Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र के इकलौते बेटे के बाद अब बहू भी नहीं रहीं

लखनऊ से एक दुखद खबर है. वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र पर बड़ी विपत्ति आन पड़ी है. इकलौते बेटे को कोविड ने कुछ रोज पहले छीन लिया था. अब बहू ने कोरोना के साथ संघर्ष में हार मान ली. इस तरह से कोरोना से बेटे के बाद अब बहू की भी मौत हो गई है.

10 दिन पहले बेटे का और आज बहू का निधन होने के बाद हर वो मीडियाकर्मी स्तब्ध है जिसे यह सूचना मिल रही है. अच्युतानंद मिश्र देश के जाने-माने पत्रकार हैं. यूपी के पूर्व मंत्री विजय कुमार मिश्रा उनके भतीजे हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.

अच्युतानंद जी के इकलौते पुत्र और बहू के निधन के बाद हर कोई यह बड़ी विपत्ति और महादुख सहने की उन्हें क्षमता देने की प्रार्थना कर रहा है.

बेटे के निधन की खबर-

Advertisement. Scroll to continue reading.

वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र के इकलौते बेटे का कोरोना से निधन

लखनऊ के वरिष्ठ खेल पत्रकार अनंत मिश्र ने अच्युता जी के पुत्र को याद करते हुए अपने तरीके से कुछ यूं श्रद्धांजलि दी है-

Anant Mishra-

Advertisement. Scroll to continue reading.

जग्गू भाई भी चले गए… अस्सी के दशक में केडी सिंह बाबू स्टेडियम में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की भरमार हुआ करती थी। हॉकी खिलाड़ी सैयद अली, रविन्दर पाल, आरपी सिंह, सुजीत कुमार, आदिल रिजवी, एथलीट शिकोह मेंहदी, राशिद भाई, महान बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी जैसे खिलाड़ी पसीना बहाते नजर आते थे। इन्हीं में वॉलीबाल कोर्ट पर राघवेंद्र मिश्र (जिन्हें हम सब जग्गू भाई कहते थे) अपनी मण्डली के साथ वॉलीबाल खेलते थे। हर जूनियर खिलाड़ी से प्यार से बोलना। उसकी मदद करना उनकी फितरत थी। वह स्टेडियम के बाहर कहीं खड़े होते थे मजाल नहीं थी कि कोई जूनियर खिलाडी वहां नजर आए।

मुझे याद है ..सन् 85 रहा होगा। एक दिन उन्होंने मुझे स्टेडियम में दौड़ते देखा। उन्होंने पूछा कि ‘कौन सा इवेंट करते हो। क्या टाइमिंग है।’ मैंने उन्हें जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कल मिलना तो तुम्हें एक किट दूंगा। दूसरे दिन वह मैदान पर पहुंचे और मुझे एक पैकेट दिया। पैकेट में न्यू बैलेंस की नीले रंग की नेकर और बनियान थी। यह वह दौर था जब बड़े खिलाड़ियों के पास विदेशी किट नहीं थी। रोशन और शिव नरेश की किट सबसे उम्दा और फैशनेबल मानी जाती थी। अरसे तक वह किट मेरे पास रही। वह जब भी मुझे किसी खेल प्रतियोगिता में मिलते मैं उन्हें किट की जरूर याद दिलाता था। जब पत्रकारिता शुरू की तो पता चला कि वह प्रख्यात पत्रकार अच्युतानंद के बेटे हैं।

आज जब वॉलीबाल खिलाड़ी अरुण जी ने मुझे उनके निधन की जानकारी दी तो अस्सी के दशक का वह दौर और उनसे होने वाली मुलाकातें एक बार फिल्म की तरह सामने आने लगीं। हाल ही में वह पावरकारपोरेशन से सेवानिवृत्त हुए थे। वॉलीबाल के बेहतरीन खिलाड़ी रहे। कई बार उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में राज्य का प्रतिनिधित्व किया।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement