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उत्तर प्रदेश

बाग़पत में उपजा के दो अध्यक्ष, छिड़ गई लड़ाई- ‘तू बड़ा कि मैं!’

बाग़पत जिले में आजकल उपजा के अध्यक्ष पद को लेकर मारामारी मच गयी है। कई साल से निष्क्रिय पड़ी उपजा को करीब एक साल पहले एक्टिव किया गया था। कुछ पत्रकारों ने मिलकर बाग़पत हिंदुस्तान के जिला प्रभारी नाज़िम आज़ाद को अध्यक्ष बना दिया। यह बात कुछ पत्रकारों को बुरी लगी और उसी दिन से अंदरखाने विरोध शुरू कर दिया गया। 5 माह पूर्व बाग़पत मे हुई मीटिंग में विरोध कर रहे लोग अध्यक्ष के सामने आ गए और दूसरा संगठन बनाने का ऐलान कर दिया। तभी से बड़ौत के जनवाणी अख़बार के प्रभारी नरेशपाल तोमर किसी के कंधे पर तलवार रखने की जुगत लगा रहे थे।

<p>बाग़पत जिले में आजकल उपजा के अध्यक्ष पद को लेकर मारामारी मच गयी है। कई साल से निष्क्रिय पड़ी उपजा को करीब एक साल पहले एक्टिव किया गया था। कुछ पत्रकारों ने मिलकर बाग़पत हिंदुस्तान के जिला प्रभारी नाज़िम आज़ाद को अध्यक्ष बना दिया। यह बात कुछ पत्रकारों को बुरी लगी और उसी दिन से अंदरखाने विरोध शुरू कर दिया गया। 5 माह पूर्व बाग़पत मे हुई मीटिंग में विरोध कर रहे लोग अध्यक्ष के सामने आ गए और दूसरा संगठन बनाने का ऐलान कर दिया। तभी से बड़ौत के जनवाणी अख़बार के प्रभारी नरेशपाल तोमर किसी के कंधे पर तलवार रखने की जुगत लगा रहे थे।</p>

बाग़पत जिले में आजकल उपजा के अध्यक्ष पद को लेकर मारामारी मच गयी है। कई साल से निष्क्रिय पड़ी उपजा को करीब एक साल पहले एक्टिव किया गया था। कुछ पत्रकारों ने मिलकर बाग़पत हिंदुस्तान के जिला प्रभारी नाज़िम आज़ाद को अध्यक्ष बना दिया। यह बात कुछ पत्रकारों को बुरी लगी और उसी दिन से अंदरखाने विरोध शुरू कर दिया गया। 5 माह पूर्व बाग़पत मे हुई मीटिंग में विरोध कर रहे लोग अध्यक्ष के सामने आ गए और दूसरा संगठन बनाने का ऐलान कर दिया। तभी से बड़ौत के जनवाणी अख़बार के प्रभारी नरेशपाल तोमर किसी के कंधे पर तलवार रखने की जुगत लगा रहे थे।

एक माह पूर्व श्री तोमर ने बड़ौत के भूतपूर्व पत्रकार संजीव शर्मा को पकड़ लिया और उन्हें अध्यक्ष बनाने का आश्वासन दिया। 25 दिन पहले बड़ौत के डाक बंगले पर मीटिंग हुई। कहा जा रहा है कि  इसमें 70 फीसद ऐसे लोग आये जिनका मीडिया से कोई लेना देना नही है। वहां पर संजीव शर्मा को अध्यक्ष का ताज पहनाया गया। जिले में दूसरा अध्यक्ष बनने की सूचना पर पहले अध्यक्ष नाज़िम को पसीने आ गए। उन्होंने भी नब्ज टटोलनी शुरू कर दी।

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24 सितंबर को संजीव शर्मा ने अपने गुट के साथ बड़ौत में पाकिस्तान का पुतला फूंका। जब 25 को किसी भी अख़बार में खबर नहीं आयी तो खुद को ठगा सा महसूस किया। हालांकि, नाज़िम ने भी 25 को बाग़पत के यमुना इंटर कॉलेज में मीटिंग बुलाई। इसमें उन्होंने जोड़ा-जाड़ी कर मुश्किल से 20 पत्रकार जुटाए। इसमें भी कई तो ऐसे थे जिन्हें शाम की दावत के नाम पर बुलाया गया था। इस मीटिंग के बाद दूसरे गुट में हड़कंप मच गया और व्हाट्सअप पर उलटी-सीधी बयानबाजी शुरू कर दी गयी।

ये है मामला
सारा मामला प्रदेश की राजनीति को लेकर हो रहा है। नाज़िम गुट के रमेश चंद जैन प्रदेश की राजीनीति करते हैं। पत्रकारों को मिलने वाली हर सुविधा का उपभोग करते हैं। नेतागिरी के नाम पर ऐश करने वाले जैन का सहयोग देने के लिए नाज़िम गुट प्रयास करता है। संजीव गुट का रिमोट नरेशपाल तोमर के हाथ है। नरेश के दोस्त हैं वीरेश तरार। तरार भी प्रदेश की राजनीति करते है। अपने अपने लोगों को आगे बढ़ाने के लिए ये मजे लूटने वाले लोग मूछ की लड़ाई लड़ रहे हैं। इनके बीच में कुछ पत्रकार पिस रहे हैं और उन्हें अपने बॉस का हुकुम बजाना पड़ रहा है। दोनों गुटों में जनवाणी, हिंदुस्तान और अमर उजाला के पत्रकार लगे हैं। इस मारामारी में दैनिक जागरण का कोई भी पत्रकार शामिल नहीं है। अब दो अध्यक्ष को लेकर पत्रकार भी पशोपेश में हैं कि उनका अध्यक्ष कौन है?

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बाग़पत से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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