तब मुंबई में ‘द डेली’ नाम का टैब्लायड हुआ करत था. इसके एडिटर राजीव के. बजाज हुआ करते थे. बीस बरस पहले की बात है. उन दिनों किसी खबर को लेकर वाडिया ग्रुप के मालिक नुस्ली वाडिया ने राजीव के. बजाज समेत अखबार के मालिकों, मैनेजरों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर दिया था. अब नुस्ली वाडिया ने अदालत में एक प्रार्थना पत्र देकर राजीव के. बजाज का नाम अवमाननाकर्ताओं की लिस्ट से हटाने का अनुरोध किया है.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आरवी भक्ता ने वाडिया से सवाल किया कि क्या अन्य अवमाननाकर्ताओं के साथ अदालत के बाहर समझौते की कोई संभावना है? इस पर नुस्ली वाडिया ने ऐसी किसी संभावना से इनकार किया. वाडिया ने क्रिमिनल के साथ साथ सिविल सूट भी द डेली अखबार और इसके संचालकों के खिलाफ दायर कर रखा है. ज्ञात हो कि उन दिनों द डेली अखबार ने नुस्ली वाडिया के खिलाफ ढेर सारी अनर्गल खबरें छापी थीं जिसमें यहां तक कहा गया था कि नुस्ली वाडिया पाकिस्तानी जासूस हैं और उनके लिंक दाउद इब्राहिम से है.
वाडिया ने बजाज को इसलिए माफ किया क्योंकि बजाज ने पिछले महीने एक एफिडेविट कोर्ट में देकर कहा कि उन समय जो खबरें छापी गईं थीं, उसमें उनका कोई रोल नहीं था. यह सब अखबार के मालिक कमल मोरारका की कंपनी गैंनन डंकरले और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच बिजनेस डील का हिस्सा था. इस मामले में नुस्ली वाडिया ने कोर्ट में उपस्थित होकर सिर्फ राजीव के बजाज के खिलाफ मामला वापस लेने का अनुरोध किया और बाकी किसी से भी किसी किस्म के समझौते से इनकार किया.