Dhruv Kumar Singh : हमारे सहयोगी कुछ यूं ही आप को नज़र आएंगे…क्योंकि इनके चेहरे की उदासी ने इन्हें शर्मिंदा कर रखा है. दरअसल सहाराकर्मी 12 महीने की बकाया सेलरी की मांग को लेकर प्रबंधन के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे थे कि प्रबंधन ने अपना तानाशाही रवैया अपनाते हुए 21 लोगों को संस्था से बर्खास्त कर दिया, साथ ही इन 21 लोगों की ऑफिस में इंट्री भी बंद कर दी.. संस्था के इस तानाशाह रवैये के बाद सेलरी की मांग कर रहे लोगों का कुछ ने साथ छोड़ दिया और प्रबंधन के दबाव में काम पर वापस लौट गए.
संस्थान ने उनसे स्वेच्छा से काम करने का फॉर्म भरा कर काम कराना शुरू कर दिया. पिछले 8 दिनों से प्रदर्शन कर रहे सहारा कर्मियों का साथ टीवी और पेपर के साथी दे रहे थे तभी टीवी के लोग अपने ज़मीर को मारकर काम पर वापस लौटने का फैसला कर लिए. लेकिन इन 21 बर्खास्त लोगों ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा जिनका साथ पेपर के लोग दे रहे हैं… टीवी के कुछ लोग प्रदर्शनकारियों के साथ दिखने और उनकी सहानभूति लेने के लिए यूं ही साथ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं…
सहारा मीडिया में सेलरी की मांग कर रहे 21 लोगों पर प्रबंधन की गिरी गाज़… संस्थान से दिखाया बाहर का रास्ता… दरसअल कर्मचारी अपने 12 महीने की बकाया सेलरी की मांग काफ़ी समय से कर रहे थे लेकिन प्रबंधन सुनने को तैयार नहीं था…. परेशान होकर कर्मचारियों ने आंदोलन का रास्ता अपनाया… लेकिन प्रबंधन ने हिटलरशाही दिखाते हुए 21 लोगों को बाहर कर दिया….
क्या सेलरी की माँग करना गुनाह है? क्या संस्थान में प्रबंधन के दबाव में काम करना उचित है? क्या कर्मचारियों का ज़मीर बगैर सेलरी का काम करने के लिए कहता है? बार-बार संस्थान के इस हरक़त के बाद भी कर्मचारी आंदोलनकारियों का साथ क्यों नहीं दे रहे है है? क्या हर 3 महीने पर एक सेलरी मिलने से कर्मचारियों का काम चल जाएगा? एक बार उन कर्मचारियों को अपने बच्चों का मुँह देखना चाहिए, उनके भविष्य को देखना चाहिए… अगर हम आंदोलनकारी गलत हैं तो हमारा साथ छोड़ दें… अगर सही हैं तो अपने ज़मीर का जगाने की कोशिश करें और हमारा साथ दें…
हम आंदोलनकारी एक हैं…
भारत माता की जय…
वंदे मातरम्…
युवा पत्रकार ध्रुव कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से.
मूल खबर….