- अब संगठन की बजाय जातिगत जमींन पर प्रत्याशी के चेहरे पर होने लगा चुनावी समर, मौर्य वोट का बहाव रोकने आये केशव मौर्य हुए नाकाम..
- सहयोगी पार्टियों की ज़ुबान रोकने और उनके बयान पर सफाई देने की बजाय भाजपा हाई कमान ठाकुर क्षत्रपों को मनाने में जुटा..
- अपना दल और राजभर की पार्टी के नेता सवर्णों को गाली देकर जीत हासिल करना चाहते हैं, पिछले विधानसभा चुनाव में यही फार्मूला अपनाई थी सपा और मुह के बल गिर पड़ी..
कैलाश सिंह-
जौनपुर : इस रिपोर्ट में अपना दल की अनुप्रिया पटेल के भाषण वाला वीडियो इसलिए लगाया है क्योंकि इसे सुनकर समझने लायक है, और इसका जवाब भी राजा भैया- रघुराज प्रताप सिंह ने माकूल दिया। जबकि राजभर की पार्टी के नेता ने ऐसी भाषा बोली है जो देखने और सुनने लायक नहीं है लेकिन झुकने की बजाय टूटना पसन्द करने वाली क्षत्रिय कौम का खून इन्हीं भाषाओं के चूल्हे पर इतना उबाल मारा की उसकी आंच चंदौली से आगे बढ़ने लगी।
राजा भैया ने अनुप्रिया पटेल के प्रतापगढ़ में दिये बयान- किसी रानी के पेट से राजा अब नहीं पैदा होता है बल्कि अब राजा ईवीएम मशीन से पैदा होता है। इसके जवाब में राजा भैया ने कहा की ईवीएम से जन सेवक पैदा होता है।
अगर अब जौनपुर के चुनावी हालात पर नज़र डालें तो यहाँ एनडीए के दोनों सहयोगी दलों ने गुजरात से निकली चिंगारी राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पश्चिमी यूपी होते हुए जो आग पूर्वांचल में पहुंची थी वह मन्द पड़ गई थी, लेकिन उसमें भाजपा के सहयोगी दलों के नेताओं ने पेट्रोल डालकर जल रहे वोट रूपी ईन्धन को आगे बढ़ने और धधकने की ताकत दे दी। इस वर्ग के युवा वोटर मुखर होने लगे।
मछलीशहर लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद व इस बार फिर प्रत्याशी अब सीएम योगी के बुलडोजर की तुलना अपने द्वारा ठाकुरों, ब्राह्मणों पर कराये गए एससी-एसटी के मुकदमे से करके खुद को बाबा बता रहे। उनका यह बयान दोनों कौम के युवा वोटरों की क्रोधाग्नि को ज्वाला बना रही है। इस सीट पर सवर्ण वोटरों की निगाह में भाजपा, सपा दोनों के प्रत्याशी नापसंद हैं। लोगों में चर्चा है की यदि यहाँ से भाजपा ने पूर्व सांसद विद्या सागर सोनकर को मैदान में उतारा होता तो इस सीट को जीतने के लिए किसी लहर की जरूरत नहीं पडती, क्योंकि श्री सोनकर को हर वर्ग बेहद पसन्द करता है।
जौनपुर में ठाकुरों के साथ अधिकांश ब्राह्मण मतदाता खामोश हैं। बाकी काम इस सीट पर संगठन में कायम अविश्वास और खींचतान से बिगड़ चुके हैं। मौर्य वोटर तो भाजपा को छोड़कर सपा प्रत्याशी के साथ टिकट की घोषणा के दौरान पाला बदल चुका है। सोमवार को डिप्टी सीएम केशव मौर्य के मनाने का भी असर नहीं हुआ। इस वर्ग के तमाम वोटरों का कहना है की केशव ने आने में देर कर दी, वैसे भी वह कहाँ हमसे मिलेंगे। अन्य जातिगत वोटर धीरे-धीरे जहाँ जाना है वहाँ फिक्स होते जा रहे।
सपा प्रत्याशी जाल लेकर उन्हें मछली सरीखे अपने खेमे में करने में लगे हैं। सौदेबाजी की रफ्तार तेज़ हो गई है लेकिन उनकी पार्टी के परम्परागत वोट बसपा की तरफ रुझान किये हैं और यादवों में उनकी पैठ मजबूत है। सपा के अंदरखाने खिंचाव का भी इन्हें फायदा मिलेगा। मुस्लिम वोटर अभी जीत-हार के तराजू में तौल रहे हैं। चुनाव में फिजा बदलते देर नहीं लगती?
![](https://www.bhadas4media.com/wp-content/uploads/2018/03/logo.jpg)