देश के अस्पतालों में क्या हो रहा है, कैसे बाबाओं और डॉक्टरों द्वारा मरीजो को बेखौफ लूटा-निचोड़ा और गलत दवाएं देकर मौत के घाट उतारा जा रहा है, इस ओर न मेडिकल नियामक शीर्ष सरकारी संस्थाओं का ध्यान है, न देश-प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्रियों का। जब से इलाज के नाम पर लुटेरों को खुला छोड़ दिया गया हो। इसी तरह धर्मांधता का फायदा उठाने में जुटे तरह तरह के पाखंडी बाबाओं ने अंधेरगर्दी मचा रखी है। बड़ी-बड़ी आलीशान बिल्डिंगों में चल रहे अस्पताल और दवा इलाज के नाम पर बेखौफ तांडव के ठिकाने बने मठ-मंदिर देश में तो जो कर रहे, सो कर ही रहे, विदेशों तक झूठे प्रचार, अखबारों और चैनलों पर प्रकाशित-प्रसारित हो रहे विज्ञापनों की आड़ में ठगी अखाड़ों में तब्दील हो चुके हैं।
शायद भारत सरकार और सभी राज्य सरकारों का शासन-प्रशासन गहरी नींद में है या कोमा में है. देश के प्रमुख हिन्दी दैनिक समाचार पत्र में तथाकथित ब्रह्मऋषि कुमारस्वामी और इसके महागिरोह के द्वारा बड़ी बड़ी हैडलाइन में छपा था – अब भारत होगा भ्रष्टाचार व कष्ट मुक्त, 90 लाख करोड़ की अनूठी योजना, भारत फिर बनेगा सोने की चिड़िया, न देखा न सुना ऐसा दुख निवारण समागम, सबको मिलेगा घर व रोजगार, शिक्षा व चिकित्सा निःशुल्क.
सदी के महान सन्त की महानता की तुलना में यह योजना कण भर है. ऐसी छोटी छोटी योजनाएं ऐसे ब्रह्मऋषि के आगे क्या मायने रखती हैं. इसके महाचेलों को कुछ तो अपने सद्गुरु की इज्जत का ख्याल रखना चाहिए था. नई योजना का महाआलोक तथा महाप्रारूप – गुरु के 100 करोड़ चेले हैं, प्रत्येक चेले को गुरूजी की पसंदीदा सवारी फरारी, बीएमडब्ल्यू, 7-स्टार, अनन्त-अनन्त सुविधायुक्त बंगला तथा पांच लाख करोड़ रुपये न्यूनतम (संशोधित योजना ) कांप जायेंगे, कल्पना भी नहीं कर सकते.
सदी के सबसे महान सन्त, 2000 किलो सोने से बनेगा विश्व का पहला अदभुत श्री राधा-कृष्ण स्वर्ण मन्दिर, 5 लाख करोड़ रुपए में बनेगा भगवान श्री राधा – कृष्ण का दिव्य स्वर्ण मन्दिर, अमेरिका में 10 हजार एकड़ भूमि में अदभुत दुख निवारण यूनिवर्सिटी व रिसर्च सेंटर, ब्रिटेन की संसद के इतिहास में पहली बार भारत के ऋषि को मिला अदभुत सम्मान, अब भारत होगा भ्रष्टाचार व कष्ट मुक्त ,90 लाख करोड़ की अनूठी योजना, भारत फिर बनेगा सोने की चिड़िया, करोड़ों ने पाई दुखों से तत्क्षण मुक्ति, विश्व की सरकारों ने किया सम्मान, निश्चित पूर्ण हुईं सभी मनोकामनाएं, 500 करोड़ की लागत से हनुमानगढ़ में अस्पताल का निर्माण, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार एवं वृन्दावन में बनेगा विश्वविद्यालय, पूरे विश्व में मनाया जायेगा ‘ब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी डे’, 50 करोड़ लोगों को हैरान कर देने वाले प्रमाणिक तथ्य….. आप सोच रहे होंगे ये सब क्या है ? कई किलो हाजमे का चूर्ण खाने के उपरान्त भी ये बातें हजम नहीं हो सकती.
ये सब सनसनी पैदा करने वाली लाईनें बड़े बड़े अक्षरों में खबर की शक्ल में एक पाखण्डी तथाकथित ब्रह्मऋषि कुमारस्वामी और इसके गिरोह के द्वारा अखबारों में छपवाई जाती हैं. कई दावे प्रथमद्रष्ट्या ही अतिशयोक्तिपूर्ण अथवा असत्य लगते हैं. हमारी समझ में इस प्रकार के असत्य और भ्रामक दावे अपराध की श्रेणी में आते हैं क्योंकि श्री कुमारस्वामी इन दावों के बल पर ही तमाम भक्त बनाते हैं और निश्चित रूप से इस प्रक्रिया में इन भक्तों द्वारा उन्हें विभिन्न रूपों में धन प्रदान किया जाता है जो इन भक्तों को अनुचित हानि और श्री कुमास्वामी को अनुचित लाभ की श्रेणी में आता है. मैं जागरूक भारतीयों से निवेदन करता हूँ कि ऐसे पाखण्डी (साधु वेश में रावण) से सावधान रहें और अपने परिचितों को भी जागरूक करें तथा सोशल मिडिया व अन्य माध्यमों पर अधिक से अधिक शेयर करें.
महापाखण्डी तथाकथित ब्रह्मऋषि धार्मिक माफ़िया डॉन कुमारस्वामी और इसके गिरोह की बेशर्मी और हिमाकत का एक नमूना तथा देश की भिन्न भिन्न निगरानी और नियामक संस्थाओं की उदासीनता का एक उदाहरण – देश के उच्चतम संवैधानिक पदों में से एक प्रधानमन्त्री, भारत सरकार के पद का बेख़ौफ़ दुरूपयोग किया जा रहा है. नरेन्द्र मोदी द्वारा देश के प्रधानमन्त्री के तौर पर आज तक ऐसा कोई भी अधिकारिक व्यक्तव्य जारी नहीं किया गया है. इसके बावजूद अनेक बार देश के अग्रणी अखबारों में यह गैरकानूनी कुकृत्य महापाखण्डी तथाकथित ब्रह्मऋषि धार्मिक माफ़िया डॉन कुमारस्वामी और इसके गिरोह के द्वारा दोहराया गया है. अज्ञानी लोगों को प्रभावित करने के लिये अनैतिक, असंवैधानिक तरीके से प्रधानमन्त्री पद का गलत उल्लेख और सन्दर्भ प्रकाशित किया गया है. भारत सरकार को तुरन्त ऐसे पाखण्डी लोगों को गिरफ्तार करके कानूनी प्रक्रिया शुरू करनी चाहिये.
नागपुर की आलीशान बिल्डिंगों में संचालित अस्पताल जान भी ले सकते हैं। 16 जुलाई 2015 15 को बड़ी उम्मीद के साथ अपनी जीवन संगनी के साथ नागपुर के मेडीट्रीना इंस्ट्रीट्यूट एंड मेडिकल साइंस में पंहुचा। हम दोनों ने हेल्थ चेकअप कराने की मंशा जताई। बकायदा हमसे हेल्थ चेकअप के लिए ब्लड और यूरिन के सैम्पल लिए और शाम को आकर फिजिशियन से चेकअप कर डायग्नोज़ कराने को कहा गया। हम जब शाम को वहा पहुंचे तो हमे डॉ देशपांडे से मिलाया गया। उन्होंने रिपोर्ट चैक की और फिर हम दोनों को दवाओं की पर्ची लिख दी।
चूंकि मुझे पहले से ब्लड प्रेसर की शिकायत थी तो मुझे दवाओं के बारे में जानकारी थी। जब मैंने इसी बिल्डिंग में संचालित मेडिकल शॉप से दवा खरीदी तो देखा की मेरी पत्नी की दवाओं में बीपी कम करने की दवा लिखी है जबकि उसे पहले से ही बीपी कम होने की शिकायत थी और मुझे बीपी बढ़ने की। मुझे शक हुआ। मैंने पर्ची चैक की तो पाया की दोनों फ़ाइलों में मेरी पत्नी के नाम की पर्ची लगी है। मैं फाईल वापस लेकर जब ऊपर पंहुचा, तब तक डॉक्टर जा चुके थे। रिसेप्सन पर मेरी फाईल लेकर उनपर लिखे नाम काटकर सुधारे जाने लगे। तब मैंने विरोध किया कि पहले डॉक्टर से क्लियर तो करो कि जो प्रिसकेप्सन उन्होंने लिखा है, वो किस रिपोर्ट को देख कर लिखा है। बोला गया कि वो तो नहीं मिल पायँगे, जा चुके हैं।
अस्पताल के ट्रस्टी चेंम्बर में बैठे थे। मिलने को तैयार नहीं थे। मैं अंदर गया कि मुझे आपसे बात करनी है तो बोले की बाद में आना, अभी समय नहीं है। मैं चिल्लाता रहा पर मेरी कोई सुनने वाला नहीं था। साथ में मेरी पत्नी और बेटा था। डर भी लग रहा था कि इनके परिसर में हूँ। ये कोई अनहोनी न कर दें। अंत में मुझे कार ड्राइव कर सिवनी भी आना था। मैं वापस तो आ गया किन्तु ये विचार आते ही मन सिहर जाता है कि अगर मैंने बीपी कम करने की टेबलेट्स खाकर लांग ड्राइव करता तो क्या मैं अपने परिवार के साथ घर पहुंच पाता।
राजेश तोशमिया के एफबी वाल से