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सुख-दुख

महिला पत्रकार से बदसलूकी और मुंबई पुलिस के असंवेदनशीलता के कारण रो पड़े सीनियर क्राइम रिपोर्टर प्रवीण मिश्रा

Ashwini Sharma : भास्कर न्यूज के नोएडा आफिस में बैठकर मुंबई में महिला पत्रकार से छेड़छाड़ की खबर लिखते वक्त बहुत दुख हुआ… जिस महिला पत्रकार के साथ शर्मसार करती घटना हुई वो मुंबई में कई साल मेरी सहकर्मी रह चुकी है… वो एक बहादुर लड़की है… उसकी कई बड़ी स्टोरी का साक्षी रह चुका हूं… माहिम के जिस इलाके में उसके साथ घटना घटी है वो रात गहराते अपराधियों के अड्डे में तब्दील हो जाता है… पुलिस भी वहां बौनी नजर आती है… दुख इस बात का है कि लड़की ने तो हिम्मत दिखाकर पुलिस में F.I.R दर्ज करवाने की कोशिश की लेकिन पुलिस घंटों टालमटोल करती रही…

<p>Ashwini Sharma : भास्कर न्यूज के नोएडा आफिस में बैठकर मुंबई में महिला पत्रकार से छेड़छाड़ की खबर लिखते वक्त बहुत दुख हुआ... जिस महिला पत्रकार के साथ शर्मसार करती घटना हुई वो मुंबई में कई साल मेरी सहकर्मी रह चुकी है... वो एक बहादुर लड़की है... उसकी कई बड़ी स्टोरी का साक्षी रह चुका हूं... माहिम के जिस इलाके में उसके साथ घटना घटी है वो रात गहराते अपराधियों के अड्डे में तब्दील हो जाता है... पुलिस भी वहां बौनी नजर आती है... दुख इस बात का है कि लड़की ने तो हिम्मत दिखाकर पुलिस में F.I.R दर्ज करवाने की कोशिश की लेकिन पुलिस घंटों टालमटोल करती रही...</p>

Ashwini Sharma : भास्कर न्यूज के नोएडा आफिस में बैठकर मुंबई में महिला पत्रकार से छेड़छाड़ की खबर लिखते वक्त बहुत दुख हुआ… जिस महिला पत्रकार के साथ शर्मसार करती घटना हुई वो मुंबई में कई साल मेरी सहकर्मी रह चुकी है… वो एक बहादुर लड़की है… उसकी कई बड़ी स्टोरी का साक्षी रह चुका हूं… माहिम के जिस इलाके में उसके साथ घटना घटी है वो रात गहराते अपराधियों के अड्डे में तब्दील हो जाता है… पुलिस भी वहां बौनी नजर आती है… दुख इस बात का है कि लड़की ने तो हिम्मत दिखाकर पुलिस में F.I.R दर्ज करवाने की कोशिश की लेकिन पुलिस घंटों टालमटोल करती रही…

महिला पत्रकार के समर्थन में नाइट शिफ्ट के सभी चैनल के पत्रकार पुलिस स्टेशन पहुंच गए… फिर भी पुलिस दलील देती रही… हद तब हो जाती है जब आरोपियों के समर्थक पुलिस थाने में ही पत्रकारों को धमकाते हैं और उन पर हमला कर देते हैं… फिर भी पुलिस कुछ नहीं कर पाती… सब कुछ असहनीय हो जाता है… आखिर में हमारे प्रिय पत्रकार और मुंबई नाइट शिफ्ट पत्रकारिता की जान प्रवीण मिश्रा का अत्यंत भावुक रूप सामने आता है… पुलिस की बेरुखी से परेशान प्रवीण रो पड़ते हैं… जैसे कोई बच्चा रोता है… क्राइम का एक बड़ा पत्रकार जिसने 18 साल में एक से बढ़कर एक खतरनाक स्टोरी की हो, उसको एक जूनियर महिला पत्रकार के लिए रोना दर्शाता है कि प्रवीण बहुत भावुक इंसान हैं…

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प्रवीण के साथ करीब 11 साल पहले इन मुंबई चैनल में मुझे काम करने का अवसर मिल चुका है… इन्हें न्यूज चैनल की दुनिया में मुंबई में नाइट शिफ्ट रिपोर्टिंग की नींव रखने वाला माना जाता है… जाने कितने रिपोर्टर्स इनसे लाइनअप लेकर आज बड़ी जगह पर काबिज हैं… अब आते हैं एक बार फिर दुबारा माहिम पुलिस स्टेशन में जहां प्रवीण और उनके साथियों की मेहनत रंग लाती है… आखिर में मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया के आदेश पर डीसीपी महेश पाटिल पुलिस स्टेशन पहुंचते हैं और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश देते हैं… लेकिन सवाल वही है कि मुंबई में अगर महिला पत्रकार ही सुरक्षित नहीं हैं और अगर पुलिस उनकी शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं कर रही है तो आम महिलाओं के साथ क्या कुछ नहीं होता होगा…

मुंबई में कई वर्षों तक कई न्यूज चैनलों में अपराध पत्रकारिता कर चुके अश्विनी शर्मा के फेसबुक वॉल से.

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