उत्तर प्रदेश सरकार ने मिट्टी से बनी चीजों को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री माटी कला रोजगार योजना का शुभारंभ किया था. दरअसल इस योजना के पीछे प्लास्टिक के बर्तन खरीदने वाले लोगों को कुम्हारों के प्रति जागरूक करना था. सरकार ने इस योजना के माध्यम से कुम्हार वर्ग को 10 लाख रूपये का बिना ब्याज का लोन देने को कहा था. अब लोन किसे मिला या किसको बढ़ावा मिला बाद की बात है, फिलहाल तो इस योजना का बुलबुला फूटता हुआ दिख रहा है.
पत्रकार शिव दास ने एक्स पर इस अखबार की कटिंग पोस्ट करते हुए लिखा है कि, ‘कुम्हारों! आप भाजपा और आरएसएस के छद्म हिंदुत्व और हिंदू का झंडा पकड़कर माटी कला बोर्ड और विद्युत चाक का झुनझुना बजाते रहो और महंगी बिजली का बिल भरते रहो। लेकिन वह और उनके समर्थक आपकी रोजी रोटी छीनकर तुम्हें दाने-दाने को मोहताज करने की व्यवस्था कर दिए हैं।
दिवाली पर आपका दिवाला निकलने वाला है। आपके मेहनत का दीया 40-50 रुपये सैकड़े बिकेगा या नहीं, यह तय तो नहीं है लेकिन भाजपा की सरकार और उसके गुर्गों ने ऐसी व्यवस्था जरूर कर दी है कि सरकारी खजाने का एक रुपया भी आपको न मिल सके। सो, बोलते रहो जय श्रीराम और बजाते रहो घंटा।’
बता दें कि यूपी में अनुमानित 16000 से अधिक कुम्हार हैं, जिनकी आय का मुख्य साधन मिट्टी और उससे बनी वस्तुओं पर निर्भर है. लेकिन अब जब दीवाली पर मिट्टी के बर्तनों की जरूरत होती है तब ऐसे में इस तरह की खबरें जरूर खास वर्ग के लिए तकलीफ का सबब बन जाता है, जिसके प्रति सरकार को अफसरों पर निर्भर ना रहकर खुद से एलर्ट रहना होगा, क्योंकि ताजा हालात तो यही तस्वीर दिखाते हैं कि विभिन्न सरकारी योजनाओं में विभागीय बंदरबाट के अलावा कुछ नहीं होता हवाता.