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उत्तर प्रदेश

बेरहम पुलिस : रेस्टोरेंट ढहाने की खबर से नाराज़ प्रयागराज पुलिस ने पत्रकारों पर फर्जी मुकदमा लाद दिया!

च का आइना दिखाना भी कभी-कभी पत्रकारों को महंगा पड़ जाता है. ऐसा ही एक प्रकरण प्रयागराज से सामने आया है. जहां बीते महीने 3 नवंबर को प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा अशोकनगर स्थित एक रेस्टोरेंट पर अवैध निर्माण का हवाला देते हुए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को अंजाम दिया गया था.

इधर रेस्टोरेंट मालिक आदित्य तिवारी द्वारा बिना नोटिस दिए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई किये जाने की जानकारी कुछ पत्रकारों को दी गई.

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जिसके बाद कुछ पत्रकार मौके पर कवरेज के इरादे से उस जगह पर पहुंचे. जिसमें दो चैनलों के पत्रकार भी शामिल थे. जब तक पत्रकार वहां पहुंचते तब तक पीडीए और पुलिस प्रशासन की टीम कार्रवाही करके जा चुकी थी.

मौके पर मौजूद रेस्टोरेंट मालिक आदित्य तिवारी मिडिया कर्मियों के सामने पुलिस प्रशासन की मिली भगत व पैसे की डिमांड पूरी न होने व बिना नोटिस दिए कार्रवाई कर देने का आरोप लगाता रहा. मीडिया कर्मी भी अपना कवरेज कर, रेस्टोरेंट मालिक की बाइट कर वहां से लौट आये.

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इसके अगले दिन 4 नवंबर को प्रयागराज के लोकल व बड़े अखबारों में इस ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को भी छापा गया था. जिसमें दिखाया गया था कि पीडीए द्वारा बिना नोटिस दिए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कर दी गई. इसके बाद एक टीवी चैनल के पत्रकार ने 4 नवंबर को अपने चैनल में इस खबर को दोपहर में भेजा. खबर चलने के 5 घंटे ही बीते थे कि लैंड ओनर की तहरीर पर रेस्टोरेंट मालिक, समाजवादी पार्टी से ताल्लुक रखने वाले दो लोगों, एक पत्रकार व कुछ पत्रकारों को अज्ञात में लिखकर तमाम गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया गया.

मामले में लैंड ओनर महिला ने दिखाया कि उनके घर पर आकर रेस्टोरेंट मालिक वह समाजवादी पार्टी के दो लोगों के साथ दो अन्य पत्रकारों ने रंगदारी मांगी. आरोप लगाया कि ये समाजवादी पार्टी के लोगों के दम पर उनकी जमीन कब्जा करना चाहते हैं. जबकि कवरेज करने गए पत्रकारों का कहना है कि ना ही वह महिला से कभी मिले हैं और ना ही उनको जानते ही हैं.

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इस पूरे प्रकरण में पुलिस की जांच चल ही रही थी कि महिला द्वारा एक और तहरीर देकर बताया गया कि उसके जमीन पर फिर से रेस्टोरेंट मालिक आदित्य तिवारी व उनके जीजा वह दो अन्य पत्रकार आए और उनको धमकाने लगे. साथ ही जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल किया गया. इस दफा सपा के लोगों की भूमिका नहीं दिखाई गई.

इस पूरे प्रकरण में यह भी सामने आया है कि रेस्टोरेंट मालिक आदित्य तिवारी वह लैंड ओनर मंजू चंद्र के बीच विवाद चल रहा है. जहां एक तरफ मंजू चंद्र उसे अपनी जमीन खाली करना चाहती है तो वहीं आदित्य तिवारी अपना रेस्टोरेंट चलाना चाहता है.

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लैंड ओनर और रेस्टोरेंट मालिक के विवाद में अपने ढंग से तवा पर रोटी सेकते हुये पत्रकारों को भी बार-बार इसमें मोहरा बनाया जा रहा है. दूसरे मुकदमे में दिखाया गया है कि 19 दिसंबर को महिला को धमकाने के लिए दो अन्य पत्रकार भी आए थे. जबकि उन दोनों पत्रकारों का कहना है कि वह 19 दिसंबर को ज्ञानवापी मामले की कवरेज हेतु हाई कोर्ट व शहर की अन्य खबरों में व्यस्त थे.

इस प्रकरण में टीवी चैनल के पत्रकार विनय और दूसरे पत्रकार का कहना है कि उनके पास भी एविडेंस मौजूद हैं कि वह घटना के समय का कहां मौजूद थे? लेकिन उनके एविडेंस को जाने-देखे बिना ही एक के बाद एक एफआईआर दर्ज कर दी जा रही हैं.

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देखें मीडिया कवरेज..

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