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उत्तर प्रदेश

मोहनलालगंज की घटना के पीछे कोई बहुत बड़ा रहस्य छिपा है… पुलिस और रामसेवक दोनों को जुडिशियल के सामने घेरा जाए…

Anil Kumar Upadhyaya : सुतापा सान्याल? पुलिस के लायक नहीं हैं ये. खुद ही किसी हेल्मेटधारी राजीव का नाम ले रही हैं, खुद ही कह रही हैं कि राजीव महिला को रात दस बजे किसी फार्म हाउस ले जाने के लिये कह कर ले जा रहा था.  किसलिये मैडम किसलिये? साढ़े चार हजार रुपये महीने की तनखाह पर अपनी किडनी तक दान कर चुकी महिला पर रामसेवक पाल कौन से पैसे की गद्दारी का आरोप लगा रहा है.  लिखा ना मैंने अपने जिगर के टुकड़े बच्चों के लिये एक माँ कुछ भी कर सकती है.  सास – ससुर – ननद अब बड़े खैरख्वाह बन रहे हैं, लेकिन उनके ही बेटे को अपनी किडनी तक देने वाली का वक्त पर तो साथ दिया नहीं. 

<p>Anil Kumar Upadhyaya : सुतापा सान्याल? पुलिस के लायक नहीं हैं ये. खुद ही किसी हेल्मेटधारी राजीव का नाम ले रही हैं, खुद ही कह रही हैं कि राजीव महिला को रात दस बजे किसी फार्म हाउस ले जाने के लिये कह कर ले जा रहा था.  किसलिये मैडम किसलिये? साढ़े चार हजार रुपये महीने की तनखाह पर अपनी किडनी तक दान कर चुकी महिला पर रामसेवक पाल कौन से पैसे की गद्दारी का आरोप लगा रहा है.  लिखा ना मैंने अपने जिगर के टुकड़े बच्चों के लिये एक माँ कुछ भी कर सकती है.  सास - ससुर - ननद अब बड़े खैरख्वाह बन रहे हैं, लेकिन उनके ही बेटे को अपनी किडनी तक देने वाली का वक्त पर तो साथ दिया नहीं. </p>

Anil Kumar Upadhyaya : सुतापा सान्याल? पुलिस के लायक नहीं हैं ये. खुद ही किसी हेल्मेटधारी राजीव का नाम ले रही हैं, खुद ही कह रही हैं कि राजीव महिला को रात दस बजे किसी फार्म हाउस ले जाने के लिये कह कर ले जा रहा था.  किसलिये मैडम किसलिये? साढ़े चार हजार रुपये महीने की तनखाह पर अपनी किडनी तक दान कर चुकी महिला पर रामसेवक पाल कौन से पैसे की गद्दारी का आरोप लगा रहा है.  लिखा ना मैंने अपने जिगर के टुकड़े बच्चों के लिये एक माँ कुछ भी कर सकती है.  सास – ससुर – ननद अब बड़े खैरख्वाह बन रहे हैं, लेकिन उनके ही बेटे को अपनी किडनी तक देने वाली का वक्त पर तो साथ दिया नहीं. 

 

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देह के सौदे के बहुत से रहस्य छिपे हैं इस कहानी के पीछे.  सत्यकथा – मनोहर कहानियाँ – दैनिक जागरण के टाइम का कीड़ा मेरे अंदर बहुत जोर से कुलबुलाने लगा है.  बाहर निकाला जाय क्या? कल नवनीत सिकेरा – राजीव कुमार के सामने सीधे अदालत से हजारों वक़ीलों के सवाल पैदा किये जाएं क्या? लखनऊ बार के चुनाव का मुद्दा क्या लखनऊ की ये घटना नहीं हो सकती. घेरा जाय पुलिस और रामसेवक दोनों को क्या जुडिशियल के सामने? प्रत्याशी सोचें तो जरा. सामाजिक न्याय का मामला है. हो जाय?

कोर्ट बंद थी लेकिन विशेष अदालत से आनन फानन में गार्ड रामसेवक पाल को अगर जेल भेज दिया गया होगा, तो पक्का है मन मुताबिक केस डायरी – पंचनामा – पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी बना दी गई होंगी. संडे की अदालत में वकील भी नहीं होते और पत्रकारों को अदालत का बहाना बना कर पुलिस दूर ही कर देती है… मोहनलालगंज की घटना के पीछे कोई बहुत बड़ा रहस्य छिपा है. .. बहुत बड़ा. फार्म हाउस – पैसे की गद्दारी – राजीव – प्रापर्टी डीलर ? किस्सा गहरा है.

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लखनऊ के वकील अनिल कुमार उपाध्याय के फेसबुक वॉल से.

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