प्रभात डबराल-
डिजिटल इंडिया के फ्रॉड: आज paytm के fastag के खुल्लमखुल्ला फ्रॉड की कहानी सुनिए. मेरी एक कार है: DL8CAW2122 इसमें पिछले साल 6 सितंबर को पेटीएम बैंक का फ़ास्टैग लगाया गया. 21 जून को गूगल पे से 1000/- का रिचार्ज कराया. अकाउंट से पैसे निकल गए लेकिन पेटीएम फ़ास्टैग में रिफ्लेक्ट नहीं हुए.
आज सबेरे गाड़ी कोटद्वार से दिल्ली के लिए निकली. मोदीपुरम के निकट सेवाया टोल नाके से तो गाड़ी निकल गई.
लेकिन एक्सप्रेस वे पर रोक दी गई. और ये कहकर कि बैलेंस ज़ीरो है दुगना टोल वसूल लिया गया(३२०/-).कोई रसीद नहीं मिली.
उस समय मोबाइल पर फ़ास्टैग १९०/- बैलेंस दिखा रहा था. पर टोल पर कोई सुनता है क्या. बहस करो तो गालियाँ सुनो. फ़ास्टैग का शिकायत वाला फ़ोन घंटों तक नहीं मिलता.
अब सुनिए सबसे अद्भुत बात.
फ़ास्टैग बैलेंस १९०/- था
मैंने अपने पेटीएम से फ़ास्टैग में १००/- रिचार्ज डाला
बैंक से सौ रुपये निकल गये
लेकिन फ़ास्टैग बैलेंस १९०/- से घटकर १००/- हो गया.
ना बेलेंस वाले १९०/- का पता कि कहाँ ग़ायब हो गए और ना उन १०००/- का जो २१ जून को डाल थे. ना जाने ये कैसा डिजिटल खेला है.
वैसे पेटीएम फ़ास्टैग का एक कम्प्लेंट नंबर है. वहाँ बात भी की. बस ये ग़नीमत है कि अभी तक पागल नहीं हुआ.
अब या तो मैं नया फ़ास्टैग लूँ. या फिर हर टोल पर दुगना टोल देते हुए वापस जाऊँ जिसकी रसीद भी नहीं मिलेगी.
झूठ बोलकर गुमराह करने में गड़करी जी मोदी जी के भी गुरु साबित हो रहे हैं.