जब भी अकेले घूमने जाएं, नई जगह के अपरिचित लोगों की बातों पर सदा शक करें… आस्ट्रेलियाई लड़की कारमेन भारत में जहाज से उतरते ही ठगों की बातों में फंस गई और पहुंच गई एक नरक में… ऑस्ट्रेलियाई सर्फर के लिए जहन्नुम बन गया कश्मीर… पढ़ें पूरी कहानी….
कहते हैं दुनिया में स्वर्ग कहीं है तो यहीं कश्मीर में हैं। मगर ऑस्ट्रेलियाई सर्फर कारमेन ग्रीनट्री के लिए कश्मीर कभी जन्नत नहीं रहा, बल्कि जहन्नुम बन गया था। लोग कश्मीर की सैर के सपने बुनते हैं। मगर कश्मीर का नाम सुनते ही आज भी कारमेन का दिल दहल जाता है। उनकी आंखों में खौफ का साया उभर आता है। जी हां, ऑस्ट्रेलिया की सर्फर कारमेन ग्रीनट्री ने अपनी बायोग्राफी “अ डेंजरस परसुइट ऑफ हैपीनेस” रिलीज करते हुए उसमें कश्मीर से जुड़ी अपनी जिंदगी के जो राज खोले हैं वो चौंकाने वाले भी हैं और डरावने भी। कारमेन ने अपनी किताब में 2004 में भारत दौरे की कहानी लोगों के सामने रखी।
कश्मीर का यह वाकया हमें शर्मसार करने वाला है। कश्मीर की डल झील में रफीक अहमद डुंडू नाम के टूरिस्ट गाइड ने उन्हें दो महीने तक बंधक बनाकर रखा और उनके साथ हर रात बलात्कार किया। इस बात का खुलासा खुद पीड़िता ने अपनी बायोग्राफी में किया है । इसमें उन्होंने 2004 में अपने भारत दौरे का वो काला अध्याय लोगों के सामने रखा है जो कश्मीर की खूबसूरत वादियों में उनके साथ की गयी हैवानियत को सामने लाता है। कारमेन ग्रीनट्री उस समय 22 साल की थी। भारत आने के बाद वो कश्मीर पहुंची। जहां रफीक डुंडू ने उन्हें दलाई लामा के पास मुफ्त शिक्षा दिलवाने का झांसा दिया। इसके बाद वह कारमेन को एक नाव में ले गया और वहां दो महीने तक उसे कैद कर रखा। कारमेन को किडनैप करके एक कमरे में रखा गया। हर रात उनकी इज्जत को तार तार किया जाता और जब वह रिहाइ की दुहाई मांगती, उसे बेरहमी से मारा जाता था।
कारमेन आज भी भारत के उस दौरे को याद नहीं करना चाहती। उनकी जिंदगी नरक से भी बदतर हो गयी थी। लगातार दो महीने तक कारमेन का रेप किया गया। बरसों बीत जाने के बाद भी कारमेन के वो जख्म भरे नहीं हैं। उसकी टीस उन्हें आज भी तकलीफ पहुंचाती है। मगर कारमेन ने सोचा इस वाकये को दुनिया के सामने लाना चाहिए। इसलिए उन्होने अपनी जो किताब पब्लिश की है, उसने अपने साथ हुए इस अपराध का जिक्र किया।
कारमेन अब 37 साल की हैं। अपनी किताब में कारमेन ने लिखा है कि मई 2004 में एक टूर्नामेंट हारने के बाद उन्होंने ब्रेक लेने का फैसला किया और वह छुट्टियां मनाने भारत चली आई।
कारमेन ने किताब में लिखा कि उन्होंने एक वक्त के बाद गिनना भी छोड़ दिया था कि उस वहशी गाइड ने कितनी बार उनके शरीर को नोंच नोंच कर अपनी हवस पुरी की। उन्हें लगा कि वो उनकी जान बख्श देगा मगर वो दरिंदा लगातार दो महीने तक उनकी आबरू से खेलता रहा।
इतना ही नहीं कारमेन भाग न सके इसलिए उनका पासपोर्ट और वीजा भी उनसे छीन लिया गया था।। नाव में वो बिलकुल अकेली थी और अपनी मौत का इन्तजार कर रही थी। उसी बोट में उस हैवान का पूरा परिवार भी रहता था लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की।
धीरे-धीरे कारमेन से घर के काम करवाया जाने लगा। इसके बाद एक दिन अचानक बोट पर कुछ पुलिसवाले आए जिन्होंने कारमेन को किडनैपर से मुक्त करवाया और उन्हें पासपोर्ट वापस दिलवाया। इसके कुछ दिन बाद वह अपने देश लौट गई। कारमेन को भारत आकर रेपिस्ट के खिलाफ गवाही देने को कहा गया लेकिन वो किसी कारण से आ नहीं पाई।
बाद में पता चला कि बलात्कारी को 6 महीने के बाद बेल मिल गई और वो वापस घर जा चुका है। यह जानकर कारमेन को काफी तकलीफ हुई लेकिन उन्होंने धीरे-धीरे जिंदगी में आगे बढ़ने का फैसला किया। अब इस हादसे के 16 साल बाद कारमेन ने अपनी किताब “अ डेंजरस परसुइट ऑफ हैपीनेस” में सारा वाकया लिखा है। अब कारमेन की शादी हो चुकी है। अपने पति और तीन बच्चों के साथ वो खुशहाल जिंदगी जी रही हैं। मगर कश्मीर दौरे का ख्याल आते ही उनका वो जख्म फिर हरा हो जाता है, जिसे उन्होंने सालों पहले दफन कर दिया था।
कोलकाता की वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक श्वेता सिंह की रिपोर्ट. संपर्क- [email protected]
Akash kumar
July 12, 2020 at 9:21 pm
Boss /sir/mam . ye book kaun se store se milegi .plz massage me..
I think . All over world Mushlims are very dengeras in female side person.india me taslima nasrin ki life bitege.bahut se log hay Jo is tarah ki aatithi Devo bhav ke sikar hue honge.