बिहार में कोरोना के हालात पर “शिरीष” का SOS : बिहार में स्थिति बिगड़ती जा रही है , अस्पतालों में भर्ती के लिए बेड नहीं मिल रहे , कई लोगों को रैपिड एंटीजेन से जांच करके पॉजिटिव बता दिया गया है और वे लोग घर पर ही अपनी देखभाल कर रहे हैं । यदि किसी की तबियत ज्यादा बिगड़ती है घर में रहते हुए तो वे समझ नहीं पाते उन्हें क्या करना चाहिए ।
कुछ लोगों के पास मेरा मोबाइल नंबर है , आज सुबह 3 बजे एक सज्जन पटना से फोन करके यह समझना चाहते थे की वे अपने किसी जानकार व्यक्ति को जिन्हें सांस लेने में तकलीफ है उन्हें ऑक्सीजन चढ़ा रहें उन्होंने सब फिट तो कर दिया है पर ऑक्सीजन का फ्लो कितना रखना है । पटना से ही एक महिला का सुबह आठ बजे फोन आया की उनके घर में छह दिनों पहले उन्हें मिलाकर चार लोग पॉजिटिव बताएं गए हैं अभी उनके पति को छाती में जकड़न की शिकायत हो रही है , अब वो क्या करेगी , मैंने इन्हें सलाह दी की वह अविलंब अपने पति को किसी अस्पताल में एडमिट करा दे , मदद के लिए कोरोना आपदा केंद्र में संपर्क करे ।
मेरा नंबर कुछ लोगों के माध्यम से कई लोगों के पास पहुंच चुका है , रोजाना कई लोगों के फोन आते हैं , भरसक प्रयास करता हूँ की जितनी भी हो सके सबकी मदद हो सके ।
अब मन खिन्न हो रहा है , लोगों को टेस्ट करवाने में मदद की जा सकती है , उन्हें जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन सिलिंडर इंतजाम कर अपनी गाड़ी से भेजवाया जा सकता है , दवा की जरूरत पूरी करवाई जा सकती है , हल्की फुल्की शिकायत रहने पर कुछ चिकित्सकों से परामर्श दिलवाने का प्रयास किया जा सकता है – पर गम्भीर स्थिति को प्राप्त हो रहे मरीजों की देखभाल तो कोविड स्पेशलिटी अस्पताल ही करेंगे , उसका इंतजाम कौन करेगा ?
बहुत निराश हूँ अब मैं , यह कभी नहीं सोचा था की एक दिन ऐसी स्थिति आएगी जब गम्भीर अवस्था में भी मरीजों को खुद से अपना इलाज करना पड़ेगा अथवा उन्हें खुद के भरोसे छोड़ दिया जाएगा ।
(शिरीष खुद एक अस्पताल चलाते हैं और एक शहीद फ़ौजी के भाई हैं जिनके नाम पर बेगूसराय में उनके परिवार ने अस्पताल खोला है)