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महाराष्ट्र में मजीठिया क्रांतिकारियों की लॉकडाउन में हुई अदालत से शानदार जीत

निर्मलकांत शुक्ला-

निर्णय के प्रमुख बिंदु-

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  1. अदालत ने कंपनी श्री अंबिका प्रिंटर्स को ग्रेड-7 का नहीं बल्कि ग्रेड– 5 का माना
  2. इन कर्मचारियों में प्रत्येक का पांचवें ग्रेड से लाखों रुपये एरियर का भुगतान कंपनी को करना होगा
  3. मासिक वेतन ग्रेड-5 के हिसाब से अनुमानित 50 से 60 हजार रुपये प्रतिमाह के बीच देना होगा
  4. दस साल की सेवा पर एक और 20 साल की सेवा पर दो प्रमोशन देने का भी आदेश
  5. प्रत्येक दो साल पर नियमानुसार इन कर्मचारियों को एलटीए देने का भी आदेश
  6. पांचवें ग्रेड के हिसाब से नाइट शिफ्ट, हाउस रेंट और ट्रांसपोर्ट अलाउंस दिया जाए
  7. कंपनी सर्विस कंडीशन के तहत इन कर्मचारियों को तत्काल नियुक्ति पत्र दें और सैलरी स्लिप पर पदनाम का उल्लेख करें

वैश्विक महामारी कोरोना के बीच देश भर में मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे मजीठिया क्रांतिकारियों के लिए महाराष्ट्र से एक बड़ी और खुशी देने वाली खबर है कि महाराष्ट्र के प्रमुख समाचार पत्र समूह श्री अम्बिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशंस के सात मजीठिया क्रांतिकारियों को मुम्बई के बांद्रा स्थित लेबर कोर्ट से जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में लंबी लड़ाई के बाद शानदार जीत हासिल हुई है।

इस दौरान चतुर्थ लेबर कोर्ट के विद्वान न्यायाधीश एफ.एम. पठान ने 4 मॉर्च 2021 को जारी अपने आदेश में मजीठिया वेज बोर्ड के तहत कंपनी को 5 ग्रेड का मानते हुए उसी के अनुसार सभी सात कर्मचारियों को एरियर देने, वेतन वृद्धि करने का आदेश दिया जबकि कंपनी इन कर्मचारियों को सातवें ग्रेड से वेतन दे रही थी। अब अदालत के आदेश के बाद इन कर्मचारियों में प्रत्येक का पांचवें ग्रेड से लाखों रुपये एरियर का भुगतान कंपनी को करना होगा।

साथ ही इन सभी सात कर्मचारियों का मासिक वेतन 5 ग्रेड के हिसाब से अनुमानित 50 से 60 हजार रुपये प्रतिमाह के बीच करना होगा। माननीय न्यायाधीश ने इन सभी सात कर्मचारियों में, जिनकी सेवा 10 साल हो गयी, उन्हें एक प्रमोशन, बीस साल होने पर दो प्रमोशन और तीस साल की सेवा पूरी होने पर तीन प्रमोशन देने का भी आदेश दिया है। इसी के साथ प्रत्येक दो साल पर नियमानुसार इन कर्मचारियों को एलटीए देने का भी आदेश माननीय अदालत ने दिया, जिसमें वास्तविक यात्रा व्यय का साक्ष्य देने पर एक महीने का मूल वेतन देने का प्रावधान है।

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साथ ही कर्मचारियों को नाइट शिफ्ट, पांचवें ग्रेड के हिसाब से हाउस रेंट, ट्रांसपोर्ट एलाउंस देने और अन्य भत्ते देने का भी आदेश अदालत ने दिया।

इसके साथ ही इन सभी सात कर्मचारियों ने दावा किया था कि श्री अम्बिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशंस द्वारा हमें नियुक्ति पत्र आज तक नहीं दिया गया है, जिस पर कंपनी ने कर्मचारियों के इस दावे को गलत बताते हुए कहा था कि कर्मचारियों का ये दावा बिल्कुल हास्यास्पद है कि उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया। माननीय न्यायाधीश ने साक्ष्यों के आधार पर कर्मचारियों के दावे को सही माना और कंपनी को लिखित रूप से आदेश दिया कि सर्विस कंडीशन के तहत कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य है और इन कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र भी दिया जाए। साथ ही इन सात कर्मचारियों ने बताया कि श्री अम्बिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशन हम लोगों को जो सेलरी स्लिप देती है, अब उस पर हमारी पोस्ट नहीं लिखकर देती है, जिस पर माननीय अदालत ने अपने आदेश में साफ तौर पर निर्देश दिया कि कर्मचारियों के सेलरी स्लिप में उनके पोस्ट भी डाले जाएं।

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बता दे कि इन कर्मचारियों ने लगभग पांच साल मजीठिया वेज बोर्ड की कानूनी लड़ाई लड़ी । इन सात मजीठिया क्रांतिकारियों ने ये लड़ाई सुप्रीमकोर्ट के जाने माने वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश शर्मा के मार्गदर्शन में लड़ी। वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश शर्मा ने इन सभी कर्मचारियों के केस का स्टडी कर वर्ष 2016 में ही कह दिया था कि आप लोग केस लगाइए, आपकी जीत तय है। यही नहीं उन्होने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी वर्ष 2017 में सभी कर्मचारियों को केस लगाने की राय दे दी थी। इस दौरान अनगिनत बार उमेश शर्मा एडवोकेट ने दिल्ली से मुम्बई आकर इन सात मजीठिया क्रांतिकारियों की इस लड़ाई को अदालत में अंजाम तक पहुंचाया और उनका हौसला बढ़ाया। मुम्बई में एडवोकेट राज यादव ने भी इस लड़ाई को उमेश शर्मा जी के सानिध्य में लड़ा। इस दौरान कंपनी को वास्तविक खर्च की रकम भी अदालत में जमा करनी पड़ी। ये सात कर्मचारी हैं- शशिकान्त सिंह (उपसंपादक), ताराचंद्र रॉय ( उपसंपादक), नागेश पुजारी (उपसंपादक), दिनेश कुमार पाल (प्रूफ रीडर), हरीश पुजारी, दामोदर पुजारी,भारती उमेश कोटियन (तीनों डीटीपी आपरेटर)। कंपनी की तरफ से एडवोकेट एमएस टोपकर और एम पवित्रा थीं। इस मामले की सुनवाई के दौरान कुछ बिंदु पर कंपनी बॉम्बे हाईकोर्ट भी पहुंची, जहां इन कर्मचारियों का मुकदमा मुम्बई हाईकोर्ट में एडवोकेट उमेश शर्मा के साथ -साथ हिंदुस्तान की चर्चित लॉ फर्म मुल्ला एंड मुल्ला ने लड़ा और बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला इन सात कर्मचारियों के पक्ष में आया और ये फैसला एक नजीर बना। इन सभी कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट उमेश शर्मा जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उमेश शर्मा सर ने जिस तरह हमारी इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाया, इसके लिये उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है।

इन कर्मचारियों ने मुल्ला एंड मुल्ला और एडवोकेट श्री एग्नल, एडवोकेट महेश शुक्ला, एडवोकेट राज यादव, जयपुर के सीनियर सीए ध्रुव गुप्ता, डॉक्टर अजय मुखर्जी तथा कई मजीठिया क्रांतिकारियों से मिले सुझाव और सहयोग के लिए भी उनका धन्यवाद दिया है। श्री अम्बिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशंस पांच दैनिक समाचार पत्रों का प्रकाशन करती है, जिसमें यशोभूमि हिंदी दैनिक, कन्नड़ दैनिक कर्नाटक मल्ला के अलावा तीन मराठी दैनिक पुण्यनगरी, मुम्बई चौफेर और वार्ताहार प्रमुख है। इस मामले की लंबे समय तक सुनवाई मुम्बई के बांद्रा स्थित 8 लेबरकोर्ट के विद्वान न्यायाधीश आर.एन. कुलकर्णी के पास भी चली। बाद में इस मामले को 4 लेबर कोर्ट के न्यायाधीश एमएफ पठान के पास 6 नवंबर 2019 को भेजा गया, जिन्होंने इस मामले पर कामगारों के पक्ष में यह फैसला दिया।

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वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पूरे देश में लॉकडाउन के बीच कर्मचारियों के पक्ष में आये इस फैसले से देशभर के विभिन्न प्रांतों विभिन्न प्रांतों में मीडिया कर्मियों में खुशी की लहर है। देशभर में मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे हजारों क्रांतिकारियों में यह विश्वास बढ़ा है कि अन्ततः जीत मीडिया क्रांतिकारियों की ही होगी, जिसकी शुरुआत महाराष्ट्र से हो चुकी है। कानूनी लड़ाई में मीडिया हाउस कहीं भी टिकने की स्थिति में नहीं हैं।

-निर्मलकान्त शुक्ला
वरिष्ठ पत्रकार/ मजीठिया क्रांतिकारी
मोबा. 9411498700, 7017389915
Gmail- [email protected]

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