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सियासत

27 साल के 28 सबक

हाल में मेरी जिंदगी के 27 साल पूरे हो गए। यह कोई महान घटना नहीं है। हर रोज पूरी दुनिया में करोड़ों लोग अपना जन्म दिवस मनाते हैं, लेकिन यह दिन मेरे लिए इसलिए खास है क्योंकि यहां आकर मुझे मील का एक ऐसा पत्थर लगा दिखाई देता है जिस पर दूरियों के बजाय जिंदगी के कुछ सबक लिखे हैं। इनमें से कुछ सबक मैं आपको बताना चाहूंगा। कृपया शांति बनाए रखिए। बच्चे शोर न मचाएं। अगर आप स्वेटर बुन रही हैं तो इसे बंद कर दीजिए। कृपया फोन की घंटी को कुछ देर के लिए भूल जाएं।

<p>हाल में मेरी जिंदगी के 27 साल पूरे हो गए। यह कोई महान घटना नहीं है। हर रोज पूरी दुनिया में करोड़ों लोग अपना जन्म दिवस मनाते हैं, लेकिन यह दिन मेरे लिए इसलिए खास है क्योंकि यहां आकर मुझे मील का एक ऐसा पत्थर लगा दिखाई देता है जिस पर दूरियों के बजाय जिंदगी के कुछ सबक लिखे हैं। इनमें से कुछ सबक मैं आपको बताना चाहूंगा। कृपया शांति बनाए रखिए। बच्चे शोर न मचाएं। अगर आप स्वेटर बुन रही हैं तो इसे बंद कर दीजिए। कृपया फोन की घंटी को कुछ देर के लिए भूल जाएं।</p>

हाल में मेरी जिंदगी के 27 साल पूरे हो गए। यह कोई महान घटना नहीं है। हर रोज पूरी दुनिया में करोड़ों लोग अपना जन्म दिवस मनाते हैं, लेकिन यह दिन मेरे लिए इसलिए खास है क्योंकि यहां आकर मुझे मील का एक ऐसा पत्थर लगा दिखाई देता है जिस पर दूरियों के बजाय जिंदगी के कुछ सबक लिखे हैं। इनमें से कुछ सबक मैं आपको बताना चाहूंगा। कृपया शांति बनाए रखिए। बच्चे शोर न मचाएं। अगर आप स्वेटर बुन रही हैं तो इसे बंद कर दीजिए। कृपया फोन की घंटी को कुछ देर के लिए भूल जाएं।

1- कोई भी व्यक्ति बुरा नहीं होता। कोई व्यक्ति अच्छा भी नहीं होता। यह हालात तय करते हैं कि उसे हमारे साथ अच्छा बनना है या बुरा।

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2- हमेशा अपने अंतर्मन की आवाज सुनो। हो सकता है कि दुनिया के नियमों का पालन कर आप एक दिन राजा बन जाएं, लेकिन अगर आप शिक्षक बनना चाहते हैं तो शिक्षक ही बनिए, क्योंकि शिक्षक की कुर्सी आपको राजा के सिंहासन से भी ज्यादा खुशी देगी। लोग कुछ कहते हैं, तो कहने दो। वे आपका मूल्यांकन कर आपको हारा हुआ या कमजोर साबित करते हैं, तो करने दो। कुछ लोग कभी नहीं बदलते, क्योंकि वे कभी बदलाव नहीं चाहते। उनकी हरकतों पर ध्यान देने के बजाय अपना लक्ष्य सामने रखो।

3- यह कहना बिल्कुल गलत है कि ईश्वर नहीं है। ईश्वर निश्चित रूप से है। उसे प्राप्त करने के लिए ग्रंथों के जंगल में भटकने से ज्यादा अच्छा है पवित्र भावना से प्रार्थना करना। प्रार्थना के पवित्र भाव ही ईश्वर तक पहुंचते हैं। शब्द और ग्रंथ शुरुआती चीजें हैं।

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4- विद्वान बनने की कोशिश मत करो। विद्वता अपने साथ अहंकार लाती है जो हमें ईश्वर से दूर ले जाता है। विद्वान व्यक्ति जीवन भर तर्क-वितर्क के जंजाल में उलझा रहता है। वही कभी उस सत्य तक नहीं पहुंच सकता जिसके लिए विद्वता की कोई जरूरत ही नहीं है।

5- विद्वान होने का मतलब अच्छा इन्सान होना बिल्कुल नहीं है। मैं एक ऐसे विद्वान को जानता हूं जो सभ्य लोगों की मंडली में महिला अधिकारों पर अच्छा भाषण देता था लेकिन घर जाकर अपनी पत्नी की पिटाई करता था।

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6- धार्मिक होने और सांप्रदायिक होने में बहुत कम फर्क है। दोनों ऊपरी तौर पर एक जैसे ही दिखते हैं। धार्मिक वह है जो खुद के साथ दूसरों के अस्तित्व को स्वीकार करता है। सांप्रदायिक व्यक्ति खुद के अलावा किसी और का अस्तित्व स्वीकार नहीं करता।

7- धार्मिक व्यक्ति जैसा दिखने का मतलब अच्छा इन्सान होना बिल्कुल नहीं है। मेरे गांव का एक पंडित आए दिन धार्मिक रस्में पूरी करवाता है। उसके एक हाथ में धार्मिक ग्रंथों की पोटली है तो दूसरे में छल, कपट और बेईमानी की छुरी। वह बहुत ऊंची दर पर ब्याज देता है और अत्यंत अहंकारी है। उसकी नजर हमेशा इन्सानी गोश्त पर रहती है कि कब कोई उसके जाल में फंसे और वह पूरी जिंदगी के लिए उसका गुलाम बन जाए।

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8- सभी पंडित, मौलवी, पादरी और धर्मगुरु अच्छे नहीं होते। हालांकि सभी बुरे भी नहीं होते। धर्म के साथ विवेक का होना भी जरूरी है।

9- जो आदमी दुनिया की नजर में बड़ा है, जरूरी नहीं कि वह सचमुच वैसा ही हो। मैंने कुछ ऐसे बड़े लोग देखे जो छोटे लोगों से भी बहुत छोटे थे। वास्तव में बड़े लोग, बड़ा आदमी जैसा व्यक्ति कहीं नहीं होता।

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10- कभी इतने बड़े मत बनो कि दुनिया के दूसरे लोग आपको बहुत छोटे नजर आने लगें।

11- मैं दुनिया के उन सबसे ज्यादा भाग्यशाली लोगों में से हूं जिसे बहुत अच्छी मां, पापा और भाई-बहन मिले। मेरे नाना और दादी भी बहुत अच्छे व्यक्ति थे। मुझे परिवार के उन बड़े लोगों की कोई परवाह नहीं जिन्हें मेरे विचार मूर्खतापूर्ण लगते हैं।

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12- बच्चों को वक्त-बेवक्त डांटना ठीक नहीं है। उनकी बेरहमी से पिटाई भी नहीं करनी चाहिए। अगर ऐसा लगातार चला तो एक दिन वही बच्चा आपको उसी भाषा में जवाब देगा। बच्चों से भेदभाव भी नहीं करना चाहिए।

13- यह जरूरी नहीं कि कोई परंपरा इसीलिए सही है, क्योंकि वह हमेशा से चली आ रही है। मुझे ब्याज, दहेज, मृत्युभोज और बालविवाह से सख्त नफरत है। ये तमाम बुराइयां हमें गुलाम बनाती हैं। इनका विरोध करने का साहस रखो। मैं इन्हें इसलिए भी गलत मानता हूं क्योंकि इनमें से कुछ चीजों का खामियाजा मैंने भुगता है।

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14- जो आदमी बाहर से जितना ताकतवर और सख्त बनने की कोशिश करता है, वह अंदर से उतना ही कमजोर होता है। वह ऐसा बनने की कोशिश इसलिए करता है ताकि लोग उसकी कमजोरी न जान सकें।

15- वह व्यक्ति ज्यादा अमीर है जो सौ रुपए कमाकर भी एक रुपया बचाता है। वह व्यक्ति गरीब है जो एक लाख रुपए कमाकर भी अपनी जरूरतों के लिए दस हजार रुपए का कर्जा लेता है।

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16- कई बार किसी प्रिय व्यक्ति का सम्मान बरकरार रखने का सबसे अच्छा तरीका यही होता है कि आप उससे दूर चले जाएं।

17- किसी का बॉस बनना सबसे ज्यादा अहंकारी मानव बनने जैसा है। मैं बॉस संस्कृति का विरोधी हूं। बॉस एक ऐसा व्यक्ति होता है जिसके सिर पर सींग नहीं होते, फिर भी लोग उससे डरते हैं। क्योंकि वह बिना सींगों के भी उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। मैं कभी किसी का बॉस नहीं बनना चाहता। अगर मुझे कभी किसी काम की जिम्मेदारी मिली तो मैं विशिष्ट आदमी होने का ढोंग नहीं रचूंगा। मैं सबसे अच्छा सहयोगी बनकर दिखाऊंगा, जिससे लोग डरें नहीं।

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18- स्वाभिमान से कभी समझौता न करो। जहां सम्मान और स्वाभिमान बरकरार न रख सको, वहां कभी न जाओ।

19- किसी एक धर्म के प्रति कट्टरता, किसी एक देश या जाति के लोगों को ही सबसे अच्छा या सबसे बुरा समझना सबसे बड़ी मूर्खता है। जहां कहीं जो अच्छाई है, उसे स्वीकार करो। सूली पर चढ़े यीशु और पत्थरों की मार से घायल हुए मुहम्मद साहब के खून का रंग उस वक्त भी वैसा ही था, जैसा आज आपके खून का रंग है। मंदिर का फूल और मस्जिद का ताबीज अच्छी दुआ के लिए होते हैं और वे किसी में कभी फर्क नहीं करते।

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20- अगर सेकुलर होने का मतलब सभी धर्मों का सम्मान करना है तो मैं सेकुलर हूं, लेकिन अगर इसका मतलब किसी एक की हर गलती माफ करना और दूसरे को हर वक्त खरी-खोटी सुनाना है तो माफ कीजिए, मैं सेकुलर नहीं हूं।

21- मुझे खुद के बनाए नियम पसंद हैं और दूसरों की बनाई कड़क आचार संहिता सख्त नापसंद। नियम इसलिए बनाए जाते हैं ताकि हमारी जिंदगी आसान हो, न कि इसलिए कि इनसे हमारा जीना हराम हो जाए।

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22- मुझे आजादी पसंद है और मैं गुलामी से नफरत करता हूं। गुलामी कैसी भी क्यों न हो, वह हमेशा बंधन और बेइज्जती लेकर आती है।

23- अगर किसी अंधविश्वास से आपको प्रेरणा मिलती है तो थोड़े अंधविश्वासी बन जाएं। अगर आप किसी पेन, अंक या व्यक्ति को लकी मानते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

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24- आपकी योग्यता आपको सफल बना सकती है लेकिन आपकी अयोग्यता उससे भी आगे ले जा सकती है। अगर महात्मा गांधी गोरे और विद्वान वकील होते तो उन्हें कभी ट्रेन से नीचे नहीं फेंका जाता। इससे दुनिया को मोहनदास नाम का एक काबिल वकील तो मिल जाता लेकिन भारत राष्ट्रपिता से वंचित रह जाता।

25- दूसरों को देखकर कभी अपना मूल्यांकन मत करो। अगर आप डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस या कुछ और नहीं बने तो कोई पाप नहीं किया। अगर आप बन गए तो इसका यह मतलब हर्गिज नहीं कि जन्नत का टिकट मिल गया। दूसरों को देखकर अपनी जीवन यात्रा तय मत करो। क्या होता अगर सिकंदर राजा बनने के बजाय डॉक्टर बनने की कोशिश करता, अब्राहम लिंकन अधिकारी बनने की कोशिश में किताबें रटते रहते और शेक्सपीयर वकील बनने के लिए अपनी श्रेष्ठ रचनाएं लिखना बंद कर देते। दूसरों से खुद की तुलना कभी मत करो।

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26- दुनिया एक बहुत बड़ी लाइब्रेरी है। हम यह तय नहीं कर सकते कि कौनसी किताब हमें दी जाएगी, लेकिन यह तय करने का अधिकार हमें है कि इसमें कैसी कहानी लिखी जाएगी।

27- जब आप किसी से सच्चा प्रेम करते हैं तो उसके रंग को नहीं देख पाते। इसलिए नहीं कि आप प्रेम में अंधे हो जाते हैं, बल्कि इसलिए कि सच्चे हृदय को आंखों की जरूरत नहीं होती।

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28- कुछ लोग मेरी फोटो देखकर कहते हैं कि मैं बहुत गंभीर हूं। मेरे बोलने के लहजे से कुछ लोगों को लगता है कि मैं बहुत लड़ाकू हूं। असल में ये दोनों ही गलत हैं। मैं ऐसा बिल्कुल नहीं हूं। इसमें उन लोगों का कोई कसूर नहीं है। मेरी शक्ल ही ऐसी है।

राजीव शर्मा

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ganvkagurukul.blogspot.com

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