बिहार-झारखंड के लीडिंग हिंदी दैनिक प्रभात खबर से कई बड़ी सूचनाएं आ रही हैं. कई दशकों तक इस अखबार के प्रधान संपादक के रूप में कार्यरत रहे और इस अखबार के पर्याय बन चुके हरिवंश अब प्रभात खबर के हिस्से नहीं रहे. उन्होंने अखबार को अलविदा कह दिया है. सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा सांसद बन जाने के तुरंत बाद हरिवंश ने प्रिंट लाइन से अपना नाम हटवा दिया था और नैतिक आधार पर अखबार के प्रधान संपादक पद से मुक्त करने का अनुरोध प्रबंधन से किया था. पर प्रबंधन उनके अनुरोध को टालता रहा. अंतत: अब जाकर प्रभात खबर के लिए नए प्रधान संपादक की खोज शुरू हुई तो पता चला कि प्रभात खबर को चमकाने वाले इसके प्रधान संपादक हरिवंश ने अखबार को अलविदा कह दिया है.
सूत्रों के मुताबिक हरिवंश केके गोयनका और रंजीत दत्ता की तिकड़ी लंबे समय से इस अखबार को चला रही थी लेकिन हरिवंश के जाने के बाद अब अखबार मालिक राजीव झांबर खुद कामकाज देखने लगे हैं. जून महीने से अब तक राजीव झांबर हर माह अखबार के दफ्तर में आकर सीनियर लोगों के साथ कामकाज की समीक्षा करने लगे हैं. जून में उन्होंने अखबार के सभी विभागों के सीनियर लोगों की बैठक की थी और बताया था कि हरिवंश, केके गोयनका और रंजीत दत्ता के पास कंपनी के जो शेयर थे, उनको झांबर ने बाईबैक कर लिया है. अब अखबार में झांबर परिवार के अलावा किसी और का कोई शेयर नहीं है.
राजीव झांवर और समीर लोहिया ने अखबार के चार-पांच चुनिंदा वरिष्ठ अधिकारियों से अलग से एक-एक कर लंबी बातें भी की थीं. हरिवंश के हटने के बाद रांची में प्रभात खबर के कार्यालय में हरिवंश के चैंबर के बाहर लगी प्रधान संपादक पद की पट्टी हटा दी गयी है. अखबार के लोगों में यह चर्चा बहुत तेज है कि मालिक लोग अब केके गोयनका और रंजीत दत्ता को भी हटा सकते हैं और अपना सीईओ बैठाने जा रहे हैं. हरिवंश की जगह नये चीफ संपादक की तलाश भी की जा रही है. बाहर के कुछ नामों पर विचार हो रहा है.
ज्ञात हो कि हरिवंश को नीतिश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने राज्यसभा सांसद भेजा. हरिवंश ने राज्यसभा में चंडीगढ़ समेत देश भर के कई मुद्दे उठाए. चंडीगढ़ का एक मुद्दा उठाते हुए उन्होंने दैनिक जागरण अखबार की प्रति को बहुत आक्रोश के साथ सदन में दिखाया. हरिवंश पत्रकारिता की उस परंपरा के शख्स हैं जिनके लिए शुचिता, नैतिकता और सरोकार सबसे प्राथमिक चीज हैं. वे जब तक अखबार के प्रधान संपादक रहे, अखबार को पूरी ईमानदारी के साथ कंटेंट के मोर्चे पर बुलंद रखा. नीतिश कुमार द्वारा राज्यसभा भेजे जाने के बाद हरिवंश ने प्रबंधन से खुद का नाम प्रिंट लाइन से हटाने और प्रधान संपादक पद से मुक्त करने का अनुरोध किया. प्रिंट लाइन से नाम तो हटा दिया गया था लेकिन प्रधान संपादक पद से मुक्त करने का अनुरोध अब माना गया.
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