संजय कुमार सिंह
आज की बड़ी खबरों में छठे चरण के मतदान की खबर भी है। लेकिन खबरों की प्रमुखता दूसरी खबरों से तय होती है। यही प्राथमिकता गड़बड़ हो गई है और मैं उसी को रेखांकित करना चाहता हूं। देश भर में सात चरण में मतदान हो तो सात दिन की लीड तय नहीं हो सकती है लेकिन जहां मतदान हो वहां उसे प्राथमिकता दी जा सकती है। इसके लिए प्रधानमंत्री के श्रेष्ठ (या घटिया) भाषण को छोड़ना या प्राथमिकता देना विवेक से फैसला करना है और विवेक से किया फैसला किसी के समर्थन या विरोध में हो सकता है। मीडिया का काम जनहित को प्राथमिकता देना है। प्रचार करना नहीं और ऐसी खबरें सामने लाना है जिससे प्रशासन बेहतर चले। इसमें सरकार की कमजोरियों और भ्रष्टाचार को सामने लाना पत्रकारिता का एक बड़ा काम हो गया था। वह सब नहीं हुआ और उसी क नतीजा है कि प्रधानमंत्री के भाषण का स्तर गिरता जा रहा है और अब कइयों को लग रहा है कि पहले पन्ने के लायक नहीं है।
आज के अखबारों में नरेन्द्र मोदी के घटिया भाषणों को प्रमुखता नहीं मिली है। कहने की जरूरत नहीं है कि इस बार चुनाव प्रचार में वे लगातार घटिया और बेसिर-पैर की बात कर रहे हैं और अखबारों में उसे पहले की तरह प्रमुखता नहीं मिल रही है। कल मैंने बताया था कि उन्हें परमात्मा ने भेजा है वाला बयान प्रमुखता से नहीं छपा था। इसके बावजूद कल फिर उन्होंने आपत्तिजनक भाषण दिया। उनकी आलोचना भी हुई और सोशल मीडिया इसपर चर्चा से भरा हुआ है। आज वह खबर पहले पन्ने पर नहीं के बराबर है। इंडियन एक्सप्रेस ने एक अंश छापा है तो टाइम्स ऑफ इंडिया ने सिंगल कॉलम में। लेकिन अमर उजाला प्रधानमंत्री बातों को पूरा सम्मान दे रहा है। आज पहले पन्ने पर विज्ञापन है तो दूसरे पर जो छापा है वह दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं है।
खबर कैसी है, आप तय कीजिये। इसके लिए याद दिला दूं कि अरविन्द केजरीवाल मामले में सबूत नहीं है कहने पर प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि वे अनुभवी चोर हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि कानून में कोई अनुभवी चोर या पदेन चोर नहीं होता है। किसी को चोर साबित होने पर ही चोर कहा जा सकता है और हमारे यहां जो व्यवस्था है उसमें राहुल गांधी को सजा हो चुकी है जबकि उनने किसी को चोर या अनुभवी चोर नहीं कहा था सिर्फ पूछा था कि सभी चोरों के नाम ‘एक’ क्यों हैं? ऐसा में प्रधानमंत्री का यह कहना देश के कानून का भी अपमान है। एक निर्वाचित मुख्यमंत्री का तो है ही। प्रधानमंत्री के रूप में उनका काम यह सुनिश्चित करना है कि किसी निर्दोष को सजा नहीं हो पर वे बिना आधार न सिर्फ अनुभवी चोर कह रहे हैं बल्कि “जिसने चोरी की, चाहे कितना बड़ा शहजादा क्यों न हो, उसको जाना पड़ेगा जेल : मोदी” कह कर लोगों को धमका रहे हैं।
यह कोई नई बात नहीं है। यह व्यवस्था तो होनी ही चाहिये और इसे कहकर धमकाना क्यों? खासकर तब जब अमित शाह को अरविंद केजरीवाल के इस बयान पर एतराज है, ‘अगर आप मुझे वोट देंगे तो मुझे जेल नहीं जाना पड़ेगा’। एएनआई के साथ एक इंटरव्यू में अमित शाह ने केजरीवाल की चुनावी दलील की सत्यनिष्ठा पर सवाल उठाते हुए पूछा, “क्या सुप्रीम कोर्ट (चुनावी) जीत या हार के आधार पर अपराध पर निर्णय लेगा? मैं यह नहीं कह रहा हूँ; केजरीवाल जी यह कह रहे हैं।” अगर ऐसा है और केजरीवाल ने जो कहा उसका यही मतलब है तो क्या प्रधानमंत्री जो कह रहे हैं उसका मतलब यह नहीं हुआ कि वे जो चाहेंगे वही होगा और अदालत कुछ नहीं कर पायेगा? चुनाव प्रचार में इन दिनों ऐसी ही बातें हो रही हैं और शायद इस कारण पहले पन्ने पर नहीं हैं। लेकिन अमर उजाला खबर छापने में डटा हुआ है।
नरेन्द्र मोदी की सरकार आने के बाद यह दिखने लगा था कि मीडिया का बड़ा हिस्सा सरकार के खिलाफ खबरें नहीं छापता है और समर्थन या पक्ष की खबरों को ज्यादा ही महत्व या प्रचार देता है। खिलाफ खबर छापने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई, परेशान भी किया गया और सरकार समर्थकों ने यह दलील भी दी कि कमजोरी बताते हैं तो प्रशंसा भी करनी चाहिये। मैं इससे सहमत नहीं हूं। प्रशंसा और खबर का एक ही हिस्सा छपे तो पूरी खबर बताने के लिए सरकार के पास लोग है, संसाधन हैं और विज्ञापन का बजट भी। इसलिए सरकार को उदारता से खबर छपने देना चाहिये ये खबरें उसके लिए आंख, नाक, कान आदि का काम कर सकती हैं। फिर भी, स्थिति यह है कि मीडिया सरकार के घपलों घोटालों की पोल खोलता रहे यह बुनियादी जरूरत है और इसके बिना खबरों के लिए अब अखबारों या टेलीविजन की जरूरत नहीं लगती है।
मुझे लग रहा था कि सात चरणों में चलने वाले चुनाव के दौरान मीडिया को लगेगा कि सरकार बदल सकती है तो उसका रुख बदलेगा, खबरों पर नजर रखी जाये तो पता चलेगा कि कौन निष्पक्ष है और कौन सरकार का सहयोग कर रहा है। मैंने काफी समय तक खबरों और उसकी प्रस्तुति को दर्ज कर दिया है अब एक तारीख को अंतिम चरण के बाद इसे लिखना बंद करूंगा। इसलिए यह भूमिका और इसलिए भी कि आज इतनी खबरें थीं कि विवेक से फैसला किया जाये। इस कारण आज के अखबारों में विविधता है और मैं उसे दर्ज करने की कोशिश कर रहा हूं। पढ़िये और तय कीजिये कि कौन सरकार का प्रचार कर रहा है कौन रंग बदल रहा है, कौन निष्पक्ष है या किसके बार में तय करना मुश्किल है। कहने की जरूरत नहीं है कि आम तौर पर लोग एक ही अखबार पढ़ते हैं लेकिन मुझे कई अखबारों से मन लायक खबर मिलती है। इसमें कौन क्या कर रहा है वह अलग मुद्दा है। अंतिम चरण के बाद मैं फिर अखबार पढूंगा, लिखना बंद।
अब देखिये आज की खास खबरें और उनकी प्रस्तुति। इसमें मैं उन खबरों का उल्लेख नहीं करूंगा जो लगभग समान शीर्षक से उतने ही कॉलम में दूसरे अखबार में होंगे।
हिन्दुस्तान टाइम्स
– पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर राजकोट के गेमिंग आर्केड में आग लगने की खबर लीड है। शीर्षक है, “राजकोट के गेमिंग आर्केड फायर में चार बच्चों समेत 27 मरे”।
– समुद्री तूफान रेमल बंगाल और बांग्लादेश की भूमि पर पहुंचने वाला है इसके लिए लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का काम चल रहा है। दूसरी खबर यही है।
– मध्य प्रदेश के सीधी में छात्रवृत्ति के नाम पर सात लड़कियों को बहलाकर बलात्कार किया गया।
– पहले पन्ने पर मतदान की खबर बैनर शीर्षक से है – राजधानी ने अपनी छाप छोड़ी। इसके साथ दो खबरें हैं। एक चुनाव आयोग की और एक गुड़गांव में मतदान की। पहली का शीर्षक है, ” मतदान के डेटा बदलना असंभव : चुनाव आयोग। दूसरी खबर है, गुड़गांव में 2019 के मुकाबले कम मतदान।
इंडियन एक्सप्रेस
– राजकोट की खबर यहां छह कॉलम में लीड है। मुख्य शीर्षक के अलावा फ्लैग शीर्षक में बताया गया है कि मामले की जांच के लिए एसआईटी बनाई गई है, तीन दिन में प्राथमिक रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। लीड के मुख्य शीर्षक के साथ दो खबरें हैं। इनमें पहले का शीर्षक है, अधिकारी ने कहा कि गेमिंग जोन के पास अग्निशमन विभाग का अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं था; चार लोगों को पकड़ा गया। दूसरी खबर है, आग कुछ सेकेंड में फैल गई…. पूरा इलाका धुंआ से भरा था।
– दूसरी खबर प्रधानमंत्री के चुनाव प्रचार की है। मुख्य शीर्षक है, बिहार में प्रधानमंत्री ने तेजस्वी को गिरफ्तारी की चेतावनी दी, कहा इंडिया ब्लॉक मतों के लिए मुजरा कर सकता है। फ्लैग शीर्षक बताता है कि वे नौकरी के लिए जमीन मामले के संदर्भ में बोल रहे थे। उपशीर्षक है, तेजस्वी ने कहा कि हिम्मत करके तो देखिये, डरता नहीं हूं। इंडिया ब्लॉक मुजरा कर सकता है कहने की आलोचना प्रियंका गांधी ने की है। दूसरे अखबारों में है। आता हूं, उसपर।
– मध्यप्रदेश के सीधी के बलात्कार कांड की खबर का शीर्षक है, सात आदिवासी लड़कियों से बलात्कार के आरोपी ने आवाज बदलने वाले ऐप्प के उपयोग से महिला के रूप में बात की।
– छठे चरण के मतदान की खबर का शीर्षक है, “कुल मतदान घटकर 61% रह गया”, अनंतनाग-रजौरी में बढ़कर 54 प्रतिशत हुआ। दिल्ली में मतदान 58.70%, (सातवें चरण में) सिर्फ 57 सीटें मतदान के लिए रह गईं
– हमले (बदनामी) झेल रहे चुनाव आयोग ने पांच चरण में पड़े मतदान (वोट) की गिनती बताई
– केन्स में पायल कपाड़िया की फिल्म और मछली मारने वाली नाव पर ईरान से भारत भाग आने वाले छह लोगों की कहानी, 1500 समुद्री मील की दूरी 14 दिन में पूरी हुई।
टाइम्स ऑफ इंडिया
– आपको पता होगा और ऊपर है भी कि, चुनाव आयोग ने मतदान का डेटा दे दिया है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस खबर को पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर लीड बनाया है। शीर्षक है, सुप्रीम कोर्ट के मना करने के एक दिन बाद चुनाव आयोग ने मतदान (वोट) की संख्या बताई।
– राजकोट की खबर के साथ मदुरै की खबर है जहां 13 साल के बिहार के छात्र को 9 साल के बच्चे की हत्या के आरोप में रोका गया है।
– सात कॉलम की लीड का शीर्षक है, गर्मी से घटा? शहर में मतदान 10 साल में सबसे कम। इसके साथ एक खबर का शीर्षक है, 90% चुनाव हो गया : छठे चरण में मतदान 2019 के 64.7% के मुकाबले 61.2%। जम्मू और कश्मीर सीट के लिए 54.3% मतदान जो 35 साल में सबसे ज्यादा है।
– इंडिया ब्लॉक वोट बैंक के लिए मुजरा कर सकता है मोदी यहां सिंगल कॉलम में है और इसका विवरण अंदर पेज 19 पर है लेकिन इसके साथ बोल्ड अक्षरों में लिखा है, प्रियंका गांधी वाड्रा ने मुजरा वाली टिप्पणी के लिए प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की और कहा, उन्हें शालीनता बनाये रखना चाहिये।
द हिन्दू
– यहां चुनाव आयोग द्वारा मतदान से संबंधित डेटा जारी किये जाने की खबर लीड है। उपशीर्षक वो है जो हिन्दस्तान टाइम्स में सेकेंड लीड है। एक खबर मतदान के प्रतिशत बताती है। राजकोट में 27 मरे यहां चार कॉलम में है और पुणे में अवयस्क द्वारा पोर्श कार चलाने और दुर्घटना में दो लोगों की मौत के बाद इस मामले में बच्चे के दादाजी को भी गिरफ्तार लिया गया है। उनपर परिवार के ड्राइवर पर दुर्घटना के लिए जिम्मेदारी लेने के लिए दबाव डालने का आरोप है। दूसरे अखबारों ने इसे सिंगल कॉलम में छापा है।
द टेलीग्राफ
आज भी संकर्षण ठाकुर का बिहार दौरा लीड है। इसका फ्लैग शीर्षक है, उदासीन भाजपा बिहार एनडीए को नुकसान पहुंचा सकती है। लखीसराय (मुंगेर) डेटलाइन से खबर इस प्रकार है, सहयोगी और विरोधी, दोनों के लिए बिहार अभियान का निर्णायक वोट नरेंद्र मोदी का वोट बना हुआ है। 2014 के बाद से लगातार हो रहे लोकसभा चुनावों में, मोदी की भावना (का समर्थन) तूफान की तरह आया और बिहार के पारंपरिक वोटिंग पैटर्न को तहस-नहस कर गया। उन्होंने नए कांबिनेशन बनाए और अलग ध्रुव तैयार किये हैं। यह ऐसा है जैसा किसी गैर-बिहारी नेता ने शायद पहले कभी नहीं किया है। 2024 में जब उपस्थिति उल्लेखनीय रूप से कम हुई है तब भी उनका महत्व बना हुआ है और किसी को पता नहीं है कि वह किधर जायेगा।
मोदी वोट की इस गंभीरता को उनके मुख्य साझेदार नीतीश कुमार और उनकी जेडीयू जितनी गभीरता से समझ रही है उतना किसी को महसूस नहीं हुआ है। यह एनडीए गठबंधन का नरम आधार है और इसमें प्रोजेक्ट मोदी के स्पष्ट समर्थन और सहयोग का अभाव है। ऐसी जगह यह शिथिल और हारता हुआ प्रतीत होता है। संभावना यह है कि बीजेपी के सहयोगी दल हार्टलैंड पल्स को एनडीए की संख्या में कमी लाएंगे, न कि उन सीटों पर जहां ईवीएम पर “कमल” है। मुंगेर, जिसे नीतीश के विश्वासपात्र और जेडीयू के कद्दावर नेता लल्लन सिंह बरकरार रखना चाहते हैं, एक उत्कृष्ट उदाहरण हो सकता है।
– छठे चरण के मतदान के दौरान बंगाल में छिटपुट हिंसा की खबर है। भाजपा नेता सुवेन्दु अधिकारी के इलाके में एक उम्मीदवार को पत्थर फेंकने वाली भीड़ ने बाहर कर दिया
– प्रधानमंत्री के मुजरा वाले बयान पर प्रियंका गांधी की प्रतिक्रिया आज अखबार का कोट है। इसके अनुसार उन्होंने कहा है, “क्या यह प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी नहीं है कि वे पद का सम्मान बनाये रखें?”
नवोदय टाइम्स
लीड का शीर्षक है, दिखा नहीं दिल्ली का दम, राजधानी में पड़े 58.70% वोट, हरियाणा में 60.06% मतदान हुआ। उपशीर्षक है, अनंतनाग- राजौरी सीट पर पिछले चुनाव से चर गुणा अधिक मतदान।
दूसरे पहले पन्ने पर लीड का शीर्षक है, मोदी बोले, गिरने वाला है शहजादों का शटर, इसके साथ सवा कॉलम की एख खबर का शीर्षक है, “प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा संविधान बदल देंगे : राहुल।”
अमर उजाला
– दिल्ली की एक प्रमुख खबर है, बेबी केयर में आग, 11 बच्चों को किया रेस्क्यू। विवेक विहार में यह आग रात 1130 बजे लगी।
– दूसरे पहले पन्ने पर लीड है, “जिसने चोरी की, चाहे कितना बड़ा शहजादा क्यों न हो, उसको जाना पड़ेगा जेल : मोदी”।
– एक खबर है, राजद नेता बिहारी लोगों के अपमान पर भी चुप रहे हैं। इसमें कहा गया है, पंजाब व तेलंगाना में कांग्रेस नेताओं ने बिहार के लोगों का अपमान किया। यही हाल तमिलनाडु में डीएमके पश्चिम बंगाल में तृणमूल ने किया। लेकिन वोट बैंक के आगे लालटेन लेकर मुजरे में शामिल राजद नेता अपने लोगों के अपमान पर भी चुप रहे। इनमें विरोध का एक शब्द बोलने का साहस नहीं है। विपक्ष वोट जिहाद करने वालों का समर्थन कर रहा है।