आज मुझे तीस साल पूरे हो गए पत्रकारिता करते हुए। आज के दिन ही बनारस से प्रकाशित ‘लोकइच्छा’ अखबार में नगर संवाददाता के रूप में जुड़ा था, वो भी आश्चर्यजनक तरीके से। आश्चर्य इस मामले में कि किसी साथी के साथ ‘जयदेश’ अखबार में एक विज्ञप्ति लेकर गया था। काशी पत्रकार संघ के ठीक सामने …
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भोजपुरी एक्टर निरहुआ ने दी पत्रकार शशिकांत सिंह को जान से मारने की धमकी
कॉमेडियन कपिल शर्मा के बाद एक और सेलीब्रिटी के आपा खोने की खबर मिली है… कपिल ने जहां पत्रकार विकी लालवानी के साथ गाली-गलौच की थी, वहीं इस बार भोजपुरी फिल्मों के एक्टर दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ ने पत्रकार शशिकांत सिंह को न सिर्फ गालियां दी हैं, अपितु मुंबई पहुंचते ही उन्हें टुकड़ा-टुकड़ा काटने और घर …
दैनिक भास्कर के जालंधर आफिस की कुर्की का आदेश
मजीठिया वेजबोर्ड का बकाया ना देने के कारण होगी कार्रवाई… ए.एल.सी. द्वारा पास किया 23.52 लाख का क्लेम ब्याज सहित अदा ना किया तो होगी भास्कर कार्यालय की नीलामी… पंजाब के फिरोजपुर से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां सहायक लेबर कमिश्रर फिरोजपुर की कोर्ट द्वारा भास्कर कर्मी राजेन्द्र मल्होत्रा को 23 लाख 52 …
भास्कर ग्रुप को धूल चटाने वाली इस लड़की का इंटरव्यू देखें-सुनें
मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ने में बहुत बड़े बड़े पत्रकारों की पैंट गीली हो जाती है लेकिन भास्कर समूह में रिसेप्शनिस्ट पद पर कार्यरत रही एक लड़की ने न सिर्फ भास्कर ग्रुप से कानूनी लड़ाई लड़ी बल्कि अपना हक हासिल करने की अग्रसर है.
कोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर हिन्दुस्तान टाईम्स से वसूली किए जाने पर लगी रोक हटायी
टर्मिनेट कर्मचारी पुरुषोत्तम सिंह के मामले में शोभना भरतिया को लगा तगड़ा झटका, एडवोकेट उमेश शर्मा ने लगातार दो दिन की थी जोरदार बहस…. जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में हिन्दुस्तान टाईम्स की मालकिन शोभना भरतिया को एक बार फिर मंगलवार १९ /२/२०१८ को दिल्ली उच्च न्यायलय में मुंह की खानी पड़ी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले से जुड़े वसूली मामले में लगायी गयी रोक को हटा लिया। इससे हिन्दुस्तान प्रबंधन से मजीठिया वेज बोर्ड मामले में लगाये गये १७ (१) के मामले में वसूली का रास्ता साफ हो गया है।
फिरोजपुर से भास्कर कर्मी राजेन्द्र मल्होत्रा के पक्ष में जारी हुयी साढ़े बाईस लाख की आरसी
पंजाब के फिरोजपुर से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां दैनिक भास्कर में कार्यरत ब्यूरो चीफ राजेन्द्र मल्होत्रा के आवेदन को सही मानते हुये फिरोजपुर के सहायक कामगार आयुक्त सुनील कुमार भोरीवाल ने दैनिक भास्कर प्रबंधन के खिलाफ २२ लाख ५२ हजार ९४५ रुपये की वसूली के लिये रिकवरी सार्टिफिकेट जारी की है। राजेन्द्र …
मजीठिया वेज बोर्ड मामले में दैनिक भास्कर के खिलाफ एक और आरसी जारी
मुंबई से खबर आ रही है कि यहां दैनिक भास्कर की प्रबंधन कंपनी डी. बी. कॉर्प लिमिटेड में कार्यरत सिस्टम इंजीनियर अस्बर्ट गोंजाल्विस के पक्ष में जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में 26 लाख 38 हजार 203 रुपए 98 पैसे का रिकवरी सर्टीफिकेट (आरसी) जारी किया गया है। इस आरसी को मुंबई (उपनगर) के कलेक्टर को भेज कर आदेश दिया गया है कि वह आवेदक के पक्ष में कंपनी से भू-राजस्व की भांति वसूली करें और आवेदक अस्बर्ट गोंजाल्विस को यह धनराशि प्रदान कराएं। आपको बता दें कि इस मामले में अस्बर्ट गोंजाल्विस ने अपने एडवोकेट एस. पी. पांडे के जरिए मुंबई उच्च न्यायालय में कैविएट भी लगवा दी है।
महाराष्ट्र के चार मीडिया कर्मियों का बकाया न देने पर भास्कर समूह के खिलाफ आरसी जारी
अपने कर्मियों का हक मारने के कारण दैनिक भास्कर को झटके पर झटका लग रहा है. भास्कर अखबार की प्रबंधन कंपनी डीबी कॉर्प द्वारा संचालित मराठी अखबार दैनिक दिव्य मराठी के अकोला एडिशन से खबर आ रही है कि यहां के ४ मीडिया कर्मियों के आवेदन पर भास्कर के खिलाफ आरसी जारी हुई है. इन मीडियाकर्मियों के पक्ष में सहायक कामगार आयुक्त अकोला श्री विजयकांत पानबुड़े ने रिकवरी सार्टिफिकेट आदेश जिलाधिकारी अकोला को दिया है।
महाराष्ट्र के लेबर कमिश्नर का निर्देश- ठेका कर्मचारियों को भी मजीठिया वेजबोर्ड का लाभ देना जरूरी
सभी अखबारों की होगी फिर से जांच… महाराष्ट्र के लेबर कमिश्नर द्वारा बुलाई गई त्रिपक्षीय समिति की बैठक में लेबर कमिश्नर यशवंत केरुरे ने अखबार मालिकों के प्रतिनिधियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि आपको माननीय सुप्रिमकोर्ट के आदेश का पालन करना ही पड़ेगा। श्री केरुरे ने कहा कि वेज बोर्ड का लाभ ठेका कर्मचारियों को भी देना अनिवार्य है। मुम्बई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के लेबर कमिश्नर कार्यालय में बुलाई गई इस बैठक में राज्यभर के विभागीय अधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया था।
मजीठिया मामला : दैनिक भास्कर मुंबई के सुनील कुकरेती ने भी लगा दिया क्लेम
डी बी कॉर्प लिमिटेड द्वारा संचालित दैनिक भास्कर समाचार-पत्र के प्रिंसिपल करेस्पॉन्डेंट धर्मेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड मामले में कंपनी को धूल चटाए जाने के बाद ‘भास्कर’ के मुंबई ब्यूरो में बागियों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। अपने बकाए की वसूली के लिए श्रम विभाग पहुंचने वालों में अब नया नाम जुड़ा है सुनील कुकरेती का। सुनील इस संस्थान में बतौर सीनियर रिपोर्टर कार्यरत हैं।
लोकमत प्रबंधन को तगड़ा झटका, नौकरी से निकाले २४ मीडियाकर्मियों को काम पर रखने का निर्देश
महाराष्ट्र से प्रकाशित मराठी दैनिक लोकमत को तगड़ा झटका लगा है। ७ नवंबर को नागपुर की इंडस्ट्रीयल कोर्ट नंबर ४ ने एक आदेश जारी कर लोकमत से निकाले गये २४ स्थायी कर्मचारियों को वापस काम पर रखने का निर्देश दिया है। इस बारे में जानकारी देते हुये लोकमत श्रमिक संगठन के संजय येवले पाटिल ने बताया कि इंडस्ट्रीयल कोर्ट ने सभी २४ स्थायी कर्मचारियों को ४ सप्ताह के अंदर काम पर रखने का निर्देश कंपनी प्रबंधन को दिया है।
निष्ठुर एचटी प्रबंधन ने नहीं दिया मृतक मीडियाकर्मी के परिजनों का पता, अब कौन देगा कंधा!
नई दिल्ली। अपने धरनारत कर्मी की मौत के बाद भी निष्ठुर हिन्दुस्तान प्रबंधन का दिल नहीं पिघला और उसने दिल्ली पुलिस को मृतक रविन्द्र ठाकुर के परिजनों के गांव का पता नहीं दिया। इससे रविन्द्र को अपनों का कंधा मिलने की उम्मीद धूमिल होती नजर आ रही है।
मजीठिया मामला : प्रभात खबर के खिलाफ मिथलेश कुमार के रिव्यू पिटीशन पर सुप्रीमकोर्ट में 5 को सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी खबर आ रही है। जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की मांग को लेकर प्रबंधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे प्रभात खबर के आरा (बिहार) के ब्यूरो चीफ मिथिलेश कुमार बनाम प्रभात खबर मामले में दायर रिव्यू पिटीशन पर 5 अक्टूबर को सुनवाई होगी। यह सुनवाई विद्वान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश नवीन सिन्हा द्वारा की जाएगी।
मजीठिया मामला : डीबी कॉर्प के 5 मीडियाकर्मियों के पक्ष में आरसी जारी करने की प्रक्रिया शुरू
दैनिक भास्कर की प्रबंधन कंपनी डीबी कॉर्प के मराठी अखबार दैनिक दिव्य मराठी के महाराष्ट्र के अकोला एडिशन से खबर आ रही है कि यहां 5 मीडियाकर्मियों के पक्ष में आरसी जारी करने के लिए अंतिम प्रक्रिया शुरू करने का सहायक कामगार आयुक्त अकोला श्री विजयकांत पानबुड़े ने अपने विभाग को निर्देश दिया है। ये मीडियाकर्मी हैं इस मराठी अखबार के पेज मेकर दीपक वसंतराव मोहिते (रिकवरी राशि 13 लाख 35 हजार 252 रुपये), पेजमेकर राजू रमेश बोरकुटे (रिकवरी राशि 12 लाख 66 हजार 275), डिजाइनर मनोज रामदास वाकोडे (११ लाख 75 हजार 654 रुपये), पेजमेकर संतोष मलनन्ना पुटलागार (११ लाख 98 हजार 565 रुपये) और डिटीपी इंचार्ज रोशन अम्बादास पवार (6 लाख 17 हजार 308 रुपये)।
हड़ताल से उड़ान, बढ़ो बहु, चिड़ियाघर, नामकरण आदि की शूटिंग बंद
मुख्यमंत्री ने बुलाई फेडरेशन और प्रोड्यूसरों की बैठक… फ़िल्म और टीवी कामगार तथा महिला कलाकार और टेक्नीशियन पिछले 7 दिन से हड़ताल पर… अपनी विभिन्न मांगो को लेकर मुम्बई के गोरेगांव पूर्व स्थित फिल्मसिटी स्टूडियो के बाहर भारी बारिश में आमरण अनशन और हड़ताल पर बैठे फ़िल्म और टीवी कामगारों की यूनियनों को नेतृत्व करने वाली फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉयज और प्रोड्यूसरों की संस्था को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बैठक के लिए आमंत्रित किया है।
फिल्म और टीवी कामगारों की हड़ताल शुरू, 40 टीवी सीरियल्स और 10 फिल्मों की शूटिंग ठप
मुंबई : अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सिनेमा और टेलीविजन इंडस्ट्रीज के कामगार और टेक्निशियन 14 अगस्त की रात से हड़ताल पर चले गये हैं। फेडरेशन आफ वेस्टर्न इंडिया सिने एंप्लॉयज संगठन के बैनर तले हो रही इस हड़ताल में २२ यूनियन शामिल हुयी हैं। फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में काम करने वाले 2.50 लाख कर्मचारी हड़ताल पर गये हैं। हड़ताल की वजह से फिल्म की शूटिंग के लिए स्टूडियो बुकिंग भी बंद हो गई है। जहां हमेशा चहलपहल रहती थी उन स्टूडियो में अब सन्नाटा पसर गया है।
बनारस में मजीठिया मामले में मीडियाकर्मियों के मुकदमों की फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह होगी सुनवाई
मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर को लेकर पत्रकारों व गैर पत्रकारों की लड़ाईं लड़ रहे समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन व काशी पत्रकार संघ की पहल पर अब डीएलसी स्तर तक के सभी तरह के मुकदमों की सुनवाई निर्धारित समय के भीतर पूरी होगी। इस आशय का आदेश जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने शनिवार को समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन व काशी पत्रकार संघ के संयुक्त प्रतिनिधिमण्डल की बातों को सुनने के बाद दी।
अखबार मालिकों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू करना ही होगा : कामगार आयुक्त
मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश महाराष्ट्र में लागू कराने के लिये बनायी गयी त्रिपक्षीय समिति की बैठक में महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त यशवंत केरुरे ने अखबार मालिकों के प्रतिनिधियों को स्पष्ट तौर पर कह दिया कि 19 जून 2017 को माननीय सुप्रीमकोर्ट के आये फैसले के बाद अखबार मालिकों को बचने का कोई रास्ता नहीं बचा है। अखबार मालिकों को हर हाल में जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू करनी ही पड़ेगी। श्री केरुरे ने कहा कि माननीय सुप्रीमकोर्ट ने जो आदेश जारी किया है उसको लागू कराना हमारी जिम्मेदारी है और अखबार मालिकों को इसको लागू करना ही पड़ेगा। इस बैठक की अध्यक्षता करते हुये कामगार आयुक्त ने कहा कि अवमानना क्रमांक ४११/२०१४ की सुनवाई के बाद माननीय सुप्रीमकोर्ट ने 19 जून 2017 को आदेश जारी किया है जिसमें चार मुख्य मुद्दे सामने आये हैं। इसमें वर्किंग जर्नलिस्ट की उपधारा २०(जे), ठेका कर्मचारी, वेरियेबल पे, हैवी कैश लॉश की संकल्पना मुख्य थी।
चर्चित मजीठिया क्रांतिकारी शशिकांत सिंह को एनयूजे (महाराष्ट्र) ने बनाया मजीठिया सेल का समन्यवयक
(शशिकांत सिंह)
दो कद्दावर मजीठिया क्रांतिकारियों ने महाराष्ट्र के मीडिया कर्मियों को उनका अधिकार दिलाने के लिए हाथ मिलाया है। देश के जाने माने मजीठिया क्रांतिकारी शशिकांत सिंह को नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट के अध्यक्ष डॉ उदय जोशी और महाराष्ट्र की जनरल सेक्रेटरी शीतल करदेकर ने महाराष्ट्र का मजीठिया सेल का समन्यवक बनाया है। शीतल करदेकर महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाई गई जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की त्रिपक्षीय कमेटी में भी मीडिया कर्मियों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
मजीठिया पर नए कोर्ट आर्डर के बाद लोकमत प्रबंधन ने 2400 मीडियाकर्मियों का कांट्रेक्ट रिनुअल लटकाया
मजीठिया वेज बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के बाद महाराष्ट्र में सबसे बड़ा झटका लोकमत अखबार को लगा है। सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा लोकमत समूह में ठेका कर्मचारी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 19 जून 2017 के आदेश में साफ कर दिया है कि ठेका कर्मचारियों को भी मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ मिलेगा। अब लोकमत प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद सबसे ज्यादा सांसत में फंस गया है।
इसी 19 जून को आएगा मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीमकोर्ट का एतिहासिक फैसला
मीडिया मालिकों की नींद उड़ी, मीडियाकर्मियों में खुशी की लहर…
मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर त्रिपक्षीय कमेटी दिल्ली, बिहार, हरियाणा समेत कई राज्यों ने नहीं गठित की
देश भर के प्रिंट मीडिया कर्मियों के वेतन, एरियर और प्रमोशन के लिए गठित जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में त्रिपक्षीय समिति गठित करने का आदेश दिया गया था मगर देश की राजधानी दिल्ली सहित कई राज्यों में त्रिपक्षीय कमेटी का गठन नहीं किया गया। जिन राज्यों में त्रिपक्षीय कमेटी का गठन नहीं किया गया …
जागरण के पत्रकार पंकज के ट्रांसफर मामले को सुप्रीमकोर्ट ने अवमानना मामले से अटैच किया
दैनिक जागरण के गया जिले (बिहार) के मीडियाकर्मी पंकज कुमार के ट्रांसफर के मामले पर आज सोमवार को माननीय सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई हुई। इस मुकदमे की सुनवाई कोर्ट नम्बर 4 में आयटम नम्बर 9, सिविल रिट 330/2017 के तहत की गई। न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सुनवाई करते हुए इस मामले को भी मजीठिया वेज बोर्ड के अवमानना मामला संख्या 411/2014 के साथ अटैच कर दिया है। माननीय न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे ही अन्य मामलों पर निर्णय आने वाला है, लिहाजा याचिका का निपटारा भी इसी में हो जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश ठेंगे पर रखते हैं अखबार मालिक, विशाखा समिति कहीं पर गठित नहीं
मुंबई : देश भर के अखबार मालिक माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ठेंगे पर रखते हैं. ये खुद को न्याय, संविधान और कानून से उपर मानते हैं. इसीलिे ये जिद कर के बैठे हैं कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानेंगे तो नहीं मानेंगे। पहले जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का आदेश अखबार मालिकों ने नहीं माना और अब माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा निजी और सरकारी संस्थानों में काम करने वाली महिला कर्मचारियों के सम्मान से जुड़ी विशाखा समिति की स्थापना के लिये दिये गये आदेश को भी मानने से मुंबई के अखबार मालिकों ने मना कर दिया है.
महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त ने दिए ‘प्रात:काल’ के फर्जीवाड़े की जांच के आदेश
महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त ने मुंबई सहित देश के पांच अन्य शहरों से प्रकाशित होने वाले हिन्दी दैनिक प्रात:काल द्वारा अपने यहाँ कार्यरत पत्रकारों, गैर-पत्रकारों और अन्य विभागों के कर्मचारियों से सम्बंधित गलत एफिडेविट देने की शिकायत पर जाँच करने के आदेश दिए हैं। जांच का दायित्व कामगार उपायुक्त श्री बागल को सौंपा गया है। हिंदी दैनिक प्रात:काल द्वारा श्रम आयुक्त को दिए एफिडेविट में फर्जीवाड़े के पुख्ता सबूत मिले हैं। इस जांच के आदेश के बाद ‘प्रात:काल’ प्रबंधन को फर्जी एफिडेविट देने के मामले में जेल भी हो सकती है।
लोेकसभा और राज्यसभा में उठी मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने की मांग (देखें वीडियो)
देश भर के अखबार मालिकों द्वारा अपने कर्मचारियों का किए जा रहा शोषण और मजीठिया वेज बोर्ड लागू किए जाने की मांग आज संसद में उठी। २४ घंटे के अंदर मीडियाकर्मियों के साथ अन्याय और वेज बोर्ड न लागू कर मीडिया मालिकों द्वारा की जा रही मनमानी का मसला राज्यसभा और लोकसभा दोनों जगहों में उठाया गया। बुधवार को राज्यसभा में जहां जाने माने नेता जदयू के शरद यादव ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश अभी तक लागू ना किए जाने का सवाल जोरशोर से उठाया वहीं मंगलवार को कोडरमा के सांसद डाक्टर रविंद्र कुमार राय ने इस मुद्दे को लोकसभा में जमकर उठाया।
‘हिंदुस्तान’ अखबार के खिलाफ आरसी जारी, 6 करोड़ वसूल कर 16 पत्रकारों में बंटेगा
लखनऊ से बड़ी ख़बर है। मजीठिया वेतनमान प्रकरण में दैनिक समाचार पत्र हिंदुस्तान की अब तक की सबसे बड़ी हार हुई है। कम्पनी का झूठ भी सामने आ गया है। यह भी सामने आया है कि मजीठिया की सिफ़ारिश से बचने के लिए कम्पनी ने तरह तरह के षड्यंत्र किए। लखनऊ के श्रम विभाग ने हिंदुस्तान के 16 पत्रकारों व कर्मचारियों को क़रीब 6 करोड़ रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया है। लखनऊ के एडिशनल कमिशनर बी.जे. सिंह व सक्षम अधिकारी डॉ. एम॰के॰ पाण्डेय ने ६ मार्च को हिंदुस्तान के ख़िलाफ़ आरसी जारी कर दी और पैसा वसूलने के लिए ज़िलाधिकारी को अधिकृत कर दिया है।
दिल्ली की श्रम अदालत ने दैनिक जागरण पर ठोंका दो हजार रुपये का जुर्माना
जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले से जुड़े दिलीप कुमार द्विवेदी बनाम जागरण प्रकाशन मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय ने दैनिक जागरण पर दो हजार रुपये का जुर्माना ठोंक दिया है। इस जुर्माने के बाद से जागरण प्रबंधन में हड़कंप का माहौल है। बताते हैं कि गुरुवार को दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय में दैनिक जागरण के उन 15 लोगों के मामले की सुनवाई थी जिन्होंने मजीठिया बेज बोर्ड की मांग को लेकर जागरण प्रबंधन के खिलाफ केस लगाया था। इन सभी 15 लोगों को बिना किसी जाँच के झूठे आरोप लगाकर टर्मिनेट कर दिया गया था। गुरुवार को जब न्यायालय में पुकार हुयी तो इन कर्मचारियों के वकील श्री विनोद पाण्डे ने अपनी बात बताई।
हिंदुस्तान बरेली से तीन लोगों ने उप श्रमायुक्त के कोर्ट में किया मजीठिया का क्लेम
बरेली से खबर आ रही है कि हिंदुस्तान अखबार के सीनियर कॉपी एडिटर मनोज शर्मा ने 33,35,623 रुपये, सीनियर सब एडिटर निर्मल कान्त शुक्ला ने 32,51,135 रुपये और चीफ रिपोर्टर डॉ. पंकज मिश्रा ने 25,64,976 रुपये का मजीठिया वेज बोर्ड के वेतनमान के अनुसार एरियर का क्लेम उप श्रमायुक्त बरेली के यहाँ ठोंक दिया है। तीनों ने उपश्रमायुक्त बरेली से शिकायत की है कि हिंदुस्तान प्रबंधन मजीठिया के अनुसार वेतन और बकाया देय मांगने पर उनको प्रताड़ित कर रहा है। साथ ही आये दिन धमका रहा है।
मजीठिया मामले में काश सुप्रीमकोर्ट ऐसा कर देता!
देश के अधिकांश अखबार मालिकों के खिलाफ माननीय सुप्रीमकोर्ट में अवमानना का केस चल रहा है। इस मामले में सुप्रीमकोर्ट में अभी डेट नहीं पड़ पा रही है। अगर माननीय सुप्रीमकोर्ट कुछ चीजें कर दे तो सभी अखबार मालिकों की नसें ना सिर्फ ढीली हो जायेंगी बल्कि देश भर के मीडिया कर्मियों को इंसाफ भी मिल जायेगा। इसके लिये सबसे पहले जिन समाचार पत्रों की रिपोर्ट कामगार आयुक्त ने सुप्रीमकोर्ट में भेजी है उसमें जिन अखबार मालिकों ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश नहीं लागू किया है या आंशिक रुप से लागू किया है ऐसे अखबारों के मैनेजिंग डायरेक्टर, डायरेक्टर, पार्टनर और सभी पार्टनरों को अदालत की अवमानना का दोषी मानते हुये उनके खिलाफ कामगार आयुक्त को निर्देश दें कि उनके खिलाफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा दें और सभी जिलाधिकारियों, तहसीलदारों को निर्देश दें कि उनके खिलाफ रिकवरी कार्रवाई शुरू की जाये। उनको जमानत भी माननीय सुप्रीमकोर्ट से तभी प्राप्त हो जब वे मीडियाकर्मियों को उनका पूरा बकाया एरियर वेतन तथा प्रमोशन दें।
मजीठिया वेज बोर्ड से घबड़ाये हिन्दुस्तान प्रबंधन ने कर्मचारियों से लिया त्यागपत्र
एक नयी कंपनी एच टी डिजिटल स्टीम्स लिमिटेड में कराया गया ज्वाईन
देश के प्रतिष्ठित अखबार हिन्दुस्तान से खबर आ रही है कि जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के सुप्रीम कोर्ट में चल रहे अवमानना मामले से घबड़ाये प्रबंधन ने संपादकीय विभाग में कुछ संपादक लेबल के या पुराने लोगों को छोड़कर बाकी सभी से त्यागपत्र ले लिया है और इन सभी को एक नयी कंपनी एचटी डिजिटल स्टीम्स लिमिटेड में ज्वाईन करा दिया गया है। साथ ही जितने भी हिन्दुस्तान के संपादकीय विभाग के कर्मचारी हैं, अधिकांश से जबरी इस्तीफे पर साईन करा लिया गया है।
अखबार मालिकों के दबाव में काम कर रहा है महाराष्ट्र का कामगार विभाग
मजीठिया वेज बोर्ड की त्रिपक्षीय समिति की दूसरी बैठक संपन्न : पत्रकार और पत्रकारेत्तर कर्मचारियों के लिए गठित जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड को अमल में लाने के लिए महाराष्ट्र में गठित प्रबंधन, पत्रकारों और कामगार अधिकारियों की त्रिपक्षीय समिति की बैठक मुम्बई के कामगार भवन में सम्पन्न हुयी। इस दूसरी बैठक की अध्यक्षता कामगार उपायुक्त (ग्रामीण) तथा समिति सदस्य सचिव सुबा बागल ने की।
महाराष्ट्र में अखबारों के फर्जीवाड़े पर सुप्रीम कोर्ट में केस करने की तैयारी
महाराष्ट्र का कामगार विभाग कामगारों के लिये नहीं बल्कि अखबार मालिकों के हित में काम कर रहा है। जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त कार्यालय ने हाल में ही एक सूची जारी की है जिसमें उन अखबारों के नाम है जिन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश पूरी तरह लागू कर दिया है।
हिन्दुस्तान रांची के हेचआर हेड ने मजीठिया मांगने वाले दो कर्मियों के साथ की बदतमीजी, कॉलर पकड़ हड़काया, गाली दी
हिन्दुस्तान अखबार प्रबंधन इन दिनों मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार बकाया मांगने वालों के खिलाफ लगातार दमन की नीति अपना रहा है और अपने ही किये वायदे से मुकर रहा है। रांची में मजीठिया वेज बोर्ड के अनुरूप वेतन और भत्ते मांगने वाले दो कर्मचारियों ने जब श्रम आयुक्त कार्यालय में क्लेम लगाया तो इनका ट्रांसफर कर दिया गया। जब ये लोग कोर्ट से जीते तो हिन्दुस्तान प्रबंधन को उन्हें वापस काम पर रखना पड़ा। तीन दिन बाद ही जब ये कर्मचारी कार्यालय आकर काम करने लगे तो उन्हें कार्मिक प्रबंधक ने कालर पकड़ कर अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुये जबरी ट्रांसफर लेटर थमाने का प्रयास किया।
आर्थिक संकट से जूझ रहे मजीठिया क्रांतिकारी अमित की पत्नी का निधन
पत्रिका ने सुप्रीमकोर्ट जाने पर कर दिया था अमित को टर्मिनेट
कविता ने कई सपने देखें होंगे कि पति अमित नूतन को मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार उनका बकाया मिल जायेगा तो सुकून की जिन्दगी जीना शुरू कर देंगे मगर ऐसा हो ना सका और एक बेहतर जिन्दगी का सपना देखने वाली कविता नूतन ने सपना पूरा होने के पहले ही दुनिया को अलविदा कह दिया। राजस्थान पत्रिका के भोपाल एडिशन में असिस्टेंट बिजनेस मैनेजर पद पर कार्यरत अमित नूतन ने अप्रैल २०१६ में माननीय सुप्रीमकोर्ट में जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार अपने एरियर और वेतन वृद्धि की मांग को लेकर एक केस लगाया था। साथ भी अमित नूतन ने कामगार आयुक्त कार्यालय में भी गुहार की थी कि उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार बकाया वेतन और एरियर दिलाया जाये।
दैनिक जागरण के सम्पादक शेखर त्रिपाठी को मिली जमानत
चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में देश की सर्वोच्च चुनावी अथॉरिटी चुनाव आयोग द्वारा दैनिक जागरण के 15 जिलों के संपादकों सहित प्रधान संपादक और प्रबंध निदेशक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। इस आदेश के बाद दैनिक जागरण के संपादकों और प्रबंध निदेशक की अकल ठिकाने आ गयी है। खबर है कि दैनिक जागरण अखबार के ऑनलाइन सम्पादक शेखर त्रिपाठी को आचार संहिता का उल्लंघन करने पर गिरफ्तार किया गया। बाद में गाजियाबाद की जिला अदालत ने शेखर त्रिपाठी को जमानत दे दिया।
मजीठिया वेज बोर्ड : नयी दुनिया प्रबंधन के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी
इंदौर से एक बड़ी खबर आ रही है. यहां नई दुनिया अखबार प्रबंधन के खिलाफ अदालत की अवमानना संबंधी नोटिस जारी की गयी है. पूरा मामला नयी दुनिया में एक्जीक्यूटिव विपणन पद पर कार्यरत दिव्या सेंगर के रायपुर में हुये ट्रांसफर पर सिवील कोर्ट द्वारा रोक लगाने के बाद भी नयी दुनिया प्रबंधन द्वारा उन्हें अब तक वापस पुराने स्थान पर ज्वाइन ना कराने से जुड़ा है। दिव्या सेंगर के अधिवक्ता मनीष पाल ने खुद इस खबर की पुष्टि की है। मनीष पाल के मुताबिक नई दुनिया समाचार पत्र के प्रधान संपादक, संपादक, कमलेश पांडेय, संजय शुक्ल आदि सभी के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का वाद प्रस्तुत किया गया. इस पर न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए सभी विपक्षीगण को नोटिस जारी कर दिया. ऐसे मामलों में जेल और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.
मुंबई के बाद अब दिल्ली एचटी को भी रिलायंस को बेचे जाने की चर्चा
देश भर के मीडियामालिकों में हड़कंप, कहीं मुफ्त में ना अखबार बांटने लगे रिलायंस…
देश के सबसे बड़े उद्योगपति रिलायंस वाले मुकेश अंबानी द्वारा मुंबई में एचटी ग्रुप के अखबार मिन्ट और फ्लैगशिप हिन्दुस्तान टाईम्स खरीदने की चर्चा के बाद अब यह चर्चा भी आज तेजी से देश भर के मीडियाजगत में फैली है कि मुकेश अंबानी ने दिल्ली में भी हिन्दुस्तान टाईम्स के संस्करण को खरीद लिया है। हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है। हिन्दुस्तान टाईम्स के दिल्ली संस्करण में कर्मचारियों के बीच आज इस बात की चर्चा तेजी से फैली कि रिलायंस प्रबंधन और हिन्दुस्तान टाईम्स प्रबंधन के बीच कोलकाता में इस खरीदारी को लेकर बातचीत हुयी जो लगभग सफल रही और जल्द ही हिन्दुस्तान टाईम्स पर रिलायंस का कब्जा होगा।
मजीठिया में मीडियाकर्मियों के वकीलों की टीम रणनीति बनाने में हुयी व्यस्त
जिन साथियों ने अब तक नहीं लगाया क्लेम, वे भी सामने आयें… मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अखबार मालिकों को सुप्रीमकोर्ट की अवमानना का दोषी साबित कराकर उन्हें सजा दिलाने की रणनीति में मीडियाकर्मियों के जाने माने वकीलों की टीम वकील प्रशांत भूषण, सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंसाल्विस, परमानंद पांडे आदि जी जान से लग गए …
शोभना भरतिया ने एचटी ग्रुप को मुकेश अंबानी को बेचा!
मुंबई से एक बड़ी खबर आ रही है. हिंदुस्तान टाइम्स समूह को इसकी मालकिन शोभना भरतिया ने भारत के सबसे बड़े व्यापारी मुकेश अंबानी को बेच दिया है. हालांकि यह चर्चा कई दिनों से थी कि शोभना भरतिया एचटी समूह को बेच रही हैं लेकिन इस सूचना की पुष्टि नहीं हो पा रही थी. अब यह बात लगभग कनफर्म हो गई है कि मुकेश अंबानी सबसे बड़ा टीवी नेटवर्क खरीदने के बाद सबसे बड़ा प्रिंट नेटवर्क भी तैयार करने में लग गए हैं और इस कड़ी में एचटी ग्रुप को खरीद लिया है.
मजीठिया वेज बोर्ड की सुनवाई 23 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में
देश भर के मीडियाकर्मियों के वेतन, प्रमोशन तथा एरियर से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 23 फरवरी को होगी।
मजीठिया मांगने वाली नयी दुनिया की दिव्या सेंगर का ट्रांसफर सिविल कोर्ट ने रोका
माननीय सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार अपना वेतन और एरियर मांगने वाली इंदौर के नयी दुनिया अखबार में एक्जीक्यूटिव विपणन पद पर कार्यरत दिव्या सेंगर का प्रबंधन ने १२०० किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के रायपुर में ट्रांसफर कर दिया था। सुश्री दिव्या सेंगर ने इस मामले में अदालत की शरण ली। इसके बाद सप्तम व्यवहार न्यायाधीश ने इस ट्रांसफर को गलत मानते हुये इस पर मामले के निराकरण होने तक रोक लगा दी है। इस रोक के बाद दैनिक जागरण समूह के अखबार नयी दुनिया को गहरा झटका लगा है।
मजीठिया से बचने के लिए मार्केटिंग वालो पर गाज गिरा रहे हैं अखबार मालिक
मजीठिया वेजबोर्ड मामले में अखबार मालिक अब मार्केटिंग विभाग के लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। खबर है कि मुंबई सहित देश के कई हिस्सों में अखबार मालिक मार्केटिंग विभाग के लोगों को खराब परफारमेंश का हवाला देकर तेजी से नौकरी से निकाल रहे हैं। अखबार मालिकों की मंशा साफ़ है कि मजीठिया ना देना पड़े और खर्च भी कम हो, इसके लिए तमाम हथकंडे इस्तेमाल किये जायें। मुम्बई सहित झारखंड के कुछ साथियों ने बताया कि वे जिस अखबार में काम करते थे, वहां खूब बिजनेस देते थे मगर विज्ञापन प्रबंधक ने केबिन में बुलाकर जबरी रिजाइन लिखवा लिया और कहा कि मेरे ऊपर काफी दबाव है। कमोबेश हर जगह यही स्थिति है।
हिन्दुस्तान प्रबंधन ने जबरन इस्तीफा लिखाया, सदमे में मीडियाकर्मी की मौत
दिल्ली से हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर लिमिटेड प्रबंधन के करतूत की एक दिल दुखा देने वाली खबर आ रही है। यहां जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार कर्मचारियों को वेतन और उनका बकाया ना देना पड़े, इसके लिये प्रबंधन उन लोगों से जबरी त्यागपत्र लिखवा रहा है और टार्गेट कर रहा है जिन्होंने अपने हक के लिए अदालत में केस नहीं लगाया है और ना ही लेबर विभाग में क्लेम किया है।
मजीठिया जंग : हेमकांत को स्टे के बावजूद ऑफिस में न घुसने देने वाले दैनिक भास्कर प्रबंधन पर कोर्ट ने शुरू की अवमानना कार्रवाई
मजीठिया मांगने वाले हेमकांत चौधरी को ट्रांसफर पर स्टे के बावजूद ऑफिस में नहीं घुसने देने वाले दैनिक भास्कर के अफसरों पर कोर्ट ने शुरू की अवमानना कार्रवाई… तीन महीने जेल की सजा और 5000 जुर्माना होना तय, भास्कर के अफसरों में हड़कंप… मजीठिया मामले में अब तक की सबसे बड़ी खबर महाराष्ट्र के औरंगाबाद से प्रकाशित होने वाले दैनिक भास्कर के मराठी अखबार दिव्य मराठी से आई है। यहाँ प्रबंधन की लगातार धुलाई कर रहे हेमकांत चौधरी ने अबकी बार प्रबंधन के चमचों को पटखनी देते हुए एक ही दांव में न केवल धूल चटा दी है बल्कि चारों खाने चित्त कर दिया है।
डीबी कॉर्प ने मुंबई के ब्यूरो चीफ सहित कई पत्रकारों को बनाया मैनेजेरियल और एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ!
मुंबई से शशिकांत सिंह की रिपोर्ट… जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सबसे ज्यादा शिकायत डीबी कॉर्प लिमिटेड के अखबारों- दैनिक भास्कर, दिव्य भास्कर और दिव्य मराठी आदि के मीडियाकर्मियों ने कर रखी है। इस संस्थान के पत्रकारों ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय सहित महाराष्ट्र के लेबर डिपार्टमेंट और मुंबई के लेबर कोर्ट में तमाम शिकायतें …
‘लैला बार’ में यह पत्रकार कर रहा था मनपसंद बारबाला से डांस की फरमाईश, पुलिस ने किया गिरफ्तार
फर्जी पत्रकार मो. पठान उर्फ मो. सामी
मुंबई से सटे भिवंडी में एक फर्जी पत्रकार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. वह एक बार में जाकर रंगदारी मांग रहा था. साथ ही मनपसंद बारबाला का डांस व मुफ्त शराब भोजन चाहता था. उसने खुद को बड़े चैनल का पत्रकार होने की धमकी दी. कोर्ट ने इस फर्जी पत्रकार को जेल भेज दिया है.
जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई टली
आज मंगलवार के दिन जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई होनी थी लेकिन इसे टाल दिया गया है. देश भर के मीडियाकर्मियों के वेतन, एरियर और प्रमोशन से जुड़े जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले की 17 जनवरी 2017 को होने वाली सुप्रीमकोर्ट की सुनवाई आगे बढ़ा देने से मीडियाकर्मी निराश हैं. बहुत …
मुंबई के ‘हमारा महानगर’ ने एक अक्टूबर 2016 से लागू किया मजीठिया वेज बोर्ड
एरियर देने के लिये मांगा समय… 74 कर्मचारियों की सूची कामगार विभाग को सौंपी गयी…
मुंबई से खबर आ रही है कि यहां ‘हमारा महानगर’ अखबार ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की स्रिफारिश लागू कर दिया है। मुंबई के कामगार आयुक्त कार्यालय को सौंपी गयी अपनी रिपोर्ट में हमारा महानगर प्रबंधन ने एक एफिडेविट देकर यह जानकारी दिया है कि उसने अपने यहां कार्यरत 74 कर्मचारियों को जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश का लाभ दे दिया है।
मजीठिया मांगने के बाद हुआ है ट्रांसफर तो मीडियाकर्मी इस मेल पर सूचित करें
देश भर के मीडियाकर्मियों के लिए एक और अच्छी खबर आई है। जिन मीडिया कर्मियों ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के तहत माननीय सुप्रीमकोर्ट में या देश के किसी भी कामगार न्यायालय अथवा कामगार आयुक्त कार्यालय में अपना क्लेम, मुकदमा या लिखित सूचना दिया है और लिखित सूचना देने, क्लेम लगाने या मुकदमा करने के बाद अखबार मालिकों ने उनका ट्रांसफर, टर्मिनेशन या सस्पेंशन किया है तो ऐसे सभी मीडियाकर्मी अपना नाम, पोस्ट, अखबार का नाम, अखबार की कंपनी का नॉम, क्लेम करने की तिथि या मुकदमा करने की तिथि, कहां से कहां ट्रांसफर किया गया और किस तारीख को ट्रांसफर या टर्मिनेशन या सस्पेंशन किया गया का पूरा विवरण जल्द से जल्द दें.
‘प्रातःकाल’ अखबार कर्मचारियों का नाम छिपा रहा है
मुम्बई से प्रकाशित गोयल फैमिली के अखबार प्रातःकाल में बड़े गड़बड़झाले की खबर सामने आ रही है। चर्चा है कि प्रातःकाल अखबार के सर्वेसर्वा गोयल फैमिली के चाचा- भतीजे ने अपने यहाँ कार्यरत मीडियाकर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ ना देना पड़े, इसके लिए दर्जनों मीडियाकर्मियों का नाम झटके से अपने रजिस्टर से बाहर कर दिया है। जब लेबर विभाग की ओर से दबाव पड़ा तो इन्होंने जो नाम दिया उसमे वर्किंग जर्नलिस्ट कैटेगरी में सिर्फ दो नाम हैं- पहला नाम था सुरेश गोयल जो कि मुख्य संपादक हैं और दूसरा महीप गोयल जो स्थानीय संपादक हैं।
मजीठिया मांगने पर अखबार ने अपने कर्मचारी को भेजा ऐसी जगह जहां दफ्तर ही नहीं
झारखंड के दो अखबारों के प्रबंधन से श्रम अधीक्षक ने मांगा स्टैंडिंग आर्डर : अपने कर्मचारियों का पोस्ट बदलकर जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ देने से बचने का जुगाड़ लगाने में लगे हिन्दुस्तान अखबार के मालिकान अब उन लोगों पर गाज गिराने की जुगत में लग गये हैं जिन्होंने माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश को सिर आखों पर रखकर अखबार प्रबंधन के खिलाफ श्रम विभाग में शिकायत कर रखा है कि अखबार प्रबंधन उन्हें जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ नहीं दे रहा है। झारखंड के हिन्दुस्तान अखबार और प्रभात खबर को दिन में तारे दिखाते हुये श्रम अधीक्षक ने उन्हे स्टैंडिग आर्डर की कापी देने को कहा है ताकि देखा जा सके कि स्टैंडिंग आर्डर अखबार ने प्रमाणित कराया है विभाग से या यहां भी जुगाड़ से मॉडल स्टैंडिंग आर्डर से काम चलाया जा रहा है।
दैनिक जागरण प्रबंधन के इशारे पर क्लेमकर्ता को सहायक कामगार आयुक्त ने भगाया
कानपुर से खबर आ रही है कि यहाँ श्रम विभाग मीडियाकर्मियों के लिए नहीं बल्कि दैनिक जागरण प्रबंधन के लिए काम कर रहा है। हद तो तब हो गयी जब एक क्लेमकर्ता को मनबढ़ सहायक कामगार आयुक्त रवि श्रीवास्तव ने काफी भला-बुरा कहा और सुनवाई के दौरान भगा दिया। कानपुर से एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट के मुताबिक माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 17(1) का वाद दाखिल करने वाले दैनिक जागरण कानपुर के ले आउट डिजाईंनर राजेंद्र वर्मा को जिला श्रम आयुक्त कार्यालय कानपुर में तैनात सहायक श्रम आयुक्त रवि श्रीवास्तव ने जमकर गाली दी और फर्जी मुकदमे में फंसा देने की धमकी भी दी। यह वाकया 22 दिसंबर की सुनवाई के दौरान हुआ।
अखबार के प्रबंध संपादक को हथकड़ी लगाना पुलिस वालों को पड़ा महंगा
मुंबई उच्च न्यायालय ने नुकसान भरपाई के लिए चार लाख रुपये मुआवजा देने और पुलिस वालों पर कारवाई का आदेश दिया : मुंबई उच्च न्यायायल ने गुरुवार को एक कड़ा कदम उठाते हुये एक अखबार के प्रबंध संपादक को हथकड़ी लगाने पर ना सिर्फ पुलिस वालों को जमकर फटकार लगायी बल्की चार लाख रुपये का नुकसान भरपाई और २५ हजार रुपये याचिका खर्च के रुप में याचिकाकर्ता को देने और पुलिस वालों पर कार्रवाई का आदेश दिया है।
नासिक में सिर्फ 6 अखबार मालिकों ने दी बैलेंससीट, रिकवरी क्लेम एक भी नहीं
देश भर के मीडियाकर्मियों के वेतन, एरियर और प्रमोशन तथा अन्य सुविधाओं के लिए गठित जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में महाराष्ट्र के नासिक जिले में सिर्फ 6 अखबार मालिकों ने माननीय सुप्रीमकोर्ट के दिशा निर्देश का पालन करते हुए अपनी कंपनी का वर्ष 2007 से 2010 तक का बैलेंससीट दिया है। ये अखबार हैं- दैनिक भ्रमर नासिक, श्रीरंग प्रकाशन, गावकरी प्रकाशन नासिक, आपला महाराष्ट्र धुले, दैनिक वार्ता धुले और दैनिक तरुण भारत जलगांव। अन्य अखबारों के मालिकों ने सुप्रीमकोर्ट के आदेश को गंभीरता से नहीं लिया।
शोकाज नोटिस देने के बाद भी जलगांव के किसी अखबार ने नहीं लागू किया मजीठिया
पत्रकारों ने भी मांगना उचित नहीं समझा अपना बढ़ा हुआ वेतन… आर टी आई से हुआ खुलासा… माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बावजूद महाराष्ट्र के जलगांव में एक भी अखबार ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू नहीं किया है। यह खुलासा हुआ है आरटीआई के जरिये। मुंबई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट शशिकांत सिंह ने आरटीआई के जरिये जो जानकारी निकाली है उसके मुताबिक जलगांव के तीन अखबारों जलगांव तरुण भारत, दैनिक जनशक्ति और दैनिक साईंमत में से दैनिक जलगांव तरुण भारत तथा जनशक्ति का मुख्यालय जलगांव में है। इन तीनों अखबारों ने आज तक जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश तो छोड़िये, मणिसाना वेज बोर्ड भी लागू नहीं किया है।
मजीठिया वेज बोर्ड के लिये यूपी में भी गठित हुई त्रिपक्षीय कमेटी, कई पत्रकार भी बनाए गए सदस्य
देश भर के मीडियाकर्मियों के वेतन, एरियर और प्रमोशन तथा अन्य सुविधाओं को दिलाने के लिये गठित जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश को सुचारू रूप से क्रियान्यवयन कराने के लिये भारत सरकार के आदेश पर अब देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में भी त्रिपक्षीय समिति का गठन किया गया है। यह गठन उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना पर किया गया है। इसी तरह की त्रिपक्षीय समिति इसके पहले महाराष्ट्र में बन चुकी है। जानकार बताते हैं कि यह त्रिपक्षीय समिति सिर्फ नाम के लिये बनायी जाती है।
मजीठिया समिति की महिला सदस्य को सम्पादक ने दी धमकी
माननीय सुप्रीमकोर्ट के दिशा निर्देश पर जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित त्रिसदस्यीय निरीक्षण समिति में पत्रकारों का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला सदस्य और नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट की महाराष्ट्र महासचिव शीतल करदेकर ने मराठी दैनिक आपला वार्ताहार के कार्यकारी संपादक राजेंद्र चव्हाण के खिलाफ धमकी देने की लिखित शिकायत दादर के सहायक पुलिस आयुक्त के यहां दी है।
श्री अम्बिका एजेंसी ने मजीठिया वेज बोर्ड न देने के लिए नया कुतर्क ढूंढा
मुंबई : देश भर के मीडियाकर्मियों के लिए गठित जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ पाने का सपना देखने वाले मुम्बई के श्री अम्बिका प्रिंटर्स एन्ड पब्लिकेशंस की न्यूज़ पेपर वितरण कंपनी श्री अम्बिका एजेंसी के कर्मचारियों को जस्टिस मजीठिया वेज का लाभ अब नहीं मिल पायेगा। 21 अक्टूबर 2016 को श्री अम्बिका प्रिंटर्स एन्ड पब्लिकेशंस के पर्सनल आफिसर दयानेश्वर विठ्ठल रहाणे ने मुंबई के कामगार आयुक्त कार्यालय को एक पत्र लिखकर जानकारी दी है कि श्री अम्बिका एजेंसी पार्टनरशिप फर्म है। ये कोई कंपनी नहीं है। श्री अम्बिका एजेंसी कई समाचार पत्रों का, जिसमें श्री अम्बिका प्रिंटर्स एन्ड पब्लिकेशंस के समाचार पत्र भी शामिल हैं, का वितरण करती है।
दैनिक जागरण मजीठिया का लाभ कर्मचारियों को नहीं देगा! हिंदुस्तान, अमर उजाला और सहारा ने भी चली चाल
खुद को देश का नंबर वन अखबार बताने वाले दैनिक जागरण के कानपुर प्रबन्धन ने अपने कर्मचारियों को जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ देने से साफ़ तौर पर पलटी मार लिया है। यही नहीं कानपुर से प्रकाशित हिंदुस्तान और अमर उजाला तो यहाँ तक दावा कर रहे हैं कि वह अपने कर्मचारी को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ दे रहे हैं। कानपुर से प्रकाशित राष्ट्रीय सहारा और आज अखबार ने अपने आर्थिक हालात का रोना रोते हुए मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ देने से इनकार कर दिया है।
मजीठिया वेज के क्लेम में मुंबई अव्वल, पुणे और नासिक फिर फिसड्डी
मुंबई : पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिये गठित जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में रिकवरी से जुड़े 17(1) के क्लेम में अक्टूबर २०१६ तक का रिकार्ड कामगार आयुक्त कार्यालय महाराष्ट्र ने जारी किया है। इस रिकार्ड के मुताबिक क्लेम करने के मामले में मुंबई के मीडियाकर्मी सबसे आगे हैं जबकि पुणे और नासिक सबसे फिसड्डी साबित हुआ है। दूसरे नंबर पर औरंगाबाद और तीसरे नंबर पर नागपुर है।
बिना अथॉरिटी लेटर सुनवाई में आने पर श्री अम्बिका प्रिंटर्स के पर्सनल आफिसरों को पड़ी फटकार
मुंबई : जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में कामगार आयुक्त कार्यालय में दाखिल 17 (1) के क्लेम मामले की सुनवाई के दौरान प्रबंधन की तरफ से अथारिटी लेटर लिए बगैर सुनवाई में आ रहे श्री अम्बिका प्रिंटर्स एन्ड पब्लिकेशंस के पर्सनल आफिसरों ज्ञानेश्वर रहाणे और अशरफ शेख को सहायक कामगार आयुक्त ने कड़ी फटकार लगाई। पिछले चार माह से ज्यादा समय से इस मामले की सुनवाई सहायक कामगार आयुक्त सीए राउत के यहाँ चल रही है। इस सुनवाई में कंपनी के अथारिटी लेटर के बगैर आने वाले लीगल एडवाइजर श्रीकांत गोसावी का कर्मचारियों ने विरोध किया था जिसके बाद सहायक कामगार आयुक्त ने उन्हें सुनवाई से बाहर कर दिया।
मजीठिया वेज बोर्ड मामले में डीबी कॉर्प सहित 7 मीडिया कंपनियों ने नहीं जमा कराया एफिडेविट
23 अखबार कंपनियों को दिया गया था आदेश…
मुंबई : मीडिया कर्मियों के वेतन, एरियर्स और प्रमोशन्स से जुड़े जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मुम्बई के कामगार उपायुक्त कार्यालय द्वारा 13 अक्टूबर 2016 को पत्र लिखकर एफिडेविट देने का निर्देश मुम्बई के 23 अखबार कंपनियों को दिया गया था। ये एफिडेविट 300 रुपये के स्टाम्प पेपर पर देना था जिसमें साफ़ तौर पर लिखना था कि आपने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश पूरी तरह लागू कर दिया है। इस एफिडेविट को जमा करने की अंतिम तिथि थी 19 अक्टूबर 2016। मगर आज भी मुम्बई में डीबी कॉर्प सहित 7 अखबार मालिकों ने एफिडेविट नहीं जमा किया।
सादे कागज पर पर साइन करने वालों के लिए मजीठिया का लाभ पाना चुनौती भरा काम होगा!
श्री अम्बिका प्रिंटर्स के कर्मचारियों के गंभीर आरोप और पर्सनल आफिसर ज्ञानेश्वर रहाणे का बेतुका जवाब…
मुंबई : जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में महाराष्ट्र के लेबर कमिश्नर ऑफिस में चल रहे 17(1) के रिकवरी क्लेम मामले में श्री अम्बिका प्रिंटर्स एन्ड पब्लिकेशंस के पर्सनल आफिसर ज्ञानेश्वर रहाणे ने ऐसा बेतुका जवाब सुनवाई के दौरान लिखकर दिया है जो किसी को हजम नहीं होगा। इस सुनवाई के दौरान पिछली बार उन कर्मचारियों को जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार प्रमोशन देने की लिखित रूप से मांग की गयी थी जो 10 साल से या उससे ऊपर समय से काम कर रहे हैं। इस सवाल पर सुनवाई के दौरान ज्ञानेश्वर रहाणे ने साफ़ तौर पर लिख कर दिया है कि प्रमोशन के मामले में कार्य संतोषजनक होने पर ही प्रमोशन दिया जाता है, ऐसा वेज बोर्ड में लिखा है।
हे भगवान, बिल्डरों ने ‘राम’ और ‘लक्ष्मण’ को भी ठगा!
मुंबई। बिल्डरों की ठगी के शिकार आम आदमी के साथ साथ ऐसे लोग भी हो रहे हैं जिनका नाम सुनकर शायद आप अचरज में पड़ जायें। घोर कलयुग की महिमा देखिए। बिल्डरों द्वारा टेलीविजन के मयार्दा पुरुषोत्तम राम और उनके भ्राता लक्ष्मण को भी यहां चूना लगा दिया जाता है। रामानंद सागर सृजित रामायण के राम यानि अरुण गोविल और लक्ष्मण यानि सुनील लहरी सहित कई जाने माने लोगों ने पेमेंट करने के सात साल बाद भी ओशिवरा में अपार्टमेंट ना मिलने की शिकायत ओशिवरा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई है।
बैलेंसशीट मांगने पर डीबी कॉर्प के अधिकारी सुनवाई में ही नहीं आये
सहायक महाप्रबंधक को भी होना था हाजिर, होगी कारवाई
मुंबई : डी.बी. कार्प की रिसेप्शनिस्ट लतिका आत्माराम चव्हाण और आलिया शेख द्वारा लगाए गए 17(1) के मजीठिया वेज बोर्ड रिकवरी क्लेम मामले में प्रबंधन को अपनी कम्पनी का वर्ष 2007 से 10 तक की बैलेंसशीट देनी थी मगर गुरुवार को आयोजित सुनवाई में ना ही डी बी कॉर्प की तरफ से कोई आया ना ही इस सुनवाई में डी बी कॉर्प का कोई वकील ही आया। इसी सुनवाई में डीबी कॉर्प की सहायक महाप्रबंधक (कार्मिक) श्रीमती अक्षता करनगुटकर को भी मुम्बई की सहायक कामगार आयुक्त नीलांबरी भोषले ने उपस्थित होने का निर्देश दिया था मगर इस सुनवाई में वे भी नहीं आईं।
सहायक कामगार आयुक्त ने श्री अंबिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशंस के लीगल एडवाइजर को दिखाया बाहर का रास्ता
मुंबई : जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मुम्बई के श्री अम्बिका प्रिंटर्स एन्ड पब्लिकेशंस के कर्मचारियों द्वारा कामगार आयुक्त कार्यालय में दायर 17 (1) के रिकवरी मामले की सुनवाई के दौरान आज कंपनी प्रबंधन की तरफ से आये लीगल एडवाइजर श्री गोसावी को कर्मचारियो के कड़े विरोध के कारण सुनवाई कक्ष से सहायक कामगार आयुक्त ने बाहर निकाल दिया। दरअसल श्री अम्बिका प्रिंटर्स एन्ड पब्लिकेशन्स की तरफ से सुनवाई के दौरान आये श्री गोसाई को कम्पनी प्रबंधन ने इस सुनवाई के लिए किसी भी तरह का अधिकृत पत्र नहीं दिया था और ये लीगल एडवाइजर बिना किसी अधिकृत पत्र के इस सुनवाई में आये थे।
मुंबई में इंडियन एक्सप्रेस, फ्री प्रेस, मुंबई मराठी पत्रकार संघ और प्रेस क्लब को मिली हुई है सरकारी जमीन
मुंबई : अखबार मालिक अपने कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड देने के लिये पैसा ना होने का भले ही बहाना करें मगर सरकार से सस्ते दर पर जमीन पाने के लिए ये लार टपकाए रहते हैं. ये अखबार मालिक सारा मुनाफा लाभ खुद दबाए रखना चाहते हैं और सरकार से उम्मीद करते हैं कि उन्हें सब कुछ मुफ्त में मिल जाए. पत्रकार संगठनों को इन मालिकों ने अपना पिछलग्गू बना लिया है जिसके कारण ये पत्रकार नेता भी मालिकों और सरकार से कई किस्म के लाभ पाकर चुप्पी साध जाते हैं. ये पत्रकार संगठन भी मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई नहीं लड़ रहे. पत्रकार संगठनों के नेताओं को खुलकर सामने आना चाहिये पर ये पदाधिकारी चुप हैं. पत्रकार संगठनों और प्रेस क्लबों को भी सरकार की तरफ से सस्ते दर पर जमीन दी गयी है. यह खुलासा किया है मुंबई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट शशिकांत सिंह ने.
डीबी कॉर्प को एक सप्ताह में बैलेंसशीट देने का सख्त निर्देश
मुंबई : जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में कामगार आयुक्त कार्यालय के साथ लगातार असहयोग कर रहे दैनिक भास्कर की प्रबंधन कंपनी डीबी कॉर्प को अब अपना वर्ष 2007 से 2010 तक की बैलेंसशीट देनी ही पड़ेगी। जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में डी बी कॉर्प के धर्मेन्द्र प्रताप सिंह, जो दैनिक भास्कर के मुम्बई यूनिट में प्रिंसिपल करेस्पॅान्डेंट हैं, के अलावा रिसेप्शनिस्ट लतिका आत्माराम चव्हाण और आलिया शेख ने 17 (1) का रिकवरी क्लेम और उत्पीड़न का मामला लगाया है। इन दोनों मामलो की सुनवाई कामगार आयुक्त कार्यालय में रखी गयी थी।
मजीठिया वेज बोर्ड : सुप्रीम कोर्ट में मीडिया मालिकों की चाल होने लगी कामयाब, अगली डेट 10 जनवरी को
लीगल इश्यू के दावपेंच में पूरे मामले को लंबा खींचने की रणनीति में सफल दोते दिख रहे मीडिया मालिकों के वकील : जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में बुधवार को लीगल इश्यू पर माननीय सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुयी। इस सुनवाई में पहले से ही घोषित एक रणनीति के तहत तय किया गया कि मीडियाकर्मियों …
मीडिया इम्पलॉयर का राज दमन वाला राज है : एडवोकेट कॉलिन गोंसाल्विस
जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड मामले पर जानिये क्या कहते हैं सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंसाल्विस जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मीडियाकर्मियों की तरफ से सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंसाल्विस का नाम हमेशा सुर्खियों में रहा है। जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले पर मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट …
अखबार मालिक मजीठिया वेज बोर्ड लागू करें अन्यथा जेल जाएंगे : एडवोकेट परमानन्द पांडे
जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मीडिया कर्मियों की तरफ अखबार मालिकों के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट परमानंद पांडे को मीडिया का भी काफी तजुर्बा है। वे इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के सेक्रेटरी जनरल भी हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके परमानंद पांडे पर मीडियाकर्मियों को पूरा भरोसा है। वजह भी साफ़ है। परमानंद पांडे मीडियाकर्मियों का दर्द जानते हैं। यही वजह है कि वे माननीय सुप्रीमकोर्ट में सटीक मुद्दा रखते हैं। जो बात कहना रहता है पूरे दम से कहते हैं। मजीठिया वेज बोर्ड मामले पर एडवोकेट परमानंद पांडे से बात किया मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट शशिकान्त सिंह ने। पेश है बातचीत के मुख्य अंश…
मजीठिया वेज बोर्ड : सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी बनाने का निर्देश दिया
सही दिशा में जा रही है जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सुनवाई : देश भर के मीडियाकर्मियों के वेतन एरियर तथा प्रमोशन से जुड़े जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट ने एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी बनाने का निर्देश दिया है। इस एसआईटी को लीड करेंगे हाईकोर्ट के एक रिटायर जज। आखिर …
कंचन प्रिंटिंग प्रेस और लक्ष्मी प्रिंटिंग प्रेस को लेकर दैनिक जागरण के मालिकों ने लेबर कोर्ट में बोला झूठ
कंचन प्रिंटिंग प्रेस जागरण का हिस्सा नहीं… जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अपने कर्मचारियों का लगातार उत्पीड़न कर रहे दैनिक जागरण के मालिकान अब बिना किसी ठोस आधार के लेबर कोर्ट में झूठ बोल रहे हैं। 11 नवंबर 2011 को भारत सरकार ने पत्रकारों और गैर पत्रकारों के वेतन तथा भत्ते से जुड़े जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की अनुशंसा को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी।इस अधिसूचना में अंग्रेजी के पेज नंबर 12 पर साफ़ लिखा है कि अखबार की सभी इकाइयों,शाखाओं तथा केंद्रों को उसका अंग माना जाएगा मगर जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर दैनिक जागरण प्रबंधन गंभीर नहीं है।
‘प्रातःकाल’ अखबार में भी उठी मजीठिया की मांग
मुंबई : राजस्थानी समाज में गहरी पैठ रखने वाले मुम्बई के हिंदी दैनिक प्रातःकाल में भी जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन, एरियर और प्रमोशन की मांग उठी है। यहाँ खबर है कि प्रातःकाल के मुख्य उपसंपादक अश्विनी राय ने भी जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर की मांग को लेकर 17 (1) का एक रिकवरी क्लेम श्रम आयुक्त कार्यालय महाराष्ट्र में दाखिल किया है। इससे प्रातःकाल प्रबंधन में हड़कंप का माहौल है।
मोदीजी गोयनका अवार्ड बांटने से पहले इंडियन एक्सप्रेस की ये सच्चाई भी जान लेते…
जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की मांग को लेकर लड़ाई लड़ रहे पत्रकारों और मीडिया कर्मियों की तरफ से मेरा एक सवाल है देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से। सवाल पूछने का मुझे दोहरा हक़ है। मोदी जी काशी के सांसद हैं। मैं भी काशी का हूँ और उनका मतदाता भी। रामनाथ गोयनका पुरस्कार वितरण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने में पत्रकारिता की भूमिका अहम है. प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर पुरस्कार पाने वालों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि हर किसी की कलम देश को आगे बढ़ाने में योगदान देती है। मैं मोदी जी से पूछना चाहता हूँ जिस इंडियन एक्सप्रेस के दरबार में आपने हाजिरी लगायी क्या यहाँ आने से पहले आपने पूछा इंडियन एक्सप्रेस प्रबंधन से कि आपने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू की, क्या आपने सुप्रीम कोर्ट की बात मानी।
रिसेप्शनिस्ट ने डीबी कॉर्प की सहायक महाप्रबंधक को श्रम विभाग में तलब कराया
मुंबई : मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर मांगने पर डी बी कॉर्प के मुम्बई ऑफिस में कार्यरत महिला रिलेप्शनिस्ट लतिका आत्माराम चव्हाण का ट्रांसफर सोलापुर कर दिया गया था। लतिका ने इस मामले की शिकायत श्रम आयुक्त कार्यालय मुम्बई में लिखित रूप से कर दी। लतिका की इस शिकायत पर श्रम आयुक्त कार्यालय की सरकारी कामगार अधिकारी निशा नागराले ने डी बी कॉर्प प्रबंधन को नोटिस भेजा।
इन अखबारों और चैनलों ने नहीं दिया अपने कर्मचारियों को बोनस
मुंबई : जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के तहत मीडियाकर्मियों का जितना एरियर बना, उसे डकार चुके कई अखबारों के मालिकों ने अब अपनी कई यूनिटों में कर्मचारियों का बोनस का पैसा भी हजम कर लिया और उन्हें एक ढेला तक बोनस के नाम पर नहीं दिया। बोनस न देने वालों में कुछ चैनलों का नाम भी सामने आ रहा है जिनमें टाइम्स नाऊ और इंडिया न्यूज़ भी शामिल है. सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक टाइम्स नाऊ और जूम ने मुम्बई के अपने कर्मचारियों को इस बार दीपावली पर बोनस नहीं दिया. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से खबर है कि यहाँ इंडिया न्यूज़ ने अपने कर्मचारियों को बोनस नहीं दिया।
मजीठिया क्रान्ति : लोकमत के पांच और मीडिया कर्मियों ने लगाया क्लेम
मुंबई : महाराष्ट्र में इन दिनों मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और प्रमोशन मांगने वाले मीडियाकर्मियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मीडियाकर्मी जोश खरोश के साथ अखबार मालिकों के खिलाफ अपने हक़ के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं। यहाँ लोकमत के 5 और मीडियाकर्मियों ने रिकवरी क्लेम लगाया है।ये सभी कर्मचारी लोकमत की अकोला यूनिट में कार्यरत हैं। इन पांच कर्मचारियों ने असिस्टेंट लेबर कमिश्नर अकोला के यहाँ 17(1) के तहत रिकवरी क्लेम लगाया है।
मजीठिया क्रांतिकारियों से अपील, हम सभी आरटीआई को हथियार बनाएं
दोस्तों मैं एक बार फिर आप सब से अपील कर रहा हूँ कि आप आरटीआई को हथियार बनाइये। श्रम विभाग के पास अखबार मालिकों द्वारा मंत्रियों से फोन करा कर उन पर दबाव डलवाया जा रहा है। उनके पास मंत्री हैं। हमारे पास आरटीआई है। इसी आरटीआई ने सुरेश कलमाणी को जेल डलवा दिया। शीला …
मुम्बई के दो पत्रकारों ने श्रम आयुक्त कार्यालय में किया ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ (देखें वीडियो)
पत्रकारों की छापेमारी से घबराए अधिकारियों ने गिफ्ट के पैकेट बाहर फेंके, गिफ्ट के पैकेटों का आरटीआई से माँगा गया जवाब, घटनाक्रम हुआ कैमरे में शूट
मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और प्रमोशन की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ रहे मुम्बई के दो पत्रकारों शशिकान्त सिंह और धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ने शनिवार को महाराष्ट्र के श्रम आयुक्त कार्यालय में ऐसा सर्जिकल स्ट्राइक किया कि श्रम अधिकारी भी हक्के बक्के रह गए। ये दोनों पत्रकार काफी दिनों से देख रहे थे कि महाराष्ट्र के श्रम आयुक्त और मुम्बई शहर कार्यालय में अखबार मालिकान सहित कई दूसरी कंपनी के लोग श्रम अधिकारियों को बड़े बड़े गिफ्ट के पैकेट दे रहें हैं, जो पूरी तरह गलत है। इन दोनो पत्रकारों ने तय किया कि इस मामले का भंडाफोड़ किया जाय।
मजीठिया की जंग : झूठ लिख कर बुरा फंसा डीबी कॉर्प!
‘जिद करो दुनिया बदलो’ का नारा देने वाला डीबी कॉर्प अब ‘झूठ बोलो और बुरे फंसो’ के पैटर्न पर काम कर रहा है। मंगलवार को मुंबई के श्रम आयुक्त कार्यालय में डी बी कॉर्प की महिला रिसेप्शनिस्ट लतिका आत्माराम चव्हाण और आलिया शेख के मजीठिया वेज बोर्ड बोर्ड मामले की सुनवाई थी। लतिका और आलिया ने मजीठिया वेजबोर्ड के तहत वेतन और एरियर न मिलने पर 17 (1) के तहत रिकवरी का क्लेम श्रम आयुक्त कार्यालय में किया था।
सिर्फ दो पत्रकार निकाल रहे हैं 12 पेज का हिंदी दैनिक ‘प्रातःकाल’!
मुम्बई में रहने वाले मारवाड़ी और राजस्थानी समाज के लोगों के मुखपत्र हिंदी दैनिक प्रातःकाल में सिर्फ 2 मीडियाकर्मी काम करते हैं! 12 पेज के इस अखबार में न तो मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू है और न ही इस अखबार का मालिक कभी श्रम विभाग को कोई दस्तावेज दे रहा है. यहां मणिसाना वेज बोर्ड भी नहीं लागू किया गया था. ये खुलासा हुआ है आरटीआई के जरिये. मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकान्त सिंह ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश प्रातःकाल अखबार में लागू है या नहीं, इसकी जानकारी श्रम आयुक्त कार्यालय महाराष्ट्र से मांगी थी.
मजीठिया वेज बोर्ड मामला : आरसी कटने के बाद मालिकों का बैँक खाता सील कराएं
देश भर के मीडियाकर्मियों के वेतन, एरियर और प्रमोशन से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए श्रम आयुक्त कार्यालयों ने रिकवरी के लिए आरसी काटने का काम शुरू कर दिया है। जिन मीडिया कर्मियों के पक्ष में फैसला आया है, उनका सवाल है कि वे आरसी कटने के बाद क्या करें। इस पर मजीठिया वेज बोर्ड मामले में पत्रकारों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट उमेश शर्मा ने काफी महत्वपूर्ण सलाह दी है।
मजीठिया वेज बोर्ड : भास्कर सहित महाराष्ट्र के 85 अखबार मालिकों को शो कॉज नोटिस जारी
पत्रकारों के वेतन, एरियर और प्रमोशन से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त विभाग ने दैनिक भास्कर की प्रबंधन कंपनी डी बी कॉर्प सहित कुल 85 अखबारों के मालिकों को शो कॉज नोटिस भेजा है। इन अखबार मालिकों में कोंकण (मुम्बई), नासिक, औरंगाबाद, नागपुर और पुणे से प्रकाशित अखबारों के मालिक शामिल हैं। इन अखबार मालिकों में सबसे ज्यादा 26 अखबार कोंकण (मुम्बई) के हैं जबकि पुणे के 13, नागपुर के 14, नासिक के 10 और औरँगबाद के 22 अखबार शामिल हैं।
श्रम आयुक्त को पत्र : सीएमडी, एमडी और डायरेक्टर के हस्ताक्षर वाले एफिडेविड ही करें स्वीकार
देश भर के मीडिया कर्मियों के वेतन, एरियर और प्रमोशन से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मजीठिया संघर्ष मंच ने महाराष्ट के श्रम आयुक्त को एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि अखबार मालिकों की साजिश रोकने के लिये मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू किये जाने के बारे में आपके विभाग द्वारा मंगाये जा रहे एफिडेविड पर कंपनी के सीएमडी, एमडी, डायरेक्टर या पार्टनर का ही हस्ताक्षर होना मान्य किया जाये।
सबसे ज्यादा बददुआ पाने वाली मीडिया कंपनी है डीबी कॉर्प!
राजश्री प्रोडक्शन ने एक से बढकर एक हिट फिल्में दी हैं जिन्हें लोगो ने बार बार देखा और बार बार सराहा। राजश्री प्रोडक्शन के सूरज बड़जात्या से एक बार मैंने सवाल पूछ लिया और जो उत्तर मिला वो आज तक नहीं भुला सका। सवाल था राजश्री प्रोडक्शन की कामयाबी का राज आप क्या मानते हैं? सूरज जी ने उत्तर दिया- हम फिल्में पैसे से नहीं, दुआओं से बनाते हैं। तह तक गया तो पता चला राजश्री प्रोडक्शन में आज भी कई लोग ऐसे हैं जो ‘दोस्ती’ फिल्म के समय से जुड़े और इसी कंपनी के होकर रह गए। कंपनी प्रबंधन उनके हर सुख दुख में साथ देता है।
संपादक ने मांगा हफ्ता तो दुकानदार ने की आत्महत्या
संपादक सहित दो गिरफ्तार, एक फरार : महाराष्ट्र के भिवंडी तालुका से एक खबर आ रही है कि यहां ‘सत्यकामना’ नामक एक साप्ताहिक के संपादक ने सरकारी राशन दुकानदार के खिलाफ खबर छापकर पांच लाख रुपये का हफ्ता मांगा तो परेशान होकर सरकारी राशन दुकानदार ने आत्महत्या कर लिया। मृत्यु से पूर्व लिखे गये पत्र को आधार बनाकर पुलिस ने आरोपी संपादक को गिरफ्तार कर लिया है।
आत्महत्या के पहले अंगदान कर गए थे मुंबई के वरिष्ठ प्रेस फोटोग्राफर जगदीश औरंगाबादकर
इस पुरानी तस्वीर में फिल्म स्टार दिलीप कुमार के साथ प्रेस फोटोग्राफर जगदीश औरंगाबादकर दिख रहे हैं.
मुम्बई : सिनेमा जगत को कवर करने वाले जाने माने प्रेस फोटोग्राफर जगदीश औरंगाबादकर ने परसों मुम्बई के गोरेगांव स्थित अपने आवास पर आत्महत्या कर लिया था। इस घटना से सिनेमाजगत को कवर करने वाले पत्रकारों और फोटोग्राफरों में शोक का माहौल है। इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक जगदीश औरंगाबादकर गोरेगांव स्थित अपने आवास पर अकेले थे।
मजीठिया मामला : मुम्बई के 22 अखबार मालिकों को एफिडेविड देने का निर्देश
पत्रकारों के वेतन, एरियर और प्रमोशन से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में आज मुम्बई शहर के श्रम उपायुक्त ने एक बड़ा निर्देश जारी कर 22 अखबार मालिकों को नोटिस भेज कर उन्हें 19 अक्टूबर तक एफिडेविड देने को कहा है। ये एफिडेविड 300 रुपये के स्टाम्प पेपर पर देना होगा और इस एफिडेविड में अखबार मालिकों को साफ़ तौर पर ये लिख कर देना पड़ेगा कि उन्होंने अपने सभी कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार बकाया दे दिया है। साथ ही ये भी कि मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार ही वे कर्मचारियों को वेतन दे रहे हैं। अब अगर अखबार मालिकों ने झूठा एफिडेविड दिया और अगर ये झूठ सिद्ध हो गया तो उनके खिलाफ फर्जी एफिडेविड देने का नया मामला दर्ज होगा।
भास्कर को झटके पर झटका, पत्रकार धर्मेंद्र के बाद अब रिसेप्शनिस्ट लतिका के भी ट्रांसफर पर कोर्ट ने लगाई रोक
भारत में ‘ज़िद करो दुनिया बदलो’ का नारा देने वाले डीबी कॉर्प को लगातार झटके लग रहे हैं, किंतु भास्कर प्रबंधन है कि सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। दैनिक भास्कर ने मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर मांगने पर अपने प्रिंसिपल करेस्पॅान्डेंट धर्मेन्द्र प्रताप सिंह का मुम्बई से सीकर (राजस्थान) ट्रांसफर कर दिया। धर्मेन्द्र प्रताप सिंह अदालत की शरण में गए और इंडस्ट्रियल कोर्ट ने इस ट्रांसफर पर रोक लगा दी। इसके बाद अब भास्कर की सहायक महाप्रबंधक (कार्मिक) अक्षता करंगुटकर ने डी बी कॉर्प के मुम्बई के माहिम स्थित कार्यालय में कार्यरत महिला रिसेप्शनिस्ट लतिका आत्माराम चव्हाण का सोलापुर में ट्रांसफर कर दिया।
भास्कर के पत्रकार ने प्रबंधन को दिया जोरदार झटका, अदालत से ट्रांसफर रुकवाया
मजीठिया वेज बोर्ड मांगने के कारण भास्कर प्रबंधन ने अपने पत्रकार धर्मेन्द्र प्रताप सिंह का कर दिया था ट्रांसफर…
मुम्बई के तेज-तर्रार पत्रकारों में से एक धर्मेन्द्र प्रताप सिंह का दैनिक भास्कर ने मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर मांगे जाने पर राजस्थान के सीकर में ट्रांसफर कर दिया था। मुम्बई में दैनिक भास्कर में एंटरटेनमेंट बीट के लिए प्रिंसिपल करेस्पांडेंट पद पर कार्यरत धर्मेन्द्र प्रताप सिंह को भास्कर प्रबंधन ने पहले उन्हें लालच दिया कि कुछ ले-दे कर मामला ख़त्म करो। फिर उन्हें भास्कर की सहायक महाप्रबंधक अक्षता करंगुटकर (कार्मिक) ने धमकी दी, जिसकी शिकायत धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ने श्रम आयुक्त से की।
मजीठिया मांगने पर जिन साथियों का ट्रांसफर, टर्मिनेशन या निलंबन हुआ, वे अपना विवरण भेजें
….ताकि सुप्रीमकोर्ट के संज्ञान में लाया जा सके…
दोस्तों, मजीठिया वेज बोर्ड के तहत मीडियाकर्मियों की सुनवाई माननीय सुप्रीमकोर्ट में तेजी से चल रही है। अगर आपने या आपके किसी साथी ने मजीठिया वेज बोर्ड के तहत लाभ के पाने के लिये 17(1) का रिकवरी क्लेम लेबर विभाग में लगाया है और इस क्लेम को लगाने के बाद आपका या आपके किसी साथी का कंपनी प्रबंधन ने ट्रांसफर, टर्मिनेशन या निलंबन किया है तो आप अपना पूरा विवरण मुझे मेल पर भेजिये ताकि पता चल सके कि कितने लोगों के साथ मीडिया मालिकों ने अन्याय किया है। सभी लोगों का विवरण आने के बाद इसकी सूची बनायी जायेगी और इस ट्रांसफर, टर्मिनेशन या निलंबन के मुद्दे को सबूत के साथ माननीय सुप्रीमकोर्ट में एडवोकेट के जरिये रखा जायेगा। साथ ही माननीय सुप्रीमकोर्ट को बताया जायेगा कि किस तरह मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ कर्मचारियों को ना देना पड़े, इसके लिये कंपनी प्रबंधन दमन की नीति अपना रही है।
मजीठिया मांगने पर ‘हिंदुस्तान’ अखबार ने दो और पत्रकारों को किया प्रताड़ित
लगता है खुद को देश के कानून और न्याय व्यवस्था से ऊपर समझ रहा है हिंदुस्तान अखबार प्रबंधन। शुक्रवार को एक साथ उत्तर प्रदेश और झारखण्ड से तीन कर्मचारियों को प्रताड़ना भरा लेटर भेज दिए गए। इन कर्मचारियों की गलती सिर्फ इतनी थी की बिड़ला खानदान की नवाबजादी शोभना भरतिया के स्वामित्व वाले हिन्दुस्तान मैनेजमेंट से उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और अपना बकाया मांग लिया था।
ये क्या, सुप्रीम कोर्ट के लिखित आदेश में जागरण के मालिकों को तलब करने का जिक्र ही नहीं!
सुप्रीमकोर्ट के लिखित आदेश से समाचारपत्र कर्मियों में निराशा : माननीय सुप्रीमकोर्ट में 4 अक्टूबर को हुयी मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुनवाई के बाद लिखित आदेश कल 6 अक्टूबर को आया। लेकिन इस आदेश में दैनिक जागरण के मालिकों संजय गुप्ता और महेंद्र मोहन गुप्ता को तलब किए जाने का जिक्र ही नहीं है। न ही इन दोनों का नाम किसी भी संदर्भ में लिया गया है। यानि संजय गुप्ता और महेंद्र मोहन गुप्ता को अगली सुनवाई के दौरान सुप्रीमकोर्ट में उपस्थित नहीं रहना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट में भास्कर को सबसे ज्यादा नंगा किया गया
शशिकांत सिंह
मंगलवार को मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुनवाई के दौरान माननीय सुप्रीम कोर्ट में सबसे ज्यादा नंगा किया गया दैनिक भास्कर को। इस सुनवाई के दौरान सभी सीनियर वकीलों ने दैनिक भास्कर की सच्चाई से माननीय सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया। देश भर के पत्रकारों की मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे सीनियर एडवोकेट उमेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को विस्तार से बताया कि एक हजार करोड़ से ज्यादा टर्न ओवर की इस कंपनी ने आज तक किसी भी वेज बोर्ड का पालन नहीं किया, चाहे वो पालेकर वेज बोर्ड हो, बछावत हो, मणिसाना वेज बोर्ड हो या फिर मजीठिया वेज बोर्ड।
सुप्रीम कोर्ट ने लेबर कमिश्नरों को दिया सख्त निर्देश- आरसी काटिये और वेज बोर्ड की सिफारिश लागू कराइए
सुप्रीम कोर्ट से शशिकांत सिंह की रिपोर्ट…
सभी लेबर कमिश्नरों को अखबार मालिकों की रिकवरी काटने का सख्त आदेश… लेबर कमिश्नरों को आज माननीय सुप्रीमकोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू ना करने पर जमकर लताड़ा और दैनिक जागरण के मालिकों संजय गुप्ता और महेन्द्र मोहन गुप्ता को अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में तलब कर लिया है। साथ ही सभी लेबर कमिश्नरों को सख्त आदेश दिया कि आप इस मामले की रिकवरी सर्टिफिकेट जारी करा कर इस सिफारिश को अमल में लाइए।
मजीठिया मामला : डीबी कार्प को शोकॉज नोटिस जारी, नहीं चेते तो कटेगी आरसी
महाराष्ट्र से खबर आ रही है कि दैनिक भास्कर और दिव्य मराठी की प्रबंधन कंपनी डीबी कॉर्प को उपनगर मुंबई सहित महाराष्ट्र के श्रम विभाग ने लताड़ लगायी है। 26 सितंबर को कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच आयोजित बैठक में प्रबंधन की तरफ से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। इस बैठक में कर्मचारियों का पक्ष रखने के लिये महाराष्ट्र के श्रम आयुक्त कार्यालय ने मजीठिया संघर्ष मंच के अध्यक्ष शशिकांत सिंह को भी आमंत्रित किया था। इस बैठक में जब डी बी कॉर्प की तरफ से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ तो सहायक कामगार आयुक्त नीलांबरी भोषले ने उपायुक्त शिरिन लोखंडे से अग्रिम कदम की चर्चा की। अब महाराष्ट्र के श्रम विभाग ने पुष्टि कर दी है कि डीबी कॉर्प प्रबंधन को शोकॉज नोटिस भेजा गया है।
काश, मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर मीडिया में भी होती सर्जिकल स्ट्राइक!
भारतीय सेना के जांबाज जवानों द्वारा पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की खबर से देश झूम रहा है, नाच रहा है। इसी बीच मुम्बई मिरर में आज धोनी पर बनी फिल्म का रिव्यू पढ़ा। शीर्षक था सर्जिकल स्ट्राइकर। इस रिव्यू ने काफी कुछ सोचने को मजबूर कर दिया। काश हमारे लेबर अधिकारी माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए मीडिया के दफ्तरों में भी जाकर मजीठिया वेज बोर्ड का पालन करने पर कागजातों के साथ सर्जिकल स्ट्राइक करते। उन्हें पता चल जाता कि कहाँ कहाँ गड़बड़ी है।
मजीठिया मामला : 38 हजार बकाये का चेक लेकर आये लोकमत प्रबंधक को सहायक कामगार आयुक्त ने लौटाया
मुंबई : लोकमत के अकोला संस्करण से सर्कुलेशन अधिकारी के पद से सेवानिवृत हुये सुभाष आर तायड़े को सेवानिवृति के बाद भी मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से वेतन, एरियर और अंतरिम राहत नहीं मिला तो उन्होंने अकोला के श्रम आयुक्त कार्यालय में 17 (1) के तहत लोकमत प्रबंधन के खिलाफ रिकवरी क्लेम लगा दिया। इस क्लेम की सुनवाई के दौरान लोकमत प्रबंधन 38 हजार रुपये का एक चेक उस कर्मचारी के नाम का लेकर उपस्थित हुआ और दावा किया कि इस कर्मचारी का मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार यही बकाया निकल रहा है।
मजीठिया को लेकर हिंदुस्तान लखनऊ में क्रांति, प्रबंधन के हाथ-पांव फूले
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हिंदुस्तान टाइम्स और हिंदुस्तान से मजीठिया वेज बोर्ड की मांग को लेकर कर्मचारियों द्वारा क्रांति की खबर आ रही है. पत्रकारों ने मजीठिया वेज बोर्ड की मांग को लेकर तमाम विभागों में शिकायत करने के बाद प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. खबर है कि हिंदुस्तान टाइम्स में तो प्रबंधन बवाल शांत करने में कामयाब हो गया, लेकिन हिंदुस्तान में कर्मचारियों ने प्रबंधन ने कर्मचारियों को दिन में तारे दिखा दिए हैं. लाभ-प्रलोभन-धमकी के बाद भी वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.
यूपी के श्रमायुक्त ने जारी किया फार्मेट, मजीठिया का लाभ चाहिए तो इसे जरूर भरें
16 सितंबर को भी हो सकती है सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई…
पत्रकारों और समाचार पत्र कर्मियों के वेतन, एरियर, अंतरिम राहत तथा प्रमोशन के मामले में पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की फटकार का उत्तर प्रदेश में असर दिखने लगा है। अपनी खाल बचाने के लिए अब वहां का लेबर डिपार्टमेंट असल जांच करने लगा है। वहीं अखबार मालिकों की शामत आ गयी प्रतीत होती है। गत 23 अगस्त को सुप्रीम कोट॔ की झिड़की के बाद यूपी के श्रमायुक्त ने 27 अगस्त को आदेश जारी किया है, जिसके बाद यूपी के सभी क्षेत्रों के उप/अपर श्रमायुक्तों ने संबंधित जिलों से प्रकाशित अखबारों के प्रबंधनों को छह पृष्ठों का प्रपत्र भेजकर तत्काल पूरी कुंडली तलब कर ली है।
अमर उजाला कानपुर में श्रम विभाग का छापा
मजीठिया वेज बोर्ड मामले को लेकर माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश का असर उत्तर प्रदेश में दिखने लगा है। कानपुर में अमर उजाला के कार्यालय पर श्रम अधिकारियों की टीम ने औचक छापा मारा और जरूरी दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिया। बताया तो यहाँ तक जारहा है कि श्रम अधिकारियों ने अमर उजाला के कार्मिक विभाग का हार्डडिस्क भी अपने कब्जे में ले लिया। हालांकि हार्ड डिस्क वाली बात की पुष्टि नहीं हो पाई है।
मजीठिया मामले में वकीलों के खिलाफ घोषित वॉकयुद्ध बंद कीजिये प्लीज़
मजीठिया वेज बोर्ड मामले में हम इन दिनों एक तरफ जहाँ खुश होकर सुप्रीम कोर्ट के 23 अगस्त के फैसले की तारीफ़ के कसीदे पढ़ रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की बारीकियों का अध्ययन कर रहे हैं वहीँ पत्रकारों का एक समूह कुछ वकीलों की तारीफ और मैनेजमेंट के इशारे पर दूसरे वकीलों के खिलाफ सोशल मीडिया पर वॉक युद्ध कर रहा है। फेसबुक पर स्टोरी चल रही थी कि अमुक वकील तो सुप्रीम कोर्ट में कुछ नहीं बोले। एक ने ‘हिन्दुस्तान और हिंदुस्तान टाइम्स के रिटायरमेंट हुए लोगों को मिले लाखों रुपये’ पर कमेंट लिखा है कि हिन्दुस्तान के कर्मचारियों को जितना पैसा बताया गया, उतना नहीं मिला। यानि सीधे सीधे कहें तो आरोप हिन्दुस्तान टाइम्स कर्मचारियों के वकील उमेश शर्मा जी पर लगा दिया। साथ ही मेरी लेखनी पर भी।
सुप्रीम कोर्ट की डांट-फटकार और वारंट के बाद राइट टाइम हुआ श्रम विभाग, सुनिए भोपाल का हाल
मजीठिया वेज बोर्ड मामले में 23 अगस्त को माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा देश के पांच कामगार आयुक्तों को लताड़ लगाने और वारंट जारी करने के बाद देश भर के श्रम विभाग के अधिकारी राइट टाइम होते दिख रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख से प्रिंट मीडिया के पत्रकारों में ख़ुशी की लहर है. भोपाल में श्रम आयुक्त कार्यालय ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में बहुत तेजी से काम करना शुरू कर दिया है. इस तेजी के लिए इस विभाग का नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज होना चाहिए.
हिन्दुस्तान टाइम्स के टर्मिनेट कर्मचारियों ने किया 65-65 लाख का रिकवरी क्लेम
प्रबंधन इस कर्मचारी को मनाने में जुटा… एक दर्जन से ज्यादा रिटायर कर्मचारी बनवा रहे हैं क्लेम : मजीठिया वेज बोर्ड मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट में हिन्दुस्तान टाईम्स नयी दिल्ली प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा दायर करने वाले 3 टर्मिनेट कर्मचारियों में दो ने अपना वास्तविक हिसाब बनवाकर लगभग 65-65 लाख रुपये का रिकवरी क्लेम श्रम आयुक्त के यहाँ किया है। एक अन्य टर्मिनेट कर्मचारी ने अपना फुल एंड फाइनल हिसाब कंपनी से ले लिया। इस 65 लाख के क्लेम में अंतरिम, एरियर और ब्याज भी शामिल है। लगभग एक दर्जन सेवानिवृत कर्मचारी अपना रिकवरी क्लेम करने की तैयारी कर चुके हैं जिनमे प्रत्येक 50-50 लाख का क्लेम करने जा रहे हैं।
मजीठिया मामले में हिन्दुस्तान टाइम्स झुका, 11 कर्मचारियों को दिया उनका लाखों रुपये बकाया
दिल्ली के हिन्दुस्तान टाईम्स से एक बड़ी और अच्छी खबर आयी है। यहां मजीठिया वेज बोर्ड मामले में हिन्दुस्तान टाईम्स प्रबंधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर करने वाले 12 कर्मचारियों को समाचार पत्र प्रबंधन ने उनका बकाया देना शुरू कर दिया है। ये सभी 12 कर्मचारी सेवानिवृत हो चुके थे और उन्होंने रिटायरमेंट के बाद माननीय सुप्रीमकोर्ट में मजीठिया वेज बोर्ड मामले की लड़ाई लड़ने वाले एडवोकेट उमेश शर्मा के जरिये केस लगाया था।
मुम्बई में पत्रकारों से अवैध रूप से कराई जा रही है नाइट शिफ्ट
आर टी आई से हुआ खुलासा… मुम्बई के पत्रकारों से नाइट शिफ्ट कराना पूरी तरह गलत है। ये खुलासा हुआ है आरटीआई के जरिये। मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह ने श्रम आयुक्त कार्यालय से जानकारी मांगी थी कि मुम्बई के कितने समाचार पत्र प्रबंधन ने अपने कार्यालय में कार्यरत पत्रकारों से नाइट शिफ्ट कराते समय श्रम आयुक्त कार्यालय से अनुमति ली है। इस पर 8 अगस्त 2016 को भेजे जवाब में श्रम आयुक्त कार्यालय के राज्य जन माहिती अधिकारी और सरकारी कामगार अधिकारी आरपी तोड़कर ने बताया है कि इस कार्यालय का रिकार्ड देखा गया जिसमें श्रमिक पत्रकार और पत्रकारेत्तर कर्मचारी सेवा शर्त की अधिनियम 1955 के अंतर्गत प्रकरण तीन के नियम 19 के तहत किसी भी समाचार पत्र प्रतिष्ठान को मंजूरी आदेश देने का आदेश नहीं दिया गया है।
जानिये मुम्बई के किस समाचार पत्र में कितने कर्मचारी काम करते हैं
मिड डे में काम करते हैं सबसे ज्यादा 432 कर्मचारी, प्रातःकाल तथा आपला महानगर निकलता है सिर्फ 8 कर्मचारियों से, आर टीआई से हुआ खुलासा
मजीठिया वेज बोर्ड को लागू करने की सख्ती के बाद मुम्बई के समाचार पत्रों में कर्मचारियों की संख्या को लेकर खूब उलटफेर हो रहा है। यहाँ श्रम आयुक्त कार्यालय द्वारा किये गए सर्वे का ताजा आंकड़ा तो यही संकेत दे रहे हैं। जानिये मुम्बई के कौन से समाचार पत्र में कितने कर्मचारी काम करते हैं और उनमे कितने परमानेंट और कितने ठेका पर काम करने वाले कर्मचारी हैं। ये सारी सूचना मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह ने आरटीआई के जरिये हासिल किया है।
मुंबई के एक भी अखबार ने नहीं किया मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीमकोर्ट के आदेश का पालन
मुम्बई में लगता है समाचार पत्र मालिकों में सुप्रीमकोर्ट का खौफ नहीं है। दिनदहाड़े इन समाचार पत्रों ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीमकोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखा दिया। मुम्बई के निर्भीक पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में आरटीआई के जरिये एक रिपोर्ट निकाली तो पता चला कि मुम्बई में एक भी अखबार प्रबंधन ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश पूरी तरह लागू नहीं की है। सिर्फ हिन्दुस्तान टाइम्स ने श्रम आयुक्त को एक पत्र लिखकर दावा किया कि उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड को पूरी तरह लागू कर दिया है जबकि श्रम आयुक्त कार्यालय ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है इस समाचार पत्र प्रतिष्ठान में सर्वे का काम बाकी है।
मजीठिया मामले में मुंबई के चार बड़े अखबार समूहों के खिलाफ हो सकती है कानूनी कार्रवाई
श्रम आयुक्त कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट को दी सूचना, आरटीआई से हुआ खुलासा : मजीठिया वेज बोर्ड मामले में श्रम अधिकारियों द्वारा किये गए सर्वे के दौरान सर्वे टीम को जरूरी दस्तावेज ना देने, मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश ठीक से लागू ना करने और जानकारी छिपाने के मामले में मुम्बई के चार बड़े समाचार पत्र समूहों बेनमेट कोलमन, इंडियन एक्सप्रेस, मेसर्स राणे प्रकाशन और प्रबोधन प्रकाशन के खिलाफ श्रम आयुक्त कार्यालय ने कानूनी कार्रवाई करने का मूड बनाया है।
इंदौर के भास्कर, पत्रिका, स्वदेश अखबारों ने नहीं माना सुप्रीम कोर्ट का आदेश, जानिए क्या दिया है इन्होंने जवाब
मजीठिया वेज बोर्ड मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट ने साफ़ आदेश दिया था कि मजीठिया वेज बोर्ड की रिपोर्ट को 11 नवम्बर 2011 से माना जाएगा और कर्मचारियों को उनका एरियर मार्च 2014 तक जरूर दे दिया जाए लेकिन इंदौर में दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और स्वदेश ने बाकायदे मार्च 2014 के बाद श्रम आयुक्त कार्यालय को एक पत्र लिखा और इस रिपोर्ट को लागू करना इसलिए जरूरी नहीं बताया क्योंकि उन्होंने 20 (जे) का सहारा लिया है। स्वदेश ने तो दो दो बार श्रम आयुक्त कार्यालय को पत्र लिखकर कागजात देने में समय माँगा।
मजीठिया वेज बोर्ड की लडाई लड़ रहे साथी ऐसे करें आरटीआई के लिए आवेदन
मजीठिया वेज बोर्ड के तहत अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे सभी साथी और मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिस के तहत वेतन,एरियर और प्रमोशन पाने के इच्छुक देश भर के सभी पत्रकार साथियों से निवेदन है कि इस अधिकार की लड़ाई के लिए आरटीआई का सहारा लें। आप एक बात एकदम स्पष्ट जान लीजिये यही वो ब्रम्हास्त्र है जो मैनेजमेंट के भ्रस्टाचार को आपके सामने लाएगा। उत्तर प्रदेश के एक साथी ने मेरे कहने पर कुछ सवाल आरटीआई से माँगा है।
लोकमत, नागपुर में श्रम अफसरों ने किया सर्वे, ट्रांसफर किए जाने पर महिला पत्रकार ने लिया स्टे
महाराष्ट्र के मराठी दैनिकों में प्रमुख लोकमत से एक बड़ी खबर आ रही है। यहाँ लोकमत नागपुर आफिस में श्रम आयुक्त की टीम पहुंची और वहां उन्होंने जांच की। पहले कार्मिक अधिकारी ने अपने ही आदमी भेज कर टीम को गुमराह करने की कोशिश की। बाद में यूनियन के कुछ लोग श्रम आयुक्त कार्यालय पहुंचे और वहां उन्होंने पूरी जानकारी दी। बाद में कामगार अधिकारियों की टीम फिर से लोकमत नागपुर आफिस गई और यूनियन के लोगों की बात सुनी और दस्तावेज लिए।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखा रहा है राजस्थान का श्रम आयुक्त कार्यालय
भास्कर प्रबंधन के दबाव में श्रम आयुक्त कार्यालय ने दी श्रम अदालत में जाने की सलाह
माननीय सुप्रीमकोर्ट ने साफ आदेश दिया है कि 11 नवम्बर 2011 से मजीठिया वेज बोर्ड को अमल में लाया जाए। इसके लिए भारत सरकार द्वारा गजट भी जारी किया गया है। मजीठिया वेज बोर्ड का पालन कराना राज्य के श्रम आयुक्तों का काम है मगर लगता है राजस्थान के श्रम आयुक्त कार्यालय का माई बाप दैनिक भास्कर प्रबंधन हो गया है। श्रम विभाग, राजस्थान आँख बंद करके सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहा हे। मीडिया मालिक और श्रम विभाग दोनों में कोई अंतर नहीं है, ऐसा साफ लग रहा है।
मजीठिया मामले में प्रबंधन से मोटी फीस लेकर बिना तैयारी के सुनवाई में आ रहे वकील
मुम्बई में डीबी कार्प के खिलाफ मजीठिया मामले में दैनिक भास्कर के प्रिंसपल करस्पांडेंट धर्मेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा 17 (1) के तहत दायर की गयी शिकायत के मामले में शनिवार को श्रम आयुक्त कार्यालय मुम्बई शहर में सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान प्रबंधन की तरफ से अधिवक्ता बिना किसी कागजात के चले आये और ऐसा उन्होंने दूसरी बार किया। इस मामले में अब तक तीन तारीख लग चुकी है लेकिन भास्कर प्रबंधन अब तक कोई कागजात उपस्थित नहीं कर पाया और न ही वकील की तरफ से वकालतनामा ही दाखिल किया गया है। इस पर सहायक कामगार आयुक्त सीए राउत ने कड़ा एतराज जताया।
कर्मचारियों के जले पर नमक छिड़क रहा है अमर उजाला!
नोएडा से एक साथी ने सूचना दी है कि अमर उजाला प्रबंधन अपने कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी व बकाया तो दे नहीं रहा है ऊपर से जले पर नमक छिड़क रहा है। इस साथी ने सूचना दी है कि यहाँ अमर उजाला के नंबर वन होने का जश्न मनाया गया लेकिन अमर उजाला के नंबर 1 होने का जश्न सिर्फ बड़े लोगों ने ही जोर शोर से मनाया। संपादक, जनरल मैनेजर, मैनेजर जैसे खास लोग 10-12 दिन के विदेश टूर पर भेजे गए और वहां से मौज मस्ती करके लौट आए हैं।
मजीठिया मामले में सभी साथी आरटीआई के जरिये स्टेटस रिपोर्ट, जरूरी कागजात और ट्रांसफर टर्मिनेशन के नियम मंगाएं
दोस्तों, मजीठिया वेज बोर्ड के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तिथि 23 अगस्त तय की है। इस दिन माननीय सुप्रीम कोर्ट में उत्तरप्रदेश सहित पांच राज्यों के श्रम आयुक्तों को तलब किया गया है। उसके बाद दूसरे राज्यों के श्रमायुक्त सुप्रीम कोर्ट में तलब होंगे। हमारे पास एक महीने से ज्यादा समय है। सभी साथी श्रम आयुक्त कार्यालय में एक आरटीआई लगायें और उसमें निवेदन करें कि इस कार्यालय द्वारा माननीय सुप्रीमकोर्ट में भेजी गयी मजीठिया वेजबोर्ड से जुडी स्टेटस रिपोर्ट की पूरी प्रमाणित प्रति दें। इसके साथ ही आप अपनी कंपनी द्वारा जमा कराये गए कर्मचारियों की पूरी सूची, अन्य दस्तावेज भी मंगाएं।
हे भड़ास वालों, कभी ठेके पर काम कर रहे मीडियाकर्मियों के बारे में भी बात कर लो
भड़ास के एक पाठक अभिषेक सिंह जी ने एक मेल भेजा है। इसमें पत्रकार बंधु अभिषेक ने बहुत अच्छा सवाल उठाया है जिसके लिए उनको धन्यवाद। अभिषेक जी ने इस मेल में लिखा है- ”आज मजीठिया को हव्वा बनाया जा रहा है। आज जितने पत्रकार पेरोल पर हैं? उससे कहीं ज्यादा ऐसे पत्रकार हैं जो पक्के नहीं हैं यानि वो ठेका पर हैं। ऐसे पत्रकारों को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ तो मिलेगा नहीं। भड़ास पढ़ने के बाद दिल में एक ठसक सी हो जाती है क़ि हम पत्रकार हैं की नहीं।”
मजीठिया मांगा तो ‘पत्रिका’ ने कर दिया दामाद की दुकान पर ट्रांसफर, बाद में किया टर्मिनेट
भोपाल : देश में हिंदी के नामचीन अखबारो में एक राजस्थान पत्रिका में मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर मांगना भोपाल के एक कर्मचारी के मानसिक तनाव का कारण बन गया है। इस कर्मचारी ने राजस्थान पत्रिका के प्रबंधन के खिलाफ मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और भत्ते न देने पर माननीय सुप्रीमकोर्ट में शिकायत की थी। भोपाल के महेंद्र नारोलिया का आरोप है कि उन्होंने सुप्रीमकोर्ट में शिकायत करने के कारण उनका ट्रांसफर कोलकाता कर दिया गया। वह कोलकाता पहुंचे तो उन्हें राजस्थान पत्रिका के मालिक के दामाद की दुकान में काम पर लगा दिया गया। नरेंद्र का कहना है कि उनका 4 हजार रुपये वेतन भी कम कर दिया गया जिसके कारण वह मानसिक रूप से बीमार हो गए और वहां से वापस लौट आए।
मजीठिया : सुप्रीम कोर्ट ने सही नब्ज पकड़ा है, यूपी-उत्तराखंड वालों के लिए आखिरी मौका, जानिए कैसे किया जाता है क्लेम
शशिकांत सिंह
मजीठिया वेज बोर्ड मामले में 19 जुलाई को माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश से देश भर के बेईमान श्रम आयुक्तों का उल्टा लटकना तय है। कितनी बार श्रम आयुक्तों को माननीय सुप्रीमकोर्ट ने साफ़ निर्देश दिया था कि आप स्टेटस रिपोर्ट भेजें। स्टेटस रिपोर्ट भेजी भी गयी श्रम आयुक्त कार्यालयों द्वारा लेकिन वही ढाक के तीन पात। दो-दो बार रिपोर्ट भेजी गयी लेकिन हर बार आंकड़ों का खेल किया गया। हर बार उल्टे आंकड़े दिए गए।
टाइम्स समूह ने नहीं सौपा श्रम अधिकारी को कर्मचारियों की सूची और एरियर का डिटेल
शशिकांत सिंह
हो सकती है कानूनी कार्यवाई, आरटीआई से हुआ खुलासा…
मुंबई : देश के नंबर वन समाचार पत्र समूह बेनेट कोलमैन एन्ड कंपनी लिमिटेड अपने कर्मचारियों का ना सिर्फ जमकर शोसण कर रहा है बल्कि मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सुप्रीमकोर्ट के आदेश को भी ठेंगे पर रखता है। इस समूह के समाचार पत्रों टाइम्स आफ इंडिया, मुम्बई मिरर, नवभारत टाइम्स और महाराष्ट्र टाइम्स में काम करने वाले हजारों लोग भले गर्व से कहते हों मैं टाइम्स समूह का कर्मचारी हूँ मगर इन्हें शायद ये जानकार काफी दुःख पहुंचेगा कि इस कंपनी ने श्रम अधिकारी को अपने कर्मचारियों की लिस्ट ही नहीं सौंपी है।
मजीठिया पर आज के फैसले का निहितार्थ : सुप्रीम कोर्ट आरपार वाले एक्शन के मूड में, जो मीडियाकर्मी सोए हैं वो अब भी जग सकते हैं
देश भर के पत्रकारों और गैर पत्रकारों के वेतन प्रमोशन से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उन श्रम सचिवों / श्रम आयुक्तों को तलब करना शुरू किया है जिन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में या तो सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करते हुए अपनी स्टेटस रिपोर्ट नहीं भेजी या जिन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने के आदेश को गंभीरता से नहीं लिया।
मजीठिया : बेहद सख्त सुप्रीम कोर्ट ने यूपी समेत पांच राज्यों के सचिवों को नए एक्शन रिपोर्ट के साथ 23 अगस्त को तलब किया
मीडिया मालिकों के कदाचार और सरकारी अफसरों की नपुंसकता से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अब एक एक को देख लेने का इरादा बना लिया है. अपना रुख बहुत सख्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यों से आई रिपोर्ट को एक साथ एक बार में नहीं देखा जा सकता और इसमें बहुत सारी बातें स्पष्ट भी नहीं है इसलिए अब यूपी समेत पांच राज्यों की समीक्षा होगी और समीक्षा के दौरान संबंधित राज्यों के सचिव सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहेंगे. शुरुआत में नार्थ इस्ट के पांच राज्य हैं जिनके सचिवों को अपनी नवीनतम एक्शन रिपोर्ट तैयार करके 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हाजिर रहने को कहा है.
चुल्लू भर पानी में डूब मरो पत्रकार संघटनों के पदाधिकारियों
सुबह सुबह सोकर उठने के बाद हमेशा की तरह वाट्सअप और मेल चेक किया तो मुम्बई के एक पत्रकार संघ का मेल था फोटो के साथ। न्यूज़ थी कि इस पत्रकार संघ ने किया वृक्षारोपण। इस अवसर पर कई पुलिस वाले और अधिकारी भी मौजूद थे। सही कहूँ तो ऐसी कोई प्रेस रिलीज देखता हूँ तो माथा भन्ना जाता है। आज देश भर में पत्रकारों के ऊपर जुल्म हो रहे हैं। किसी पत्रकार से जबरी रिजाइन माँगा जा रहा है तो प्रशांत जैसा जुझारू हमारा साथी आत्महत्या की कोशिश में नासिक के अस्पताल में पड़ा है। किसी पत्रकार का ट्रांसफर हो रहा है। किसी को मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार वेतन मांगने पर प्रबंधन गुंडों से धमका रहा है। ऐसे में देश भर में कुछ पत्रकार संघटनो और यूनियनों को छोड़कर बाकि कागजी शेर पुलिस और नेताओं के तलवे चाट रहे हैं।