कोरोना मरीज का रेस्क्यू मॉक ड्रिल वीडियो वायरल करने का आरोप
यूपी के ललितपुर जिले में पुलिस ने पांच पत्रकारों के खिलाफ कोरोना मरीज के रेस्क्यू मॉक ड्रिल (रिहर्सल) का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल करने का आरोप लगाकर मुकद्दमा दर्ज किया है। जानकारी तो यह भी मिली है कि पुलिस और प्रशासन की लापरवाही के चलते वीडियो वायरल हुआ, लेकिन मामला बढ़ता देख अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाते हुए पत्रकारों के खिलाफ कार्यवाही कर उन्हें बलि का बकरा बना दिया।
बताया गया है कि जब पूरा देश कोरोना जैसे खतरनाक वायरस से लड़ रहा है, तब ललितपुर में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में पुलिस ने कोरोना मरीज के रेस्क्यू का मॉक ड्रिल किया। मॉक ड्रिल का पूरा वीडियो किसी ने सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। इसके चलते अफवाहों को भारी बल मिला।
सूत्र बताते है कि मॉक ड्रिल के दौरान अधिकारियों ने भारी लापरवाही बरती। रिहर्सल किसी एकांत इलाके में करने की बजाय उसे भीड़ भरे स्थान पर किया गया। इसका वीडियो कई लोगों ने अपने मोबाइल में कैद कर लिया। जब मामला बढ़ता दिखाई दिया तो तलवार पत्रकारों के गले पर रख दी।
यही नहीं, मॉक ड्रिल भी जनता कर्फ्यू के दिन किया गया था। इसके चलते वीडियो वायरल होने के कारण लोग और भी अधिक भयभीत हो गए। बहरहाल जिन पांच पत्रकारों के खिलाफ सदर कोतवाली में मुकद्दमा दर्ज किया गया है, वह सभी पोर्टल अथवा सोशल मीडिया से जुड़े हुए है। आरोपी पत्रकारों के नाम नासिर मीडिया, रवि चुनगी, शिब्बू राठौर, ललितपुर लाइव टीवी के एमडी मनोज जैन (राजू) और प्रेस क्लब कोषाध्यक्ष रमेश रैकवार उर्फ चैनू हैं।
क्या होता है मॉक ड्रिल
मॉक ड्रिल दरअसल एक रिहर्सल प्रक्रिया है। सेना अथवा पुलिस किसी आतंकी अथवा रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने से पूर्व जो अभ्यास करती है, उसे मॉक ड्रिल कहते है।
घटना को लेकर पत्रकारों ने डीएम से की शिकायत
पोर्टल के पत्रकारों के खिलाफ मुकद्दमा लिखे जाने के बाद सोशल मीडिया के पत्रकारों में गुस्सा देखा जा रहा है। आज कुछ सोशल मीडिया कर्मियों ने डीएम योगेश कुमार शुक्ल को भी मामले से अवगत कराते हुए शिकायत की है। फिलहाल डीएम ने कोरोना का हवाला देते हुए और सभी पत्रकारों को निष्पक्ष जांच का लॉलीपॉप देकर शांत कर दिया है।
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