Anand Sharma : सरकार ने लखनऊ से पूरा फण्ड भेजा फिर ऑक्सीजन का भुगतान क्यों नही हुआ? कमीशन का खेल है, दवाओं का स्टॉक भी चेक कर लें योगीजी… उनके आने के बाद रिश्वतें और कमीशन बढ़ गया है। अधिकारी और कर्मचारी उन्हें बालक समझते हैं जो कॉस्मेटिक बदलाव में खुश है। विधायकों को नकारा बना दिया गया है कार्यकर्ता की कोई सुनता नही। सच्चाई की ज़मीन से कतई कटी हुई है योगी सरकार। गिरफ्तार कीजिये मेडिकल कॉलेज प्रशासन को और इरादतन हत्या की धाराएं लगाइए, कठोरतम कदम न उठा सकें तो सार्वजनिक जीवन से हट जाएं योगीजी।
Utkarsh Sinha : गोरखपुर मेडिकल कालेज में 30 बच्चों की मौत नहीं, ये साफ-साफ हत्या की श्रेणी में है। कमीशन खोरी का जाल नहीं टूटा न ही लालफीताशाही खत्म हुई। योगी ने 2 दिन पहले ही दौरा किया था। उन्होंने वही देखा जो भ्रष्ट प्रशासन ने दिखाया। वो काला सच मुख्यमंत्री नही देख पाए जिसे मिटाने के लिए जनता ने उन पर भरोसा किया था। वे नही देख पाए कि ऑक्सीजन का पेमेंट महीनों से बकाया है। वे नहीं देख पाए कि महज 36 घंटे बाद ही ऑक्सीजन खत्म होने वाली है। वे भरोसा दिलाते रहे, वादा करते रहे और कमीशनबाजी के खेल ने यमराज को न्योता दे दिया। मुझे न तो शर्म आ रही है न ही गुस्सा। बस बेबसी के आंसू अपना रास्ता खोज चुके है।
Amitaabh Srivastava : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से पांच दिन में 60 बच्चों की मौत एक आपराधिक कृत्य है। हत्या है यह। प्रदेश की बीजेपी सरकार और प्रशासन सीधे तौर पर जवाबदेह है। लेकिन सरकार है कि मदरसों की निगरानी में व्यस्त है।
Deshpal Singh Panwar : योगी जी जब आप सीएम बने थे तो यकीन मानिए भाजपा का राज अाने से ज्यादा अापका सीएम बनना अच्छा लगा था लेकिन ये सब हो क्या रहा है..केवल 60 लाख की देनदारी के चलते आपके राज में आपके घर में 30 बच्चों की मौत हो जाएगी और अाप देखते रहेंगे, जांच कराएंगे या फिर एेसे लोगों को सूली पर चढ़ाएंगे..मैं फिर कहता हूं कि लोकतंत्र अराजकता की जननी है..एेसे मामलों में जांच,अदालतों से अागे जाकर कोई फैसला होना चाहिए वरना यूं ही मौत होंगी, मुआवजा बंटेगा और राजनीति के गलियारों में एक दूजे के कपड़े उतारे जाएंगे पर कभी जनता को ये अहसास नहीं होगा कि हां ये सरकारें उसकी हैं और उसके लिए हैं….कुछ करिए योगी जी वरना इस्तीफा देकर वापस गायों के बीच रहिए क्योंकि ये राजनीति कम से कम आपके बस का रोग नहीं..एक दिन आपके अपने ही आपको इस्तीफा देने पर विवश करेंगे ये तय है…..
Chandan Pandey : गोरखपुर के अस्पताल में पिछले पाँच दिनों में साठ बच्चे मारे गए। लेकिन दोषी ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी नहीं है, क्योंकि सत्तर लाख बकाए के बाद वो कंपनी ऑक्सीजन क्यों सप्लाई करती? और उत्तर प्रदेश की सरकार! वो तो माशाअल्लाह दोषी हो ही नहीं सकती, क्योंकि उसने स्वास्थ्य का ठेका थोड़े न लिया है। दोषी है वो माता पिता जिनके बच्चे अब नहीं रहे। दोषी वो बच्चे हैं जिनकी वजह से राज्य सरकार बदनाम हो रही है। दोषी हैं हम सब। आखिर ये सत्तर लाख का पाँच महीने का बकाया सरकार को मालूम थोड़े न रहा होगा! बेचारी, सरकार।
राजीव राय : मुंबई की एक बड़ी सोसायटी में 6 करोड़ के फ्लैट में रहने वाली अकेली मां (जिसका बेटा विदेश में रहता था) भूख से मर गयी. बिहार के बक्सर का एक आईएएस अधिकारी (जिसकी पत्नी और एक तीन महीने की बेटी थी) उसने गाजियाबाद में खुदकुशी कर ली. यूपी के गोरखपुर में एक मेडिकल कॉलेज में 70 लाख का बकाया होने की वजह से आक्सीजन की सप्लाई रोक दी गई जिसकी वजह से तकरीबन 30 छोटे बच्चों की दम घुटने से मौत हो गई. आपको इस्लाम, हिंदुत्व और मुसलमान की पड़ी है, यहां पूरी इंसानियत खतरे में पड़ी है, संवेदना सरेआम दम तोड़ रही है, रिश्ते लावारिस हो रहे हैं लेकिन फर्क किसे पड़ता है जनाब, मुर्दों के शहर में सन्नाटा तो आम बात है.
सौजन्य : फेसबुक
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