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सुख-दुख

इस देश का असल मुफ़्तख़ोर कौन है?

अविनाश पांडेय समर-

वाजपेयी ने प्रधानमंत्री बनते ही सारे सरकारी कर्मचारियों की पेंशन ख़त्म कर दी थी।

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अर्धसैनिक बलों के सैनिकों तक की। अब अगर कोई सैनिक जीवन भर के लिए विकलांग हो जाए या शहीद हो जाए तो वो भी न उसको पेंशन मिलती है न उसके परिवार को।

इन्हीं वाजपेयी ने नियम बदल कर सभी सांसदों को आजीवन पेंशन दी थी चाहे संसद एक ही दिन चली हो!

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पहले केवल उन्हीं सांसदों को पेंशन मिलती थी जो पूरे 5 साल का कार्यकाल पूरा करें। 
मोदी ने सत्ता में आते ही सांसदों की तनख़्वाह और भत्ते दोगुने कर दिये थे। साथ ही साथ उसको ऑटोमेटिक बढ़ोत्तरी पर डाल दिया था।

मतलब अब वो अपने आप समय के अनुसार बढ़ती रहेगी।

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अभी सांसदों के वेतन और भत्ते इस प्रकार हैं:

वेतन 1,00,000 रुपया महीना चुनाव क्षेत्र भत्ता 45, हज़ार रुपया संसदीय कार्यालय भत्ता 45, हज़ार रुपया महीना संसद के सत्र के समय 2,000 रुपया प्रतिदिन भत्ता।

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इसके साथ सालभर में चौंतीस हवाई यात्रा और असीमित फ़र्स्ट एसी रेल यात्रा मुफ़्त।
सांसद न होने पर भी एक साथी के साथ आजीवन रेल यात्रा मुफ़्त।

ये तब जब इस लोक सभा के 545 में से 475 सांसद करोड़पति हैं।

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ये तब भी जब मोदी आपसे अपनी गैस सब्सिडी राष्ट्रहित में छुड़वा रहे थे!
तो असल मुफ़्तख़ोर कौन है भैया?

और अभी तो मोदी का अंबानियों और अडानियों का माफ़ किया क़र्ज़ बताया ही नहीं है!

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