प्रिय यशवंत जी,
संपादक, भड़ास4मीडिया
के. विक्रम राव और उनका सुपुत्र झूठ के शहंशाह और राजकुमार हैं। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि श्री राव के पुत्र विश्वदेव राव ने अपने आप को अब आई.एफ.डब्ल्यू.जे. का सचिव भी घोषित कर दिया। श्री राव के पुत्र द्वारा आपको लिखे हुए पत्र से धमकी की स्पष्ट ध्वनि आती है। अन्यथा कोई समाचार हटाने के लिए कैसे कह सकता है? उसका पत्र अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा-सीधा हमला है।
आपको एक समाचार मिला और आपने उसे प्रकाशित किया, और अगर उसको यह लगता है कि ऐसा समाचार भेजकर के आई.एफ.डब्ल्यू.जे. ने किसी भी न्यायालय की अवहेलना की है, तो वह न्यायालय से उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की मांग करे। लेकिन ऐसा करने की हिम्मत न तो उसमें और उसके पिता श्री में है इसलिए वह ऐसा पत्र आपको लिख रहा है।
ज्ञातव्य हो कि श्री विक्रम राव को नवंबर 2015 में आई.एफ.डब्ल्यू.जे. से निष्काषित किया जा चुका है। वर्त्तमान स्थिति यह है कि पूरे देश में एक भी रजिस्टर्ड राज्य इकाई विक्रम राव का नाम लेने वाली नहीं है। परमानन्द पाण्डेय वकील तो हैं ही वह आई.एफ.डब्ल्यू.जे. के पदाधिकारी भी हैं जो ट्रेड यूनियन एक्ट के तहत पूर्णतय उचित है। लगे हाथ उससे यह भी पूछ लीजिये की परमानन्द पाण्डेय के वकील और पत्रकारिता दोनों से सम्बन्ध बनाए रखने के लिए विक्रम राव ने भारत के मुख्य न्यायाधीश और ‘बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया’ से शिकायत की थी तो उसका क्या हुआ?
श्री पाण्डेय आज भी ‘जुडिशियल पेनोरमा’ नाम से एक कालम कई समाचार पत्रों के लिए लिखते हैं। यहाँ यह बताना उचित होगा कि विक्रम राव के कारण ही आई.एफ.डब्ल्यू.जे. को ‘इंटरनेशनल आर्गेनाईजेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स’ (आई.ओ.जे.) से निकाला गया। वेज बोर्ड सदस्य के रूप में उन्होंने जाली बिल बनाकर श्रम मंत्रालय से पैसे लिए, जिसकी जाँच अभी बंद नहीं हुई है। तमाम मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों एवम राज्यपालों से आई.एफ.डब्ल्यू जे. सम्मेलन के नाम पर करोड़ो रुपए डकार लिए। इसी कारण उन्हें आई.एफ.डब्ल्यू जे. से निकाला गया। पत्रकार जयंत वर्मा द्वारा इसकी पूरी जांच करके एक पुस्तक लिखी जा रही है, जिसकी एक प्रति आपको भी भेट की जाएगी।
आपसे निवेदन है कि आप ऐसे व्यक्तियों की धौंस-पट्टी में न आकर निडर और निर्भीक पत्रकारिता के मार्ग पर चलते रहे, जिसके लिए पुरे देश में आपकी ख्याति है।
सधन्यवाद,
आपका,
रिंकू यादव
कोषाध्यक्ष -आई.एफ.डब्ल्यू.जे.
[email protected]
उपरोक्त पत्र इस पत्र के जवाब में आया है-
‘परमानंद पांडेय का IFWJ से कोई रिश्ता नहीं, भड़ास पर छपी खबर तत्काल हटाएं’
पूरा प्रकरण इस खबर से तैयार हुआ है-
Shahnawaz Hassan
July 6, 2019 at 9:04 pm
प्रिय यशवंत जी, श्रमजीवी पत्रकारों का देश का प्रथम पत्रकार संगठन होने के बावजूद आज IFWJ पूरी तरह बिखर गया है।पत्रकार हितों की लड़ाई से IFWJ के किसी धड़े को कोई मतलब नहीं रह गया है,पद को लेकर दो धड़ों में बंटा संगठन दो अलग अलग दुकान बनकर रह गया है।एक ओर पिता-पुत्र की दुकानदारी तो दूसरी ओर पत्रकारों के संगठन के पदाधिकारी उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता।ऐसे में आप किसी एक की सूचना को पोस्ट करेंगे तो दूसरे को कड़वाहट महसूस होगी ही।धमकी देना और धमकाना इनका कार्य रहा है,कई बार हमारे पत्रकार साथियों ने इन्हें पिटने से बचाया भी है।आप से आग्रह है आप इस तरह की।धमकियों को Notice नहीं लिया करें। श्रमजीवियों की लड़ाई अब सुविधाभोगी लड़ेंगे यह बहुत ही हास्यास्पद है।IFWJ की दोनों ही इकाई की यह लड़ाई दो व्यक्ति की लड़ाई है जिसने पत्रकारों को बहुत नुकसान पहुंचाया है।