संजय कुमार सिंह
आज छठे चरण का मतदान है और इसमें दिल्ली तथा हरियाणा शामिल है। इस कारण अखबारों में विज्ञापन ज्यादा है और खबरें कम। आज की एक बड़ी खबर तो छठे चरण के मतदान की है और दूसरी बड़ी खबर ईवीएम का डाटा अपलोड करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की है। लेकिन प्रधानमंत्री के भाषणों की बात करें तो वह पहले पन्ने से लगभग गायब है। सोशल मीडिया पर उनका यह कहना चर्चा में है कि भगवान ने उन्हें खासतौर पर धरती पर भेजा है। पता नहीं यह परसों का बयान है या कल का – पर कल तो नहीं ही दिखा आज भी नहीं है। मैं भी भूल ही गया था, पर टेलीग्राफ का आज का कोट यही है। हालांकि अखबार में यह ममता बनर्जी के हवाले से है। कुल मिलाकर, छठे चरण में मीडिया और भक्ति की स्थिति का नया स्तर है।
अखबार ने लिखा है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संदर्भ में ममता बनर्जी। उन्होंने जो कहा है उसका हिन्दी अनुवाद कुछ इस तरह होगा, “यहां राजनीति कर रहे हैं और दावा यह कि भगवान के दूत हैं? ईश्वर के दूत स्वघोषित नहीं होते हैं। भगवान उन्हें बनाते हैं।” इंटरनेट पर ऐसे बहुत से बयान हैं। मुझे ट्वीटर यानी एक्स पर एक मिला। उसके अनुसार, “ना मैं अपने लिए जिया हूं, ना अपने लिए जन्मा हूं, बल्कि ईश्वर ने मुझे अपने 140 करोड़ परिवारजनों की सेवा के लिए भेजा है।” इसके साथ आठ मिनट का एक वीडियो भी है। यह 18 मई 2024, रात 9:39 का है। लेकिन चर्चा में यह रजत शर्मा के चैनल पर कहने के बाद आया। उन्होंने कहा है, “मुझे लगता है कि परमात्मा ने मुझे 2047 तक विकसित भारत बनाने का लक्ष्य दिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि जब तक मैं उस लक्ष्य को 2047 तक हासिल नहीं कर लूंगा , मुझे परमात्मा वापस नहीं बुलाएंगे”।
व्हाट्सऐप्प और सोशल मीडिया पर द हिन्दू अखबार की एक खबर का लिंक भी घूम रहा है। इसके अनुसार प्रधानमंत्री पिछले साल अप्रैल में बांदीपुर टाइगर रिजर्व गए थे। उस वक्त जिस पांच सितारा होटल में रुके, उसका 80 लाख रुपए का बिल अभी तक बकाया है। होटल वाले पैसा मांग-मांगकर थक चुके हैं। अब खबर है कि भुगतान नहीं हुआ तो कानूनी कार्रवाई करेंगे। पूरी खबर सरकार की कार्यशैली बताती है पर वह महत्वपूर्ण नहीं है। सोशल मीडिया पर कल एक मित्र ने मुझे बताया कि कांग्रेस ने राहुल गांधी की यात्रा के दौरान ली गई गाड़ियों के बिल नहीं दिये हैं। मैंने कहा कि कांग्रेस का खाता फ्रीज है तो संभव है पैसे नहीं दिये होंगे। पर ऐसा होता तो खबर छपी होती। उसने मुझे यू ट्यूब के एक वीडियो का लिंक भेजा जो महीने भर पुराना था। मुझे लगता है कि उसके बाद भुगतान हो गया होगा या नहीं भी हुआ हो तो उसका कारण हम जानते हैं। लेकिन सरकार बिल का भुगतान नहीं करे यह दिलचस्प है। और इसका कारण यह बताया जाता है कि कार्यक्रम का खर्च पहले कम अनुमानित था लेकिन प्रधानमंत्री के लिए और बाद में कुछ काम बताये गये जिससे खर्च बढ़ गये और बढ़े हुए खर्च का भुगतान नहीं हुआ। भले ही यह बड़ी खबर नहीं है लेकिन अब छप रही है वही खबर है। आज की दो ही खबरें हैं, आइये, देखें इन्हें कैसे प्रस्तुत किया गया है।
नवोदय टाइम्स
मतदान के आंकड़े अपलोड करने के बारे में आयोग को निर्देश देने से इनकार, सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ की याचिका खारिज की।
अमर उजाला
मतदान से जुड़े फॉर्म 17सी को वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार कहा …. चुनाव आयोग पर थोड़ा भरोसा करें हम प्रक्रिया बाधित नहीं कर सकते है। अखबार में आज दो पहले पन्ने हैं। दूसरे वाले की लीड का शीर्षक पढ़िये, “60 साल में कांग्रेस ने सामान्य वर्ग के गरीबों के बारे में नहीं सोचा : मोदी”। इसके साथ सिंगल कॉलम में एक खबर है, इसका शीर्षक है, सरकार ने जल जंगल व जमीन को लूटा।
द हिन्दू
सुप्रीम कोर्ट ने बूथ वार मतदान के आंकड़े पर आदेश जारी करने से मना किया। इसका उपशीर्षक है, अदालत ने कहा कि वह चुनाव के बीच में चुनाव आयोग का ध्यान बदलना नहीं चाहता है; मतदान का आंकड़ा फॉर्म 17 सी में सार्वजनिक करने की मांग पहले ही की गई है और इससे संबंधित याचिका 2019 से लंबित है। इस खबर के साथ न्यायमूर्ति दीपंकर दत्ता की फोटो के साथ उनका एक बयान हाईलाइट किया गया है। इसके अनुसार, हर कोई स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के हक में है। सुप्रीम कोर्ट चुनाव के आयोजन को बाधित नहीं कर सकता है। यह मतदान को बेहतर भर कर सकता है …. हमें जमीनी वास्तविकताओं के प्रति जागरूक रहने की जरूरत है। अखबार में आधा पन्ना विज्ञापन है और पहले पन्ने पर खबरों की जो जगह है उसमें दो ही खबरें हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया
पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर चुनाव की खबरें हैं और पहले पन्ने पर आधा विज्ञापन है। लीड सुप्रीम कोर्ट की खबर है। इसका शीर्षक है, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के बीच मतदान के आंकड़ों से संबंधित डाटा पर अपील सुनने से इनकार किया। चुनाव आयोग से सहमत रही कि प्रत्येक चरण के बाद उसे मतदान करने वालों की संख्या बताने की जरूरत नहीं है।
हिन्दुस्तान टाइम्स
आज मतदान की खबर बैनर हेडलाइन से हैं और तीन कॉलम में सुप्रीम कोर्ट की खबर है। शीर्षक है, सुप्रीम कोर्ट ने मतदान की संख्या पर चुनाव आयोग को आदेश देने से मना किया।
इंडियन एक्सप्रेस
चुनाव चल रहे हैं, बाधा नहीं डाल सकता : सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को फॉर्म 17सी की प्रतियां अपलोड करने का आदेश देने से मना किया।
द टेलीग्राफ
कोलकाता का अखबार है। हार्टलैंड पल्स में यहां आज भी बिहार का हाल बताया गया है। इसके अनुसार 2014 और 2019 के चुनाव में मतदाताओं से मोदी का एक संबंध था। मैं इसका कारण समझने में असफल रहा था। इसपर कुछ पूछ ही नहीं पाया क्योंकि आस्था की तरह इसका कोई कारण नहीं था। कारण, मोदी जी हमको अच्छे लगते हैं। बस। बात खत्म। खबर के अनुसर इस बार वह संबंध या आकर्षण नहीं दिख रहा है। यह या तो कम हुआ है या खत्म हुआ है। …. पटना में हफ्ते भर बाद मतदान है लेकिन नरेन्द्र मोदी का प्रचार-प्रसार अभी पहुंचा नहीं है। जहां मतदान हो चुके हैं वहां इसके आने का संकेत ही नहीं है। मोदी जी की कार्यशैली का असर इस बार बिहार में नहीं है। कहने की जरूरत नहीं है कि इन खबरों का संदेश यही है कि चुनाव आयोग ठीक काम कर रहा है और मतदान का प्रतिशत ही बताया जायेगा तथा वह भी बाद में बल जायेगा और कितने वोट पड़े यह सही-सही बताना जरूरी नहीं है। इसके अलावा, इंडियन एक्सप्रेस में दो खास खबरें हैं। पहली सिंगल कॉलम में है जिसका शीर्षक है, छत्तीसगढ़ में चुनाव आयोग के आदेश के बाद भाजपा के तीन सांप्रदायिक पोस्ट वापस लिये गये। दूसरी खबर है, दिल्ली में मतदान से एक रात पहले एलजी और आम आदमी पार्टी ने एक दूसरे पर मतदाताओं को परेशान करने वाले कदम उठाने का आरोप लगाया है। इसके साथ एक खबर यह भी है कि स्वाति मालीवाल से कथित मारपीट के मामले में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के सहायक को पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। 23 साल पुराने एक मामले में मेधा पाटकर को दोषी ठहराये जाने की एक खबर भी आज है। यह दिल्ली के एलजी से संबंधित है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद राजस्थान सरकार की योजना ओबीसी सूची के 14 मुस्लिम समूहों की समीक्षा करने की है।