Sanjaya Kumar Singh-
संयोग है या रिवाज?
आज के अखबारों में न्यायपालिका से संबंधित प्रधानमंत्री के बयान को अच्छी प्राथमिकता मिली है। पहले पन्ने की खबरों के तीन शीर्षक देखिए
- न्यायपालिका ने संविधान को मजबूत किया है (हिन्दुस्तान टाइम्स)
- न्यायपालिका ने संविधान के जीवन बल की रक्षा की है (इंडियन एक्सप्रेस)
- जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रधानमंत्री ने न्यायपालिका की प्रशंसा की (द हिन्दू)
यह दिलचस्प है कि प्रधानमंत्री अदालतों के काम की तो तारीफ कर रहे हैं पर सरकार का जो काम है उस पर टिप्पणी नहीं करते। ना सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों पर कुछ कहा है और न अदालतों में तारीख पड़ते रहने के बारे में कुछ सुना गया है।
उदाहरण के लिए आज ही टाइम्स ऑफ इंडिया में खबर छपी है कि इंदौर में महीने भर से ज्यादा पहले बिना सबूत, भाजपा नेता के बेटे की गलत शिकायत पर गिरफ्तार कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने और उत्तर प्रदेश के मामले में स्पष्ट स्टे होने के बावजूद मध्य प्रदेश की जेल से छोड़ने में हीला हवाली की गई और कोशिश की गई कि उसे उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को सौंप दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट से अधिकारियों को फोन किए जाने के बाद फारूकी को आधी रात के बाद रिहा किया गया। पर यह खबर उन अखबारों में पहले पन्ने पर नहीं है जहां प्रधानमंत्री द्वारा न्यायपालिका के प्रचार या प्रशंसा की खबर पहले पन्ने पर है।
पता नहीं यह संयोग है या रिवाज।