देवरिया । गोरखपुर जोन के डीआईजी आरके चतुर्वेदी का कहना है कि प्रदेश में पुलिस विभाग के कर्मचारियों का व्यवहार और आचरण ठीक न होने की वजह से जनता अत्यधिक दुःखी है। उन्होंने कहा कि भगवान या ईश्वर के बाद पहले डाक्टरों का नाम आता था लेकिन अब भगवान के बाद पुलिस का नाम लिया जाता है और लोग पुलिस पर अत्यधिक विश्वास करने के लिए विवश हैं क्योंकि डाक्टर तो केवल शरीर का ईलाज कर सकता है लेकिन पुलिस शारीरिक, आर्थिक और मानसिक तीनों समस्याओं का इलाज करती है। यह कहना है गोरखपुर जोन के नवागत उप पुलिस महानिरीक्षक आर के चतुर्वेदी का।
वे देवरिया के पुलिस लाईन में अपराध समीक्षा बैठक में उपस्थित पुलिस विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को सम्बोधित करने के बाद इस संवाददाता से वार्ता कर रहे थे। प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मददेनजर गोरखपुर परिक्षेत्र के जिलों में अब प्रत्येक दिन गांव या क्षेत्र का बीट सिपाही सीधे पुलिस अधीक्षक से मिलेगा तथा पूरे गांव के बारे में छोटी सी छोटी जानकारी सीधे पुलिस अधीक्षक को उपलब्ध कराएगा। जिससे गांव के हर छोटे बड़े अपराधियों की कुण्डली बीट पुस्तिका के माध्यम से तैयार हो जाएगी। पुलिस अधीक्षक उस कान्सटेबिल की बीट पुस्तिका का अध्ययन करेंगे और बदले में उस कान्सटेबिल की व्यक्तिगत समस्याओं की सुनवाई करते हुए उसके निराकरण का प्रयास करेगें। उन्होंने कहा कि कान्सटेबिल और हेड कान्सटेबिल सबसे अधिक जिम्मेदार पुलिस कर्मी है। लेकिन उसे विभाग में ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है। पुलिस अधीक्षक सीधे एस ओ या सी ओ से किसी घटना के बाबत वार्ता कर अपनी डयूटी पूरी कर लेते है।
देवरिया से ओपी श्रीवास्तव की रिपोर्ट.