काम कराने के बाद सेलरी नहीं देने और सेलरी रोकने की घटनाएं मीडिया जगत में बढ़ती जा रही हैं। ताजा मामला व्यास मीडिया से जुड़ा है, जहां पर एक महिला मीडियाकर्मी की सेलरी रोके जाने की खबर है।
अभिलाषा नामक युवती ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि वो वर्ष 2016 से मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत हैं। इस साल उन्होंने इंदौर के व्यास मीडिया के स्टार्टअप ऑफिस में काम शुरू किया था।
अभिलाषा बताती हैं कि शुरुआत में तो सब कुछ ठीकठाक था लेकिन थोड़े दिनों के बाद उनके काम में बाधा पहुंचाने की कोशिशें शुरू हो गईं। ऑफिस के कुछ लोग पीठ पीछे चुगलखोरी का काम करने लगे।
उसके बाद कंपनी के मालिक अथर्व व्यास ने एक दिन अभिलाषा के साथ पहले तो बहस की फिर बिना कारण बताए टर्मिनेट कर दिया। अभिलाषा को यह समझ ही नहीं आया कि उनकी गलती क्या है!
बात यहीं नहीं रुकी। अभिलाषा की अगस्त महीने की पूरी सेलरी और सितंबर महीने की 13 दिन की सेलरी रोक दी गई। अभिलाषा के बहुत कहने पर कंपनी की ओर से आश्वासन दिया गया कि सेलरी आ जाएगी।
यह पूरी सेलरी मिलाकर 30 हजार रुपये होती थी लेकिन 30 हजार की जगह 12 हजार रुपये अभिलाषा के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए गए। पूछने पर बताया गया कि उन्होंने लॉगिन लेट किया था। अभिलाषा वर्क फ्रॉम होम करती थीं। उनका कहना है कि बमुश्किल उन्होंने 04 दिन 10:15 तक लॉगिन किया होगा जबकि ऑफिस का समय सुबह 10 बजे से शाम 06 बजे तक का है।
कंपनी के इस रवैये से अभिलाषा हताश हैं। उन्हें अब ये समझ ही नहीं आ रहा कि वो अपनी व्यथा किससे कहें। हालांकि आज के पत्रकारिता जगत की यही सच्चाई है। ढूंढने पर ऐसी कई अभिलाषा मिल जाएंगी जिनकी सेलरी बिना वजह रोक दिया जाता है।