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तीन पत्रकारों का यूपी विधानसभा में प्रवेश सस्पेंड

सदन की कार्यवाही मोबाइल में शूट करने के आरोप में यूपी के तीन पत्रकारों का विधानसभा में प्रवेश निलंबित कर दिया गया है. ये तीन पत्रकार हैं मोहम्मद ताहिर, अमिताभ त्रिवेदी और मनीष कुमार मिश्र. तीसरे पत्रकार मनीष कुमार मिश्र को बीबीसी का पत्रकार बताया गया है जबकि यूपी में बीबीसी की तरफ से कोई पत्रकार नियुक्त नहीं किया गया है. पूरे प्रकरण पर लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार कुमार सौवीर ने अपने फेसबुक वॉल पर विस्तार से लिखा है, जिसे नीचे प्रकाशित किया जा रहा है.

सदन की कार्यवाही मोबाइल में शूट करने के आरोप में यूपी के तीन पत्रकारों का विधानसभा में प्रवेश निलंबित कर दिया गया है. ये तीन पत्रकार हैं मोहम्मद ताहिर, अमिताभ त्रिवेदी और मनीष कुमार मिश्र. तीसरे पत्रकार मनीष कुमार मिश्र को बीबीसी का पत्रकार बताया गया है जबकि यूपी में बीबीसी की तरफ से कोई पत्रकार नियुक्त नहीं किया गया है. पूरे प्रकरण पर लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार कुमार सौवीर ने अपने फेसबुक वॉल पर विस्तार से लिखा है, जिसे नीचे प्रकाशित किया जा रहा है.

Kumar Sauvir : अगर कानून को तोड़ना ही पत्रकारिता है, तो फिर यही ठीक है। लेकिन पत्रकार मित्रों, यह तो बताइये जरूर कि आपने ऐसा क्‍यों किया। आप तो विधानसभा की कार्रवाई से निलम्बित कर दिये हैं, लेकिन कालिख पुत गयी है पूरी पत्रकार बिरादरी के चेहरे पर। अब समझ में ही नहीं आ रहा है कि अब हम आपके चेहरे पर पुती कालिख को पोछें जो अपने पोंछ दिया है, या फिर हम अपने चेहरे पर पुती उस कालिख को पोंछें जो आपने अपनी करतूत के चलते पर हमारी पूरी बिरादरी के चेहरे पर पोती है। पूरे विधानसभा परिसर में केवल आपकी करतूत पर ही चर्चा हो रही है। खैर, कोई बात नहीं, केवल यह ही बता दीजिए कि आप लोग अपनी इस करतूत पर शर्मिंदा हैं या नहीं। (आप लोगों को बता दूं कि विधानमंडल के किसी भी सदन की कार्रवाई को शूट करने या उसे लिखने का अधिकार किसी भी शख्‍स को नहीं है। पत्रकार तो दूर, सदन के किसी सदस्‍य तक को भी नहीं, जिसे विधायक कहा जाता है। पत्रकार तो केवल वही लिख-दिखा सकते हैं जिसकी अनुमति विधानसभा अथवा विधान परिषद के अध्‍यक्ष दे दें।)

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0 Comments

  1. rddixit

    June 27, 2014 at 5:37 am

    It is a wrong act whatt the three have done but they have got the punishment. Journalists of UP nor the Journalist of the entire world are involved in it but only three are involved. They have no blood relationship to feel ashamed of. When a journalist dies of incurable illness, no journalist helps nor feels ashamed of. Sri News journalists are dying of hunger, nobody feels ashamed of.

  2. mahendra

    June 28, 2014 at 7:41 am

    kya wakai yeh patrakar hai. niyam tore hai to saja bhi milani hi chahiye.

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