संजय कुमार सिंह-
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से विपक्ष का प्रचार बेअसर हुआ
लेकिन जजों को नियुक्त करने वाले पैनल में सरकार का प्रतिनिधि होना चाहिए
आज इंडियन एक्सप्रेस के पहले पन्ने की दो प्रमुख खबरों में एक बताती है प्रधानमंत्री की छवि खराब करने वाले विपक्ष के नकारात्मक अभियान को सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया ने नाकाम कर दिया। इसे सुप्रीम कोर्ट के फैसलों-आदेशों की खबरों से लोगों ने चाहे जैसे समझा हो, भारजीय जनता पार्टी अब अपना प्रस्ताव जारी कर बता रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कांफ्रेंस करके भी कहा है। दूसरी खबर लीड है। इसके अनुसार एक युद्ध चल रहा है और सरकार चाहती है कि जजों का चुनाव करने वाले पैनल में उसका भी प्रतिनिधि होना चाहिए।
इस मामले में जो खबरें आती रही हैं उससे मामला साफ है कि सरकार ऐसा क्यों चाहती है और यह सीबीआई के प्रमुख को आधी रात में बदलने की कार्रवाई से भी साफ है। इसके बावजूद भाजपा कह रही है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से विपक्ष का नकारात्मक अभियान नकारा गया है तो जजों का चुनाव करने वाले पैनल में अपना आदमी क्यों चाहिए? दूसरी खबर से ही साफ है कि सरकार के खिलाफ बहुत सारे मामलों में सुप्रीम कोर्ट के बहुत सारे फैसले सरकार या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पक्ष में हुए हैं।
अगर अभी ही ऐसा हो रहा है तो पुरानी व्यवस्था क्यों नहीं चलने दी जाए और अपने प्रतिनिधि से आखिर क्या करवाना है और किसलिए करवाना है। तब के फैसलों पर कहा जा सकेगा कि इस जज की नियुक्ति सरकारी प्रतिनिधि के समर्थन से हुई या विरोध के बावजूद हुई है। यह स्थिति जजों को फैसला देने में भी मुश्किल पहुंचा सकती है। इसके बावजूद सर्वशक्तिमान भारत सरकार ऐसी मांग कर रही है तो यह पूरी भी हो जाएगी लेकिन इसकी जरूरत है या कोई खास उद्देश्य। खबरों के बीच की खबर यह है। इसका जवाब सरकार से, सरकार समर्थकों से मांगा जाना चाहिए – पर शायद ही कोई मांगे।