Connect with us

Hi, what are you looking for?

आवाजाही

एबीपी ग्रुप ने 700 मीडियाकर्मियों से इस्तीफा लिखवाया

नोटबंदी ने कई मीडिया घरानों का बजट हिला दिया है. एबीपी समूह ने कॉस्ट कटिंग और रिस्ट्रचरिंग के जरिए अपने अंग्रेजी अखबार ‘द टेलिग्राफ’ में बड़े पैमाने पर छंटनी करने की घोषणा की है। अखबार में कार्यरत सैकड़ों पत्रकारों से इस्तीफा मांग लिया गया है। ग्रुप के एक अधिकारी ने बताया कि ‘आनंद बाजार पत्रिका ग्रुप’ के कोलकाता से निकलने वाले इस अखबार के कर्मचारियों को पिछले साल के अंत में ही छंटनी के संकेत दे दिए गए थे।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p>नोटबंदी ने कई मीडिया घरानों का बजट हिला दिया है. एबीपी समूह ने कॉस्ट कटिंग और रिस्ट्रचरिंग के जरिए अपने अंग्रेजी अखबार ‘द टेलिग्राफ’ में बड़े पैमाने पर छंटनी करने की घोषणा की है। अखबार में कार्यरत सैकड़ों पत्रकारों से इस्तीफा मांग लिया गया है। ग्रुप के एक अधिकारी ने बताया कि ‘आनंद बाजार पत्रिका ग्रुप’ के कोलकाता से निकलने वाले इस अखबार के कर्मचारियों को पिछले साल के अंत में ही छंटनी के संकेत दे दिए गए थे।</p>

नोटबंदी ने कई मीडिया घरानों का बजट हिला दिया है. एबीपी समूह ने कॉस्ट कटिंग और रिस्ट्रचरिंग के जरिए अपने अंग्रेजी अखबार ‘द टेलिग्राफ’ में बड़े पैमाने पर छंटनी करने की घोषणा की है। अखबार में कार्यरत सैकड़ों पत्रकारों से इस्तीफा मांग लिया गया है। ग्रुप के एक अधिकारी ने बताया कि ‘आनंद बाजार पत्रिका ग्रुप’ के कोलकाता से निकलने वाले इस अखबार के कर्मचारियों को पिछले साल के अंत में ही छंटनी के संकेत दे दिए गए थे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जिन लोगों की छंटनी की गई है उसमें से ज्यादातर संपादकीय टीम का हिस्सा हैं। निकाले गए पत्रकारों को कुछ शर्तों के साथ 3 महीने से रिटायरमेंट तक का मूल वेतन दिया जा रहा है। इस साल जून में आनंद बाजार पत्रिका के चीफ एडिटर अवीक सरकार द्वारा इस्‍तीफा देने के बाद से अब उनके छोटे भाई अरुप सरकार इस ग्रुप का संचालन कर रहे हैं। पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने एफबी पर एक स्टेटस पोस्ट किया है, जो इस प्रकार है….

Dilip Mandal : इस 3 फ़रवरी को कोलकाता में एक क़त्लेआम-सा हुआ। इस दिन आनंदबाजार पत्रिका समूह के 700 स्टाफ़ से इस्तीफ़ा लिखवा लिया गया। उनमें से ज़्यादातर पत्रकार और कर्मी वैसे हैं, जो उम्र के इस पड़ाव पर नई नौकरी शायद ही खोज पाएँ। ऑफ़िस में लोग रो रहे थे। चीख़ रहे थे। कंपनी कह रही है नोटबंदी के कारण करना पड़ा। आनंदबाजार किसी दौर में देश का सबसे बड़ा अखबार था। जागरण और भास्कर से भी बड़ा। टेलीग्राफ़ भी इनका ही है। बाक़ी सब ठीकठाक है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement