राजा बोला रात है, रानी बोली रात है, संतरी बोला रात है, ये सुबह-सुबह की बात है! गोरख पाण्डेय की उपरोक्त पंक्तियों के सहारे अपनी बात शुरू करता हूं। आप सबको यह बताते हुए मुझे अति प्रसन्नता हो रही है कि उस संतरी से, जिसने राजा के कहने पर ‘दिन’ को ‘रात’ बोला था, अचानक …
Tag: vyangya
उप संपादक से समूह संपादक बनने में चमचागीरी की भूमिका!
सुना है कि फ्रेडरिक ऐंगेल्स की एक पुस्तक है ‘वानर से नर बनने में श्रम की भूमिका’. भड़ास4मीडिया पर एक खबर पढ़ी तो अचानक इस पुस्तक की याद आ गई. जिस तरह से बंदर से मनुष्य बनने में श्रम की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, उसी तरह से कई संस्थानों में आगे बढ़ने के लिए काबिलियत …
‘सिर्फ 99 प्रतिशत पुलिस वालों की वजह से बाकी एक प्रतिशत पुलिस वाले भी बदनाम हैं!’
जानेमाने पाकिस्तानी उर्दू व्यंगकार मुश्ताक अहमद युसूफी व्यंग्य के ग़ालिब माने जाते हैं. उनकी One liners एन्जॉय करें…. “ईस्लाम के लिए सबसे ज़्यादा कुर्बानी बकरों ने दी है!” “मर्द की आँख और औरत की ज़ुबाँ का दम सब से आख़िर में निकलता है!” “सिर्फ 99 प्रतिशत पुलिस वालों की वजह से बाकी 1 प्रतिशत भी …
‘सम्मान’ से भरोसा उठ गया है पर ‘सम्मान वापसी’ की इच्छा मरी नहीं है :)
जब-जब ‘सम्मान वापसी’ की आंधियां चलती हैं, मेरे भीतर का असम्मानित व्यक्ति बेतरह तड़प उठता है. खून अइसे उबाल मारता है, जइसे जवाहिर टी स्टाल के चूल्हे पर रखा हुआ गरम चाय. हम भी सम्मान वापस करना चाहते हैं, हम भी सम्मान लौटाने वालों की श्रेणी में शामिल होकर अमरत्व को प्राप्त होना चाहते हैं, …
राजा निरबंसिया
देशभटक पांड़े का माइंड सुन्न होने लगा है… दशहरा सिर पर है और तैयारी पांव पर.. नाटक के रिहर्सल के लिए एक्टर लोग टाइम पर पहुंचते ही नहीं हैं… पिछली तीन बार से परोरहां की टोली सारी ताली बटोर ले जा रही है..बटोरेगी काहे नहीं…पूरा एक महीना रिहर्सल करते हैं वहां के एक्टर .. और अमवा मझार के एक्टर..बाप रे बाप…कोई चार दिन के लिए ससुराल चला जाएगा तो किसी की भैंस बथान से खुला जाएगी… आ बेतिया के मेला में जा के जगहंसाई कराके लौट आएंगे सबलोग…लेकिन इस बार देशभटक पांड़े साफ बोल दिए हैं कौनो झोलझाल नहीं चलेगा.. रिहर्सल होगा तो पूरा होगा नहीं तो बेतिया मेले में अमवा मझार का नाटक कैंसिल..
कुछ चैनलद्रोही बाथरूम में घण्टों से घुसे बैठे हैं ताकि कहीं कोई पैकेज न पकड़ा दे…
Arvind Mishra : नीतीश के इस्तीफे के बाद टीवी चैनलों का न्यूज़ रूम युद्ध क्षेत्र बन गया… जानिए ग्राउंड जीरो से सूरत-ए-हाल…
फागुन में गाली के रंग अनेक…
प्रवीण कुमार सिंह
‘गाली के जवाब में गोली चल जाती है।’ ये पान सिंह तोमर में इरफान खान बोलते हैं। एक और पुरानी कहावत है कि बोली पर गोली चल जाती है। बोली कोई भी हो। वो बिना गाली के नहीं हो सकती है। जैसें बोली से पता चलता है। कि इंसान सभ्य है कि असभ्य है। पढ़ा-लिखा है कि बिना पढ़ा-लिखा है। ये वर्गीय विभाजन गाली में भी है। पढ़ा लिखा षुद्ध भाषा में गाली देगा। जबकि बिना पढ़ा-लिखा बेचारा ठेठ देसज अंदाज में गाली देता है।
‘गधों’ के इस मौसम में गधों को महिमा-मंडित करती कुमार विश्वास की यह कविता सुन कर बिना हंसे न रह पाएंगे
अब कुमार विश्वास बोले ‘गधे’ पर… सियासी घमासान के बीच पिछले कुछ दिनों में चंद बड़े नेताओं के ‘गधों’ से संबधित बयान पर अब आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास का एक वीडियो सामने आया है। वीडियो से ज़ाहिर है कि इसमें नेता डा कुमार विश्वास नहीं, बल्कि कवि कुमार विश्वास बोल रहे हैं। शनिवार शाम को कुमार विश्वास के ऑफिसियल यूट्यूब चैनल पर यह वीडियो लोड किया गया।
जगत शर्मा के ‘बाप की अदालत’ में ‘बहुते जुमला पार्टी’ के अध्यक्ष तड़ीपार भाई शाह ने जब से बताया है…
Anil Singh : बाप की अदालत में तड़ीपार भाई शाह…भेष बदल रहा है… जगत शर्मा के ‘बाप की अदालत’ में ‘बहुते जुमला पार्टी’ के अध्यक्ष तड़ीपार भाई शाह ने जब से बताया है कि विमुद्रीकरण से देश की हालत बदल जाएगी, युवाओं को रोजगार मिलेगा, देश तरक्की की राह पर निकल पड़ेगा, आसामान में हर तीसरा उपग्रह अपना होगा, हर गांव में बिजली-पानी पहुंच जाएगा, तब से हमारी कल्पनाओं की उड़ान को ऐसे पर लग गए हैं कि अब वह जमीन पर उतरने को तैयार ही नहीं है. ढेला मार रहा हूं तब भी नहीं उतर रहा है.
प्रिय प्राणनाथ, तुम्हारा हर सर्जिकल मुझे फर्जिकल-सा क्यों लगता है : जशोदा
प्रिय प्राणनाथ,
तुम्हारा हर सर्जीकल मुझे फर्जीकल सा क्यों लगता है? तुम बिल्कुल भी नहीं बदले, वही चालबाजियां …वही गलतबयानियां ! बरसों पहले तुम अचानक घर छोड़ कर हिमालय चले गये, मेरे लिये यह किसी सर्जीकल स्ट्राईक सी घटना थी. बाद में पता चला कि तुम हिमालय कभी नहीं गये, बल्कि उस रात भी गृहत्याग कर संघ कार्यालय जा छिपे थे. प्राणनाथ, तुम प्रारम्भ से ही काफी फर्जीकल रहे हो!
हे पाकिस्तान, एक मिसाइल फिल्म सिटी में भी दाग़ दे… आत्मा तृप्त हो जाएगी
एक सपना… पत्रकारों का पाकिस्तान पर बड़ा हमला, भारत की जीत!…. रात के क़रीब आठ बजे से कुछ मिनट ज़्यादा हो रहे हैं… पाकिस्तान के हमले का सबसे ज़्यादा गुस्सा हमारे पत्रकारों पर दिखाई दे रहा… प्राइम टाइम पर चीखें सुनाई दे रही हैं… मानो अभी जाकर लेफ्टिनेंट कर्नल सुधीर चौधरी पाकिस्तान पर हमला कर देंगे… ऐसा लग रहा है जैसे लांस नायक रोहित सरदाना अब युद्ध के लिए एक क्षण भी इंतज़ार नहीं करना चाहते… रजनीगंधा चौराहे के पीछे वाले इलाके(फिल्म सिटी) से गोलियों की तड़तड़ाहट बंद होने का नाम नहीं ले रही… नायब सूबेदार दीपक चौरसिया के हर एक ज़ुबानी हमले में कम से कम 35-40 पाकिस्तानी सैनिक घायल हो रहे हैं… ग्रेनेडियर अरनब गोस्वामी मुंबई से ही हमला कर रहे हैं…
हैप्पी हिंदी डे
एक साल में ६९ दिन को हम विभिन्न दिवसों (इसमें बाज़ार आधारित दिवस मसलन वेलेनटाइन डे, फादर-मदर आदि दिवस शामिल नहीं हैं) के रूप में मनाते हैं….किसी-किसी महीने तो १०-१० दिवस मना लेते हैं, एक दिन एक अक्टूबर विश्व प्रौढ़ दिवस होता हैं तो इसी दिन रक्तदान दिवस भी है। क्यों है, यह तो पता नहीं अगर होता भी तो क्या कर लेते। हम आजाद हैं जब चाहे तब दिवस जो चाहे वो दिवस मनायें। फिर हिंदी राष्ट्र भाषा है राष्ट्र भाषा को एक दिन या सप्ताह/पखवाड़ा दे दिया तो कौन सा पहाड़ टूट गया|
अरुण धुरी ने मीटिंग बुलाकर कहा- ”यार इस मोदी की कैसे बैंड बजाएं…. कुछ मसाला दो….”
अरुण धुरी जी ‘टीवी टुंडे कबाब’ ग्रुप के सारे एडिटर्स को बुलाकर गहन मंत्रणा कर रहे हैं. देखिए मीटिंग का दृश्य…
सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो रही बाबा रामदेव और बालकृष्ण की ये तस्वीर, जानें क्यों…
जब तक कांग्रेस की सरकार केंद्र में थी, बाबा रामदेव रोज काला धन की हुंकार भरते थे. काला धन का हिसाब अपने भक्तों और देशवासियों को बताते थे कि अगर वो काला धन आ गया तो देश की सारी समस्याएं हल हो जाएंगी. काला धन के मुद्दे को नरेंद्र मोदी ने भी लपका और बाबा रामदेव की मुहिम को समर्थन किया. माना जाने लगा कि रामदेव और नरेंद्र मोदी की जोड़ी अगर जीतकर केंद्र में सरकार बनाने में सफल हो गई तो यह तो तय है कि देश में काला धन वापस आ जाएगा. लेकिन जोड़ी के जीतने और सरकार बनाने के बावजूद काला धन देश वापस नहीं आया.
इंगलिश न्यूज चैनल सासों का सम्मान नहीं करते… इसीलिए सास आधारित कोई कार्यक्रम नहीं दिखाते
: अब देखेंगे सास, बहू और वारदात! : नक्कालों से सावधान जैसी चेतावनियां सिर्फ साबुन और सौंफ की दुकानों में ही नहीं होतीं, सीरियलों में भी होने लगी हैं. दोपहर दो-ढाई के आसपास तमाम न्यूज टीवी चैनलों पर भी नक्कालों से सावधान जैसी चेतावनियां गूंजने लगती हैं. एक न्यूज चैनल लाता है- सास, बहू और साजिश, फिर दूसरा चैनल लाया- सास, बहू और बेटियां और फिर तीसरा चैनल आया- सास, बहू और सस्पेंस. रिश्ते ही रिश्ते मिल तो लें- नारे का नया वर्जन है- सासें ही सासें, मिल तो लें.
पैगंबर मोहम्मह और अबु बकर बगदादी का कार्टून छापने वाली मैग्जीन के आफिस पर आतंकी हमला
पेरिस में ‘शार्ली एब्दो’ नामक एक व्यंग्य मैग्जीन के आफिस पर आतंकियों ने हमला कर दिया. कुल ग्यारह लोगों के मरने की खबर है. मरने वालों में दो पुलिसवाले भी शामिल हैं. मैग्जीन के कार्यालय पर एके-47 धारी नकाबपोश लोगों के एक समूह ने हमला किया. ‘शार्ली एब्दो’ नामक व्यंग्यात्मक मैगजीन में साल 2012 में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून छपा था. हाल ही में मैग्जीन ने आतंकी संगठन आईएस के चीफ अबु बकर अल-बगदादी का भी कार्टून छापा था.
एकता कपूर की तिजोरी ठसाठस हो रही है तो यादव सिंह की तिजोरी खाली होने को है….
: सिंह इज किंग यानि यादव सिंह…. : बड़ा प्यारा नाम है इनका। लेकिन यादव का बाल टेडा करने की हिमाकत कौन कर रहा है. आम जनता में कन्फ्यूजन है. कन्फ्यूजन यादव शब्द को लेकर ज्यादा है. ये नाम एक आदमी का है या एक जाति का. यूपी में कोई फर्क नहीं पड़ता. आदमी हो या जाति. यादव तो यादव है. कुछ लोग जातपांत की बात नहीं करते. जाति की बात सिर्फ राजनीति के लिए की जाये तो ही अच्छा. लालू भाई और मुलायम दादा उदाहरण हैं. राजनीति के पतित-पावन मचान को मजबूत करने के लिए जाति का खंभ काम आया. तेजप्रताप और राजलक्ष्मी के विवाह की रस्म मचान और खंभ को आपस मे बांधने वाली मजबूत रस्सी बन गई.
चम्पादक कथा : विकास की सेल्फी : डांडिया टीवी के चम्पादक हनुमानी मुद्रा में उनके चरणों में बैठे थे….
Mayank Saxena : माननीय ने तय किया था कि जिस चौथे खम्भे की रंगाई पुताई कर के उसका हुलिया ही बदल देने में उन्होंने (उनके प्रायोजकों ने) करोड़ों खर्च किए थे, उनसे भी मिल लेंगे। माननीय को देश का सबसे बड़ा वक्ता (भाषणबाज़) बनना था और वो चाहते थे कि वो हर कहीं से भाषण देते हुए, हर कहीं दिखाई दे। वो बचपन से ही वक्ता बनना चाहते थे, बनिए के यहां तेल भी लेने जाते थे तो भाषण कर के मुफ्त में ले आते थे, मतलब वो मुफ्त दे कर हाथ जोड़ लेता था कि भाई और ग्राहक भी हैं, तुम दो घेटे से बिज़नेस मॉडल पर बोल रहे हो, यहां बिज़नेस ठप हुआ जा रहा है। तो सबसे बड़ा वक्ता बनने का सपना इसी चौथे खम्भे ने पूरा किया था, क्योंकि खम्भे पर सैकड़ों टीवी लगे थे और वो हर वक्त माननीय को ही प्रसारित करते थे।
आने वाले हैं कुछ नए न्यूज चैनल… बिड़ला टाइम, लाइव लूट, वोटशॉप18, चोरी ओके… (देखें पूरी लिस्ट)
दो कारणों से न्यूज़ चैनलों के नाम बदलने की ज़रूरत है : 1. चैनलों के मालिक नियमित रूप से बदलने लगे हैं और 2. न्यूज़ चैनलों पर न्यूज़ के नाम पर जो तमाशा दिखाया जा रहा है, उस कारण भी नाम बदल दिए जाने चाहिए. अगर आप नियमित न्यूज़ चैनल देखते हों तो यह बताने और समझाने की कोई ज़रूरत नहीं है कि किस तरह की खबरों को कौन सा चैनल किस तरह से दिखाएगा. पुरानी फिल्मों में जैसे जगदीश राज और ए के हंगल इंस्पेक्टर के रोल में ‘टाइप्ड’ हो गये थे, वैसे ही हमारे पत्रकार और मीडिया के पंच लोग भी ‘टाइप्ड’ हो गये हैं, और उनके मुँह खोलने से पहले ही बताया जा सकता है कि किस मुद्दे पर कौन सा व्यक्ति क्या बोलेगा।