath Labaour Department ke kuchh time pass karnewale employees par bhi karvai honi chahiye.
    Labour Department kam hai ki jald se jald ko bhi labour/employee ko sarkari madat mile. Case jald se jald khatm ho. Case justiice ki liye Tribunal ko simit samay me Ref. Kare.
    Labour Department case padi rahti hai. Bad me Coourt Padi Rahati hai.
    Labour chahte huye bhi justice pane ke liye Labour Department jane ke liye hichkichata hai. Kyonki time pass jyada hota hai.
    Labour Department labour/employee ko primary justice dilane liye bana hai.

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