यशवंत सिंह-
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है… मन बहुत खराब है. उदास करने वाली, दुखी करने वाली, स्तब्ध करने वाली खबरों के मिलने का क्रम जारी है. इन खबरों को पढ़ते, इन्हें संपादित करते, इन्हें प्रकाशित करते हुए खुद से ही पूछने लगता हूं कि ये सब क्या है… क्यों है…
एक मजदूर अपनी बेटी के शव को कंधे पर लादे बेटे के साथ श्मशान जा रहा है… इसका वीडियो आज देखा… उफ्फ… इसे देखने के बाद कुछ भी समझ में आना… कुछ भी सोच पाना संभव नहीं रह गया था…
झारखंड की एक लड़की ने पुलिस की पिटाई से सुसाइड कर लिया था. आज उसके परिजनों को मानवाधिकार आयोग ने एक लाख रुपये देने के लिए कहा है. लड़की को लड़कों की स्टाइल में रहना पसंद था. लड़कों जैसे बाल रखती, उन्हीं जैसे कपड़े पहनती. गश्त करती पुलिस टीम को यह लड़की दिखी तो इसकी बेवजह, यूं ही पिटाई कर दी गई. इस पिटाई से बच्ची इतनी आहत हुई कि उसने सुसाइड कर लिया.
वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र जी के बारे में कौन नहीं जानता है. माखनलाल विवि के संस्थापक कुलपित रहे. अमर उजाला, जनसत्ता समेत कई अखबारों के संपादक रहे. इनके भतीजे विजय मिश्रा गाजीपुर से विधायक और फिर मंत्री रहे. अच्युता जी बुजुर्ग हैं. कई किस्म की शारीरिक व्याधियों से जूझ रहे हैं. कई तरह के आपरेशन उनके हुए हैं. पर इस बेला में उनपर वज्रपात हो रहा है. इकलौता बेटा हफ्ते भर पहले गया. आज बहू भी चली गई. बेरहम कोरोना ने अच्युता जी की दुनिया उजाड़ दी. इससे बड़ा दुख किसी के लिए क्या होगा!
इस संवेदनहीन समाज, क्रूर सत्ताओं और धरती से मुंहफेरे तथाकथित ईश्वर पर लानत भेजने से अगर कुछ होता हो तो मेरी तरफ से भी विरोध दर्ज कर लें. पर ऐसा लगता है कि चीजें इतनी बिगाड़ी जा चुकी हैं कि अब बेलगाम और शोषक सिस्टम बुरी तरह अपनी बुराई को एक्सपैंड कर रहा है. अब यह बेकाबू है. यह दैत्य में तब्दील हो चुका है. इसकी जकड़न में जो आ जा रहा, वह पिस जा रहा. कोई कब तक बचेगा. आज तेरी बारी कल मेरी बारी.
https://www.bhadas4media.com/achyuta-ji-ki-bahu-ka-nidhan/
https://www.bhadas4media.com/reshma-aur-hamara-police-system/
https://www.bhadas4media.com/achyuta-ji-ki-bahu-ka-nidhan/
-यशवंत