सौमित्र रॉय-
इलेक्टोरल बॉन्ड, यानी बीजेपी को चंदे का खेल एक नए आयाम से जुड़ गया है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट को स्टेट बैंक ने जो सूची दी है, उसमें बड़ी गड़बड़ है। कई जानकारियां छिपाई गई हैं। मिसाल के लिए, कोटक परिवार की इकाई, इन्फिना कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड।
इस एनबीएफसी कंपनी ने 2019 से 2022 के बीच कुल 1.3 बिलियन रुपए का चुनावी चंदा बीजेपी को दिया। यानी 760 करोड़ रुपए। मगर, एसबीआई की सूची में 350 करोड़ के चंदे की बात लिखी है।
अगस्त 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक ने कोटक महिंद्रा बैंक के उस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था, जिसमें प्रेफरेंशियल शेयर के जरिए बैंक में उदय कोटक अपनी हिस्सेदारी कम करना चाहते थे।
उदय ने आरबीआई को सुप्रीम कोर्ट में घसीटा। आरबीआई यह मुकदमा जीत जाती, उससे पहले ही उदय ने बॉन्ड, यानी बीजेपी को चंदे में घूस देकर मामला अदालत के बाहर सुलटा लिया। यानी, आरबीआई को कोटक बैंक के आगे झुकना पड़ा।
भारत के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के सिवा यह डील करना किसकी औकात में है? बदले में आरबीआई को कोटक महिंद्रा बैंक को अभूतपूर्व रियायतें देनी पड़ी। इससे इन्फिना का मुनाफा माइनस से 100 गुना बढ़कर 5000 करोड़ से ऊपर जा पहुंचा।
अब अगर एसबीआई की सूची को सही मानें तो 300 करोड़ की दलाली का मामला बनता है। जरा सोचें कि यह दलाली किनकी जेब में गई होगी?
आज बीजेपी का जन्मदिन है। इसका बस चले तो देश का हर टुकड़ा बेचकर अपनी झोली भर ले। इस घूसखोर पार्टी और इसकी भ्रष्टाचारी सत्ता के केंद्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भ्रष्टाचार खत्म करने की फेंक रहे हैं।
असल में इस एक व्यक्ति ने पैसे के लिए आरबीआई सहित देश के तमाम संस्थानों को दलाली और झूठ की दुकान बना दिया है। भ्रष्टाचार की गंगोत्री उन्हीं के घर से निकली है।
(भक्त गण वह सूची देखें, जो एसबीआई ने छिपाई है)