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सियासत

‘सिर्फ 99 प्रतिशत पुलिस वालों की वजह से बाकी एक प्रतिशत पुलिस वाले भी बदनाम हैं!’

Rajshekhar Vyas

जानेमाने पाकिस्तानी उर्दू व्यंगकार मुश्ताक अहमद युसूफी व्यंग्य के ग़ालिब माने जाते हैं. उनकी One liners एन्जॉय करें….

“ईस्लाम के लिए सबसे ज़्यादा कुर्बानी बकरों ने दी है!”

“मर्द की आँख और औरत की ज़ुबाँ का दम सब से आख़िर में निकलता है!”

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“सिर्फ 99 प्रतिशत पुलिस वालों की वजह से बाकी 1 प्रतिशत भी बदनाम हैं!”

“दुश्मनी के लिहाज़ से दुश्मनों के तीन दर्जे होते है, दुश्मन, जानी दुश्मन और रिश्तेदार!”

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“उस शहर की गलियां इतनी तंग थीं कि गर मुख्तलिफ जीन्स (opposite sex) आमने सामने हो जायें तो निकाह के अलावा कोई गुंजाईश नहीं रहती!”

“वो ज़हर दे के मारती तो दुनिया की नज़र में आ जाती, अंदाज़-ए-क़त्ल तो देखो, हमसे शादी कर ली!”

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“दुनिया में ग़ालिब वो अकेला शायर है, जो समझ में ना आया तो दुगना मज़ा देता है!”

“ईस्लामिक वर्ल्ड में आज तक कोई बकरा नेचरल डेथ नहीं मरा!”

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“कुछ लोग इतने मज़हबी होते है कि जूता पसंद करने के लिए भी मस्ज़िद का रुख़ करते है!”

“मेरा तआलुक उस भोली भाली नस्ल से है, जो ये समझती है कि बच्चे बुज़ुर्गों की दुआओं से पैदा होते है!”

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“हमारे ज़माने में तरबूज़ इस तरह खरीदा जाता था, जैसे आज कल शादी होती है, सिर्फ सूरत देखकर!”

“हुकूमतों के अलावा कोई भी अपनी मौजूदा तरक्की से खुश नहीं होता!”

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प्रसार भारती में वरिष्ठ पद पर कार्यरत साहित्यकार और लेखक राजशेखर व्यास की एफबी वॉल से.

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