सिवनी। पैसों की दम पर अगर पत्रकार होते तो आज टाटा, बिड़ला सबसे वरिष्ठ पत्रकार होते लेकिन ऐसा नहीं है। हम आपको बताना चाहते हैं कि सिवनी नगर में कुछेक तथाकथित पत्रकार ऐसे भी हैं जो लोगों से पैसे लेकर उन्हें पत्रकार बना रहे हैं। इनका खुद का अखबार तो निकलता नहीं लेकिन ये उसी अखबार की फे्रचांइची बांटते फिर रहे हैं। यूं तो सिवनी जिला पत्रकारों के लिए फेमस माना जाता है। इंदौर, जबलपुर व भोपाल के बाद सिवनी में ही इतने अधिक पत्रकार है कि यहां हर छठवां शख्स अपने आपको पत्रकार या उसका रिश्तेदार बताता है। ऐसा ही एक मामला एक साप्ताहिक समाचार पत्र का सामने आया है जो कि डी-लिस्ट में जा चुका है, उसके संपादक ने एक पूर्व पार्षद पति को कुछ राशि लेकर उस अखबार की संवाददाता बना दिया। इस अंगूठाछाप पत्रकार को यह तक नहीं मालूम कि उसका अखबार डी-लिस्ट में जा चुका है जो भोले-भाले लोगों से पैसे लेकर उन्हें पत्रकार बना रहा है। पत्रकारिता जैसे पवित्र धर्म में कालिख पोतने वाले ये तथाकथित काले पत्रकार ग्लैमर्स के लिए किसी को भी पत्रकार बना देते हैं।
अगर आप किसी से पूछें कि आप पत्रकार क्यों बनना चाहते हैं तो उसका सीधा सा जवाब होगा भैय्या ग्लेमर के लिए… जब दुनिया ही ग्लेमर की है तो हम भी पत्रकारिता करेंगे…। अब आप सोच लें कि सिवनी में पत्रकारिता की क्या हालत है। कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो मात्र 26 जनवरी व 15अगस्त को अपना अखबार निकालकर अपने आपको पत्रकार बताते हुए साल भर इसकी वसूली करते हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में पब्लिक रिलेशन आफिसर (पी.आर.ओ) व प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली के कारण यहां सबकुछ जायज है। यहां तो डी लिस्ट व बिना रजिस्ट्रेशन के ही अखबार निकल जाते हैं और किसी को पता भी नहीं चलता। वहीं कुछ अखबार ऐसे भी हैं जो दैनिक तो निकल रहे हैं लेकिन आरएनआई की साईट में उन्हें साप्ताहिक की श्रेणी में रखा गया है। सूत्रों की माने तो आज भी एक ऐसा अखबार है जो सन 1985-86 से टीसी होने के बाद भी विशेष मौको (15 अगस्त, 26 जनवरी) पर प्रकाशित हो रहा है जिसकी शिकायत सिवनी एसडीएम को की जा चुकी है जिस पर अब तक कोई कार्रवाही नहीं हुई।
वहीं हमारे सूत्रों की माने तो कुछ ऐसे भी तथाकथित पत्रकार हैं जो अपने काले धंधे को छिपाने के लिए पत्रकारिता में आये हैं। हम उनके नाम तो प्रकाशित नहीं करेंगे लेकिन यह बता देना चाहते हैं कि पत्रकारिता को बदनाम करने वाले ऐसे तथाकथित पत्रकारों पर गाज गिरनी चाहिए। सिवनी से प्रकाशित होने वाले अखबार के पूरे साल भर के रिकार्ड व आरएनआई की प्रतिलिपि अनुविभागीय अधिकारी को मांगनी चाहिए जिससे दूध का दूध और पानी का हो सके। वहीं दूसरे जिले के अखबारों व चैनलो की एजेंसी लेने वाले पत्रकारों पर पैनी नजर रखते हुए उनसे अपाइनमेंट लेटर की भी जांच करनी चाहिए। यदि इस प्रकार की कार्यवाही शीघ्र ही नहीं की गई तो सिवनी जिले में और भी कई तथाकथित पत्रकार रोज पैदा होते रहेंगे जो प्रशासन के लिए चिंता का विषय है।
सिवनी से अखिलेश दुबे की रिपोर्ट.