‘साझा संस्कृति मंच’ के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता धर्मेन्द्र राय की अंत्येष्ठि शनिवार को मणिकर्णिका घाट पर की गई। वह गत दिनों प्रतापगढ़ होटल अग्निकांड में मारे गए थे। उनके इकलौते पुत्र आशुतोष राय ने मुखाग्नि दी। परिवार में उनकी पत्नी, पुत्र आशुतोष और एक पुत्री आकांक्षा है।
डेढ़ गाँव, सुहवल, गाजीपुर के मूल निवासी धर्मेन्द्र विगत 30 वर्षों से वाराणसी के मोतीझील महमूरगंज इलाके में रह कर विभिन्न सामाजिक कार्यों में संलग्न थे। काशी विद्यापीठ से समाजकार्य में परास्नातक थे। स्वास्थ्य के मामलों में उनकी विशेष रूचि थी। विभिन्न संस्थाओं के साथ जुड़ कर वे स्वास्थ्य पर गोष्ठियां और शिविर का आयोजन करते रहते थे। गरीबों और कमजोर वर्ग के लोगों तक स्वास्थ्य सेवायें कैसे सुलभ हो सकें, इस पर उनका विशेष प्रयास रहता था। नेत्र चिकित्सा के शिविर और अस्पताल की स्थापना के सिलसिले ने प्रतापगढ़ गए हुए थे और उसी होटल में रुके थे।
वे ‘साझा संस्कृति मंच’ के संस्थापक सदस्यों में रहे, जनहित से जुड़े संघर्ष के मुद्दों में वे हमेशा सक्रिय रहे। उनके विचार हमेशा से राष्ट्रवादी और जनवादी रहे. मणिकर्णिका घाट पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए तमाम सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिनमे प्रमुख रूप से डा. संजय, डा. राजीव कुमार सिंह, वल्लभाचार्य पाण्डेय, सुरेन्द्र कुमार, डा. लेनिन रघुवंशी, चंचल मुखर्जी, राम जनम भाई, त्रिलोचन शास्त्री, बिन्दु सिंह, डा. आनंद तिवारी आदि शामिल रहे।