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सुख-दुख

प्रेस क्लब आफ इंडिया बेचने के प्रबंधन के प्रस्ताव पर एक सदस्य ने एतराज जताते हुआ लिखा पत्र, पढ़ें

मित्रों,

जब से 5 मई की बैठक के संबंध में सदस्‍यों को ईमेल गया है, मुझसे कई सदस्‍य प्रेस क्‍लब और राज्‍यसभा टीवी के बीच हो रहे ज़मीन के सौदे के बारे में मेरा पक्ष पूछ चुके हैं। सोशल मीडिया पर लगातार मेरे ऊपर तंज कसे जा रहे हैं। मुझे अब लग रहा है कि अगर एजीएम के आमंत्रण में यह भी बताया जाता कि मैनेजिंग कमेटी में ज़मीन के मसले पर किस सदस्‍य का पक्ष क्‍या था, तो ऐसी गफ़लत न होती। ऐसा न होने से सबको एक रंग में देखा जाने का खतरा है। सदस्‍यों को यह संदेश जा रहा है कि पूरी की पूरी मैनेजिंग कमेटी ही ज़मीन सौदे के पक्ष में है, जबकि यह बात तथ्‍यात्‍मक रूप से ग़लत है।

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मेरी गुज़ारिश है कि प्रेस क्‍लब और राज्‍यसभा टीवी के संबंध में जमीन के सौदे के प्रस्‍ताव पर मेरा विरोध ‘लिखित’ रूप से दर्ज कर लिया जाए। चूंकि पहले असहमति पत्र से लेकर पिछले असहमति पत्र तक मुझे कमेटी की ओर से कोई लिखित जवाब नहीं मिला है और अब तक मिनट्स ऑफ द मीटिंग की प्रतियां भी मेल नहीं की गई हैं, जिस पर अध्‍यक्ष गौतम लाहिड़ी ने औपचारिक मौखिक मंजूरी मुझे पिछली मीटिंग में दी थी, लिहाजा इस संदेह का वाजिब आधार बनता है कि कमेटी की पिछली बैठक में ज़मीन सौदे पर की गई आपत्तियां शायद ऑन द रिकॉर्ड दर्ज न की गई हों। यह कमेटी के भीतर मौजद असहमत स्‍वरों की एक पत्रकार के बतौर निजी विश्‍वसनीयता के लिए ख़तरा हो सकता है।

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पूरा मामला समझने के लिए इसे पढ़ें :  राज्यसभा टीवी और प्रेस क्लब आफ इंडिया के बीच क्या खिचड़ी पक रही है, जानें इस पत्र से

कमेटी में रहना एक बात है, कमेटी से असहमत होना दूसरी बात। असहमतियों का सम्‍मान किया जाना चाहिए, न कि रिसेप्‍शन पर असहमत व्‍यक्ति के मिलते ही उसके ऊपर सवालों की बौछार कर देनी चाहिए, जैसा क्‍लब में पिछली बार मेरे आने पर मेरे साथ हुआ था। मैं नाम नहीं लूंगा, सम्‍मानित सदस्‍य खुद समझ जाएंगे। अफ़सोस इस बात का भी है कि उक्‍त सदस्‍य ने बिना मेरा पिछला असहमति पत्र पढ़े ही उसके बारे में मुझसे सवाल पूछना शुरू कर दिया था। मैंने उनसे तब यही कहा था कि जो बात करनी है बैठक में करिएगा।

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इन घटनाओं से मेरा शक़ पुख्‍ता होता जा रहा है कि इस कमेटी के भीतर चुप्पियों और सह‍मतियों को बड़ा सम्‍मान दिया जाता है। असहमत स्‍वरों को न तो कोई कान देता है, न सम्‍मान।

एक बार फिर कहना चाहूंगा कि 5 मई को हो रही बैठक के संबंध में ज़मीन के सौदे पर मेरा विरोध ‘लिखित’ रूप में दर्ज किया जाए।

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सधन्‍यवाद

अभिषेक श्रीवास्‍तव

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सदस्य

प्रेस क्लब आफ इंडिया प्रबंधन समिति

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