संजय कुमार सिंह-
जब राजधर्म नहीं निभाना ही ‘वीरता’ हो तो हिन्दुत्व का प्रचार करने वालों का हाल
- मणिपुर पहले पन्ने पर आया
- 56 ईंची सीने के बावजूद राजधर्म निभाने के लिए कह भी नहीं सकते
- नवोदय टाइम्स ने अफवाह को जिम्मेदार ठहराया
आज मेरे सभी अखबारों में मणिपुर पहले पन्ने पर है भले अलग-अलग रूप में। टाइम्स ऑफ इंडिया में मणिपुर की खबर लीड है और इसके अनुसार वहां एक स्कूल में आग लगा दी गई तथा फिर से शुरू हुए संघर्ष में एक जख्मी है।
द हिन्दू ने अपनी लीड खबर से बताया है कि मणिपुर में 13,000 से ज्यादा गिरफ्तार किये गये हैं तथा 4 मई के मामले में और भी संदिग्ध चिन्हित किये गये हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर दो खबरें छापी हैं। एक में बताया है कि, मणिपुर में ढेर सारी जीरो एफआईआर, पुलिस के लिए नई चुनौती है। दूसरी खबर है, आमने-सामने की गोलीबारी में फंसे बाहरी जिन्हें मणिपुर में जीवन और प्रेम मिला। इन खबरों के बीच द टेलीग्राफ ने आज पहले पन्ने पर रामचंद्र गुहा का एक लेख छापा है। इसका शीर्षक है, बिरेन (मुख्यमंत्री) को तो जाना ही चाहिए पर मोदी उनसे राजधर्म निभाने के लिए भी क्यों नहीं कह पा रहे हैं। द टेलीग्राफ की लीड भी मणिपुर पर है। इसका फलैग शीर्षक है, (सेना के) दिग्गजों ने मणिपुर पर खुलकर बोला, दूसरे राज्यों के बारे में प्रधानमंत्री के सवालों पर निराशा जताई।
इंडियन एक्सप्रेस ने आज मणिपुर को लेकर संसद में चल रही स्थिति पर खबर दी है और बताया है कि विपक्ष प्रधानमंत्री के बयान पर अड़ा है। तथ्य यह भी है कि सरकार और उसके समर्थक गलत प्रचार कर रहे हैं कि विपक्ष चर्चा नहीं चाहता है कि मणिपुर पर चर्चा हो। वैसे भी, इतने दिनों से हिन्सा क्यों चल रही है, रोकी क्यों नहीं जा सकी, वीडियो वायरल क्यों नहीं हुए और कैसे हुए, कार्रवाई क्यों नहीं हुई तथा सप्रीम कोर्ट की चेतावनी आते क्यों हो गई – इन सब पर प्रधानमंत्री का एक बयान तो बनता है। विपक्ष की मांग कहां गलत है और बोलने वाले प्रधानमंत्री मौनमोहन की तरह मौनेन्द्र क्यों बन गये हैं। आखिर हम भी तो जानें। नवोदय टाइम्स में मणिपुर सेकेंड लीड है। भले ही अफवाह को जिम्मेदार ठहराया है पर सच यह भी है कि अफवाह को रोकना और उससे निपटना भी सरकार का ही काम है और इंटरनेट बंद है तो अफवाह कैसे फैल रही है। कम से कम इंटरनेट तो चले।