पंजाब केसरी (वजीरपुर, दिल्ली) के कर्मचारियों के आजकल बुरे दिन चल रहे हैं। ये मीडियाकर्मी आर्थिक संकट झेल रहे हैं। मीडिया कर्मचारियों को दिसंबर माह से मार्च तक का वेतन नहीं मिला है। आजकल आलम ये है कि वेतन कैश मिलने लगा है और सेलरी के लिए लोगों को रोज लाइन लगानी पड़ती है। अंत में पता चलता है कि कैश तो खत्म हो गया!
दिसंबर तक सिस्टम यह था कि कर्मचारियों की पूरी सैलरी एकाउंट में डाल दी जाती थी और फिर कमर्चारी से वेतन का कुछ हिस्सा कैश के रुप में वापस ले लिया जाता था। यह सिलसिला कई महीनों से चला आ रहा है। हर कमर्चारी से वेतन का करीब एक लाख से सवा लाख पंजाब केसरी (दिल्ली) के मालिक ले चुके हैं।
4580 रुपये हर कर्मचारी को हर महीने कंपनी को वापस देना पड़ता है। वर्तमान में भी यही प्रक्रिया जारी है। कैश काट कर दिया जाता है। इसका कमर्चारियों के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। पूरा तानाशाही का माहौल है। अगर कोई आपत्ति करता है तो ”पैसे वापस नहीं करोगे तो कहीं और नौकरी खोज लो, यहां तो यही चलेगा” बोल कर भगा दिया जाता है।
ज्ञात हो कि पंजाब केसरी समूह अब दो हिस्सों में बंट चुका है। एक हिस्से के मालिकों का कामकाज वजीरपुर (दिल्ली) से होता है। दूसरे हिस्से के मालिकान पंजाब केसरी का संचालन जालंधर से करते हैं। चर्चा है कि मालिकों की आपसी लड़ाई के शिकार मीडियाकर्मी हो रहे हैं।