जोधपुर : अपने आप को देश का सबसे बड़ा अखबार कहने वाले दैनिक भास्कर ने में क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खबर को छिपा लिया। उसे सिर्फ वेबसाइट पर प्रसारित कर दिया। प्रदेश के जागरूक तबके में इस घटिया नीयत को लेकर तरह तरह की चर्चाएं हैं।
राजस्थान में हजारों की संख्या में क्रेडिट सोसायटियां गरीब लोगों से भारी धनराशि जमा कराती रही हैं जिसकी वापसी की कोई गारंटी नहीं। इसको लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ में चीफ जस्टिस की बेंच ने राजस्थान में इन सोसायटियों पर पूर्ण रूप से रोक लगाते हुए तीन माह में आरबीआई से लाईसेंस लाने का आदेश जारी किया था। उसके खिलाफ राजस्थान की कुछ क्रेडिट सोसायटियों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की।
सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को प्रभावी रखा, साथ ही कहा है कि क्रेडिट सोसायटियां बैंकिंग व्यवसाय नहीं कर सकतीं। नॉमिनल सदस्यों से जमाएं नहीं ले सकेंगी। इस आदेश के साथ शुक्रवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी। इस समाचार को राजस्थान में प्रमुख समाचार पत्रों ने जनहित में विशेष तरीके से प्रकाशित किया। राजस्थान पत्रिका ने प्रथम पृष्ठ पर दिया, लेकिन अपने आप को पाठकों की आवाज कहने वाले दैनिक भास्कर ने इस समाचार को प्रकाशित ही नहीं किया। इसके पीछे तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
पहले हाईकोर्ट, उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सोसायटियों का कारोबार राजस्थान में चौपट हो गया है। इससे जनता को बहुत राहत मिली है। ऐसे में एक बड़े समाचार पत्र ने खबर रोक कर पाठकों के विश्वास के साथ खुला धोखा किया है।
जोधपुर से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित