उ.प्र.मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति ने ‘अनुशासन कमेटी’ नहीं बनाई तो सांकेतिक विरोध प्रदर्शन करेंगे पत्रकार… लखनऊ के क्लार्क्स अवध होटल में भाजपा की आम की दावत को ‘आम लूटो प्रतियोगिता’बना देने वाले कुछ पत्रकारों की शर्मनाक हरकत ने एक बार फिर कुछ संजीदा सवाल खड़े कर दिए हैं। आम लूट की घटना से आहत होकर आदरणीय अजय कुमार जैसे कुछ बुजुर्ग सम्मानित पत्रकार अनुशासन के संजीदा मसले पर मंथन कर रहे हैं। इस चिंतन-मनन के दौरान लूटमार करने वाले फट्टर पत्रकारों के कुतर्क ने और भी फिक्रमंद कर दिया।
आश्चर्य की बात ये कि गिफ्ट पर लूटमार मचाने वाले शर्मिंदा नहीं हैं। कह रहे हैं कि राजनीतिक दलों और नेताओं द्वारा तमाम पत्रकारों के घर में आम पंहुच जाते हैं। जिन पत्रकारों के पेट भरे हैं और जिनके घर मे माल पंहुच जाता है वो ही गिफ्ट और खाने के लिए लूटमार करने वाले जरूरतमंद पत्रकारों के इस जायज़ कृत्य पर उंगलियां उठाते हैं। गौरतलब है कि कथित पत्रकारों द्वारा लगातार गिफ्ट पैकेट पर लपकने,लूटमार और छीना झपटी करने को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
सवाल दावत में जाने पर क़तई नहीं है। सवाल आम खाने पर भी नहीं है। सवाल गिफ्ट लेने का भी नहीं है। सवाल बिना बुलाये खाने की दावत में जाने का है। सवाल गिफ्ट को लूटने, झपटने और छीना झपटी का है। दो अहम सवाल हैं। दोनो पुराने सवाल हैं। पत्रकारिता के चेहरे पर ये नये नहीं पुराने कलंक हैं। हां ये ज़रूर है कि दाग़ बहुत ज्यादा बढ़ गये हैं। पहले चेहरे पर दाग थे अब दाग़ में चेहरा है। बरसों से मांग कर रहा हूं। फिर यहीं मांग दोहराता हूं। मांग पूरी ना होने पर अगले क़दम की चेतावनी भी दे रहा हूं।
गिफ्ट और खाने पर कथित पत्रकारों की शर्मनाक लूटमार के खिलाफ उ.प्र.राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति ने कोई ठोस क़दम नहीं उठाया तो कई पत्रकार साथियों के साथ सांकेतिक धरने पर बैठने पर मजबूर होना पड़ेगा। सख्त ज़रूरत है कि पत्रकारों द्वारा चुनी गई संवाददाता समिति अपना फर्ज निभाये। पत्रकार ‘अनुशासन कमेटी’ का गठन करे। जिसके सदस्यों को सर्वसम्मति से कुछ अधिकार दिए जायें। अनुशासन कमेटी के सदस्य
प्रेस कांफ्रेंस वगैरह में खाने और गिफ्ट पर लूटमार मचाने वालों का वीडियो बनायें और फिर वीडियो के माध्यम से ऐसे लोग चिंहित किये जायें। कमेटी के सदस्यों को ये भी अधिकार दिया जाये कि वो गिफ्ट और खाने के लिए लूटमार मचाने वाले कथित पत्रकारों से सवाल कर सकें कि उन्हें आयोजक ने बुलाया था या बिना बुलाये आये हैं! यदि बुलाया गया है तो आमंत्रण का प्रमाण ( ईमेल.. फोन.. इत्यादि) दें। और यदि बिना बुलाये गयें हैं तो क्यों बिना बुलाये खाने और गिफ्ट पर टूट कर पत्रकारों और पत्रकारिता को बदनाम क्यों कर रहे हैं! जबकि हिजड़े भी संगठित हैं। उनका भी अनुशासन है। वे नकली हिजड़ों को खदेड़ देते हैं।
लेखक नवेद शिकोह लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हैं. संपर्क- 9918223245
Touqir qidwai
July 3, 2019 at 9:47 pm
अच्छी बात कही आपने लेकिन जांच कमेटी फिल्टर होकर आए पत्रकारों के हित के लिए और क्या करेगी यरह भी बताए और लूटमार जांच कमेटी में किसे होना चाहिए उसके क्या मानक होंगे यह भी बताने का कष्ट करें। इसी आम पार्टी या अक्सर सरकारी आयोजनों में भगवा धारण कर आने वाले पत्रकार किस श्रेणी में रखे जाएंगे