मदन मोहन सोनी-
अडानी हिंडनबर्ग विवाद पर एक लेख लिखने की वजह से दो पत्रकार रवि नायर और आनंद मंगनाले गुजरात पुलिस की रडार पर थे। दोनों पर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा था। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पत्रकारों को राहत देते हुए गुजरात पुलिस की गिरफ्तारी की कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड पारस नाथ सिंह के माध्यम से पत्रकार रवि नायर और आनंद मंगनाले की ओर से दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई की जिसमें गुजरात की अहमदाबाद अपराध क्राइम ब्रांच की ओर से जारी किए गए समन को चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्हें संगठित अपराध और करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजक्ट वेबसाइट पर प्रकाशित उनके लेख की प्रारंभिक जांच से संबंधित पूछताछ के लिए व्यक्तिगत रुप से हाजिर होने का निर्देश दिया था।
कोर्ट में दोनों पत्रकारों की ओर से पहुंची वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह से पूछा कि उन्होंने सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा क्यों खटखटाया, इसके जवाब में इंदिरा जय सिंह ने कहा कि ये नोटिस पूर्ण रुप से अधिकार क्षेत्र के बिना है। उन्हें वहां जाने के लिए नहीं कहा जा सकता।
इंदिरा जय सिंह ने कोर्ट में कहा कि इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है और जब एफआईआर दर्ज ही नहीं हुई तो किस आधार से उन्हें बुलाया जा रहा है।
वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा सिंह द्वारा कोर्ट में दी गई दलीलों को सुनने के आधार पर कोर्ट ने दोनों याचिकाओं पर नोटिस जारी की और दोनों पत्रकारों को पुलिस की गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा देने पर सहमति जताई।