
रंगनाथ सिंह-
तो क्या अब मान लिया जाए कि अदाणी समूह अमेरिकी मंदड़िए के हमले से घायल होने के बाद उचित उपचार करा कर तेजी से स्वास्थ्य लाभ करने लगा है?

खबरों के अलावा मेरा शेयर बाजार से कोई वास्ता नहीं। अकाउण्टेसी और ऑडिट पढ़े भी बीस साल से ज्यादा वक्त हो गया और उसके बाद उससे कोई वास्ता भी नहीं रहा लेकिन कुछ चीजों को समझने के लिए केवल कॉमन सेंस की जरूरत होती है।
24 फरवरी को अदाणी समूह पर अमेरिकी कार्पोरेट शार्पशूटर (मंदड़िए) ने हमला किया। उस समय अदाणी का शेयर 3850 के आसपास था। हिंडनबर्ग की रपट आते ही भाव तेजी से गिरने लगा। तीन फरवरी को वह अपने न्यूनतम स्तर (1000 के आसपास) था। उसके बाद भाव उठना शुरू हुआ। आज 8 फरवरी को 2220 है।
(शेयर के पुराने भाव याद्दाश्त के आधार पर लिखे हैं। अतः दशमलव के बाद के तीसरे या चौथे अंक को पकड़कर न लटकें। भावना समझें।)
दूध के धुले एक आर्थिक जानकार लम्बे समय से अदाणी के लोन न चुकाने की आशंका जता रहे थे। ताजा विवाद के बाद बाजार को भरोसा दिलाने के लिए अदाणी समूह ने 9200 करोड़ रुपये का लोन तय तारीख से 21 महीने पहले चुका दिया तो उन्हीं साहब ने ट्वीट किया कि “जब इसके पास पैसा था तो इसने लोन क्यों लिया था!” सोचिए ये साहब सोचते थे कि अदाणी या दूसरे कारोबारी कंगाली के कारण लोन लेते हैं? अफसोस ऐसे धूर्तों को एक समय मैं बहुत गम्भीरता से लेता था।
अदाणी हो या कोई और कारोबारी देश की एजेंसियों को उसपर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। उनकी जाँच की माँग करने का अधिकार भी सभी को है लेकिन किसी भी स्थिति में कॉमन सेंस नहीं त्यागना चाहिए।